लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार बिजली उपभोक्ताओं की बिजली के दरों में बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रही है.बिजली कंपनियों द्वारा विद्युत नियामक आयोग में ईंधन अधिभार (फ्यूल सरचार्ज) का प्रस्ताव दाखिल किया गया है. जनवरी से मार्च 2023 के चौथे क्वार्टर के लिए 61 पैसे प्रति यूनिट के आधार पर श्रेणीवार बढ़ोतरी की मांग की गई है. इस प्रस्ताव के अनुसार बिजली दरें विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए महंगी हो सकती हैं.
अगर बिजली कंपनियों का यह प्रस्ताव मंजूरी प्राप्त कर लेता है, तो आम जनता के लिए बिजली 28 पैसे से 1.09 रुपये प्रति यूनिट तक महंगी हो सकती है. इस तरह के बढ़े टैरिफ को अलग-अलग श्रेणियों के लिए अलग-अलग लागू किया जाएगा. विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कारपोरेशन द्वारा दाखिल किए गए इस प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया है . इसे खारिज करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि यह प्रस्ताव ईंधन अधिभार लगाने के नाम पर उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रयास है. इससे उपभोक्ता को भारी भरकम खर्च आ सकता है. उन्होंने इस तरह के बढ़े टैरिफ के खिलाफ विरोध प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया है.
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पहले भी विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी, लेकिन अब ईंधन अधिभार के नाम पर फिर से बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया है. इस प्रस्ताव के अनुसार घरेलू बीपीएल उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 28 पैसे, घरेलू सामान्य उपभोक्ताओं को 44 से 56 पैसे, कामर्शियल उपभोक्ताओं को 49 से 87 पैसे, किसानों को 19 से 52 पैसे, और नान-इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं को 76 पैसे से 1.09 रुपये प्रति यूनिट अतिरिक्त चुकाना होगा. भारी उद्योग के कंज्यूमरों के लिए प्रति यूनिट बिजली 54 से 64 पैसे तक महंगी हो सकती है.
इस प्रस्ताव के खिलाफ विरोध प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया गया है. विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कारपोरेशन द्वारा किए गए इस प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया है. प्रस्ताव को खारिज होने की मांग की है. वर्मा ने कहा है कि यह प्रस्ताव उपभोक्ताओं को भारी भरकम खर्च करने का प्रयास है और इससे उपभोक्ता को बढ़ी हुई बिजली दरों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए विरोध प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया गया है. उनका कहना है कि कारपोरेशन ने कानून के विपरीत प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का प्रयास आयोग को अवमानना है.
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यदि कानून के तहत प्रस्ताव दाखिल किया जाता तो 30 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर लाभ मिलता लेकिन बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर भार डलवाने के लिए प्रयासरत हैं. राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियां पर 33122 करोड़ रुपये सरप्लस है. ऐसे में किस आधार पर प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया. इसे खारिज किया जाना चाहिए. इस प्रस्ताव के अनुसार बिजली दरें विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए बढ़ी होंगी. भारी उद्योग के कंज्यूमरों को प्रति यूनिट बिजली 54 से 64 पैसे तक महंगी हो सकती है. भारी उपभोक्ताओं के लिए यह बढ़ोतरी 1.09 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच सकती है. विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग दरों को लागू करने से उपभोक्ताओं को वित्तीय भार का सामना करना पड़ेगा.