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अपराध करने वाले माननीयों को सजा दिलाने के मिशन पर यूपी पुलिस , पूर्व सांसद और विधायकों पर 1377 मामले लंबित

उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराधों में संलिप्त माननीयों के विरुद्ध एक बड़े अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान का उद्देश्य राजनेता और माफिया के बीच संबंधों को तोड़कर उनको जेल के पीछे भेजना है.

लखनऊ . उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराधों में संलिप्त माननीयों के विरुद्ध एक बड़े अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान का उद्देश्य राजनेता और माफिया के बीच के संबंधों को तोड़कर उनको जेल के पीछे भेजना है. सजा दिलाना है. पुलिस मुख्यालय कानूनी दृष्टिकोण से समीक्षा कर ऐसे आरोपियों के खिलाफ सजा दिलाने के लिए मिशनमोड पर काम कर रहा है. इसके परिणाम भी बड़े नजर आ रहे हैं. पुलिस मुख्यालय की प्रभावी पैरवी का ही परिणाम है कि बीते करीब छह महीनों में माननीयों के खिलाफ चल रहे 22 मामलों में 65 नेताओं को सजा दिलाई जा चुकी है.

छह महीनों में 22 मामलों में 65 नेताओं को सजा

पूर्व – वर्तमान सांसद- विधायक आदि माननीयों के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए गठित एमपी-एमएलए कोर्ट में सजा की दर इतनी नहीं रही है. 2023 से पहले के सालों की बात करें तो वर्ष 2022 में कुल 292 मुकदमों का निस्तारण हुआ था. इसमें से 46 मामलों में ही आरोपितों को सजा मिल सकी थी. 2021 में चार माननीयों को सजा हुई. वर्ष 2000 में तीन मामले ही ऐसे थे जिनके दोषी दंडित हुए. इनमें माफिया मुख्तार अंसारी के अलावा उसके भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी, पूर्व सांसद रमाकांत यादव, सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां जैसे कद्दावर नेता शामिल हैं. यूपी पुलिस ने प्रभावी पैरवी के साथ ही गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित की है. इससे समझा जा सकता है कि अपराधियों के खिलाफ की जाने वाली कानूनी प्रक्रिया के दौरान कोई भी कमी नहीं हुई और इससे न्यायिक प्रक्रिया को मजबूती के रूप में देखा जा रहा है.

इनको सजा दे चुकी हैं कोर्ट

एमपी-एमएलए अभियोजन की बढ़ती सक्रियता का ही असर था कि बसपा के पूर्व मंत्री रामेन्द्र सिंह उर्फ बादशाह सिंह को विधायक निधि के दुरुपयोग के मामले में सजा सुनाई गई. महोबा में सरकारी जमीन पर विधायक निधि से अपने पिता के नाम से डिग्री कालेज का निर्माण कराने के मामले में कोर्ट ने पूर्व मंत्री समेत चार आरोपितों को डेढ़ वर्ष कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई. जौनपुर में वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व सांसद रमाकांत यादव के विरुद्ध मारपीट व जान से मारने की धमकी देने के मामले में सजा सुनाई गई. वहीं कई गंभीर अपराधों में भी माननीयों को सजा हुई.

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अपराध करने वाले माननीयों को सजा दिलाने के मिशन पर यूपी पुलिस , पूर्व सांसद और विधायकों पर 1377 मामले लंबित 2
एमपी एमएलए कोर्ट में प्रभावी पैरवी के साथ ही गवाहों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं. एमपी- एमएलए कोर्ट में विचाराधीन अन्य मामलों में नियमित पैरवी के निर्देश दिए गए हैं. इस वर्ष राजनेताओं के विरुद्ध 22 मुकदमों में कुल 65. आरोपितों को सजा सुनाई गई है. जिनमें अन्य आरोपित भी शामिल हैं. इससे पूर्व वर्ष 2022 में एमपी-एमएलए कोर्ट में कुल 292 मुकदमों का निस्तारण कराया गया था. इनमें 46 मुकदमों में आरोपितों को सजा सुनिश्चित कराई गई। वर्ष 2021 में कुल चार मामलों में तथा वर्ष 2000 में तीन मामलों में आरोपितों को सुजा सुनाई गई थी.
प्रशांत कुमार , स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था
2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित हुईं विशेष अदालतें

राजनीतिक और सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ चल रहे मामलों के शीघ्र न्यायिक निर्णय देने के लिए 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देश भर में विशेष अदालतें स्थापित की गईं . यूपी में में इन विशेष अदालतों का गठन किया जा चुका है. यूपी में विशेष अदालतों के स्थापना के बाद, इन मामलों के न्यायिक निर्णयों की रफ्तार में वृद्धि हुई है फिर भी स्थित संतोषजनक नहीं कही जा सकती है. उत्तर प्रदेश में लंबित मामलों की संख्या भी कम नहीं है. नवंबर महीने की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में मौजूदा और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ 1,377 मामले लंबित हैं, जो दिसंबर 2018 में 992 और दिसंबर 2021 में 1,339 थे. ये मामले उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज हुए हैं जो या तो प्रशासनिक पदों पर थे या सार्वजनिक नेतृत्व में रहे थे और उन पर अपराधिक मामले दर्ज हुए थे. इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल नवंबर तक यूपी में 719 ऐसे मामले थे जो पांच साल से अधिक पुराने थे.

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उत्तर प्रदेश का प्रयागराज पहला जिला है जहां सबसे पहले विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट खुला था. इस अदालत ने मार्च में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह वकील उमेश पाल के 2006 के अपहरण मामले में माफिया अतीक अहमद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. फरवरी में वकील उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उसके बाद अतीक को इस मामले में भी आरोपी बनाया गया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रयागराज की इस विशेष अदालत में अतीक और अशरफ के खिलाफ 14 मामले लंबित थे. अतीक और अशरफ की हत्या के बाद प्रयागराज कोर्ट में पूर्व विधायक विजय मिश्रा, यूपी के पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी और विधायक विजया यादव के खिलाफ मामले लंबित हैं.

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