रांची, पूजा सिंह : साइबर सिक्युरिटी विशेषज्ञों के अनुसार आपके द्वारा पोस्ट की गयी बच्चों की तस्वीरों का गलत इस्तेमाल हो सकता है. हर दिन तस्वीरें शेयर करने से बचें. साथ ही कभी भी बच्चों की लोकेशन शेयर नहीं करें. सोशल मीडिया पर शेयर की गयी तस्वीरें लंबे समय तक प्रभाव डालती है. फोटो या कंटेंट शेयर करने के बाद कोई भी व्यक्ति उसका स्क्रीनशॉट भी ले सकता है. बच्चे की निजता पर हमला करने के अलावा साइबर बुलिंग का जोखिम रहता है. सोशल मीडिया यूजर लड़के या लड़की के बड़े होने पर बच्चे का अपमान कर सकते हैं. उसका मजाक उड़ा सकते हैं. यहां तक कि उसे धमकाने के लिए जानकारी का उपयोग कर सकते हैं.
असम पुलिस का ट्वीट
लाइक्स धुंधले पड़ जाते हैं, लेकिन डिजिटल घाव रह जाते हैं. अपने बच्चों को शेयरेंटिंग के खतरे से बचायें. सोशल मीडिया पर आप अपने बच्चों के बारे में क्या शेयर करते हैं इसे लेकर सावधान रहें.
बच्चों के लिए चैंपियन की तरह व्यवहार करें
यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ कनीनिका मित्र कहती हैं : आजकल बच्चे तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया में बड़े हो रहे हैं. कई माता-पिता भी लगातार सोशल मीडिया में सक्रिय रहते हैं. यह भी देखा गया है कि बच्चे भी अक्सर माता-पिता के व्यवहार का ही अनुसरण करते हैं. माता-पिता और देखभाल करनेवालों के लिए वास्तविक और ऑनलाइन दुनिया, दोनों में अपने बच्चे की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए. बच्चे की तस्वीर ऑनलाइन साझा करने के कई खतरे हैं, जैसे : साइबर बुलिंग, ऑनलाइन शोषण, दुर्व्यवहार और जबरन वसूली आदि.
एआइ के माध्यम से तस्वीरों का हो सकता है गलत इस्तेमाल
साइबर सेल डीएसपी यशोधरा कहती हैं : वर्तमान में अभिभावक लाइक्स, कमेंट्स, री-ट्वीट के कंपीटिशन में अपने बच्चों की तस्वीरें धड़ल्ले से सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट की गयी चीजें कभी मरती नहीं हैं. कहीं न कहीं एक्सीस करती ही रहती हैं. छोटे बच्चों की तस्वीरों को एआइ के माध्यम से गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. बच्चों की तस्वीरों को गलत एक्सपोज किया जा सकता है. इसलिए अभिभावक बच्चों के साथ-साथ अपनी तस्वीरों को शेयर करने से बचें.
लाइक्स-कमेंट्स के चक्कर में फोटो-वीडियो शेयर न करें
सीआइपी के बाल मनोवैज्ञानिक डॉ वरुण मेहता कहते हैं कि बच्चों के फोटो या वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचें. ओवरशेयरिंग से साइबर क्राइम का खतरा बढ़ जाता है. अभिभावक अपने लाइक्स-कमेंट्स के चक्कर में बच्चों के फोटो शेयर कर देते हैं. जबकि इन छोटे बच्चों को इस बारे में कुछ पता तक नहीं होता है. जब ये बच्चे बड़े हो जायेंगे, तो इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है. उनकी निजता हनन के कारण भविष्य में बुलिंग का डर बना रहेगा.
बच्चों को मुश्किल में नहीं डालें
मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ कहते हैं : अभिभावकों को बच्चों की उपलब्धियों को दिखाने में काफी खुशी मिलती है. इसलिए आये दिन बच्चों की तस्वीरें व उपलब्धि को सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है. इसमें अभिभावकों को भीतरी खुशी मिलती है. ऑनलाइन किड्स कांटेस्ट आयोजित किये जाते हैं और धड़ल्ले से लोग अपने बच्चों की तस्वीरें शेयर कर देते हैं.
आधुनिक काल में भौतिक संस्कृति हावी
रांची विवि के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि आधुनिक काल में भौतिक संस्कृति को लोग अपना कर स्वयं, परिवार, समाज, समुदाय, राज्य व राष्ट्र का नुकसान कर रहे हैं. नयी पीढ़ी में इस प्रकार की प्रवृत्ति ज्यादा देखने को मिलती है. इनमें एकाकी परिवार वाले बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे है. संयुक्त परिवार में इस तरह की तस्वीरें नहीं देखी जाती हैं. परिवार, समाज में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाये.
फोटो या वीडियो को ऑनलाइन शेयर करना सुरक्षित नहीं
आज हर कोई सोशल मीडिया पर एक्टिव है. हर कोई अपने जीवन से जुड़े हर पहलू को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा है. बड़े तो बड़े, बच्चों की शरारत और नटखटपन देखना, पहली बार स्कूल जाना, उनका जन्म लेना जैसे अन्य चीजों का संजोने के लिए कई बार पेरेंट्स बच्चों का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. इन्हें यूजर्स काफी पसंद करते भी हैं, लेकिन अभिभावक यह नहीं समझ पा रहे हैं कि बच्चों के फोटो या वीडियो को ऑनलाइन शेयर करना सुरक्षित नहीं है. इसी गंभीरता को समझते हुए असम पुलिस ने एक ट्वीट भी किया है. वहीं फ्रांस में एक नया बिल पास हुआ है. इसके तहत माता-पिता बच्चों का फोटो या वीडियो बिना उनकी इजाजत के पोस्ट नहीं कर पायेंगे.
सेलिब्रिटी नहीं करते बच्चे के फोटो वायरल
डिजिटल दुनिया से जुड़े होने के बाद भी कई सेलिब्रिटी और खिलाड़ी अपने बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करते हैं. इनमें क्रिकेटर विराट कोहली व अनुष्का, अभिनेत्री आलिया भट्ट व रणवीर, सोनम व आनंद अहूजा, प्रियंका व निक जोनस जैसे सेलिब्रिटी शामिल हैं. यहां तक की खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के मालिक मार्क जकरबर्ग भी अपने बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं, तो चेहरा धुंधला कर देते हैं.
आखिर क्या है शेयरेंटिंग
पहली बार वर्ष 2010 में शेयरेंटिंग शब्द का प्रयोग हुआ. यह शब्द इंग्लैंड, स्पेन, अमेरिका और फ्रांस में काफी प्रचलित है. इसका मतलब है कि माता-पिता अपने बच्चों के जुड़े संवेदनशील कंटेंट सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. उनका यह प्लेटफॉर्म पब्लिक होता है. इससे कई नुकसान हो सकते हैं. ईयू किड्स ऑनलाइन नामक-2022 शोध परियोजना के अनुसार : उच्च स्तर की डिजिटल साक्षरता वाले माता-पिता शेयरिंग में शामिल होने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं. शोध में यह भी पाया गया कि जो माता-पिता अपने बच्चे के इंटरनेट उपयोग में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करते हैं और बच्चे की गोपनीयता के बारे में आशंकाएं दर्ज करते हैं, उनके शेयरिंग में शामिल होने की अधिक संभावना होती है.