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रामनवमी में हिंसा की एनआइए जांच पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने दायर की याचिका

एनआइए ने राज्य सरकार पर मामले की जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि मामले के दस्तावेज एनआइए को नहीं दिये जा रहे.

राज्य सरकार ने शुक्रवार को फिर से कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल न्यायाधीश पीठ का दरवाजा खटखटाया और इस साल रामनवमी जुलूस की हिंसा की घटनाओं की एनआइए जांच पर रोक लगाने की मांग की. हालांकि एनआइए ने न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल पीठ में मामला दायर करने को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि उक्त एकल पीठ मामले की सुनवाई नहीं कर सकती. हाइकोर्ट में अन्य एकल पीठ पर मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है. इसके बाद ही न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य ने मामले को छोड़ने की बात कही.

राज्य सरकार मामले के दस्तावेज नहीं सौंप रही एनआइए को

गौरतलब है कि राज्य सरकार का यह कदम एनआइए द्वारा कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल न्यायाधीश पीठ के मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस प्रशासन पर असहयोग का आरोप लगाने के 48 घंटे बाद आया है. एनआइए ने राज्य सरकार पर मामले की जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि मामले के दस्तावेज एनआइए को नहीं दिये जा रहे.

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न्यायाधीशों की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया

मामले की एनआइए जांच के आदेश कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने दिये थे. राज्य सरकार ने उस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में इस आधार पर चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया है.

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रामनवमी पर 30 मार्च को शोभायात्रा के दौरान हुई थी झड़प

पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर 30 मार्च से हावड़ा, उत्तरी दिनाजपुर इस्लामपुर में शोभायात्रा के दौरान झड़प हुई थी. इसमें एक युवक की मौत हो गई थी. इसके बाद के दिनों में हावड़ा और रिसड़ा के अलावा कई जगहों पर शोभा यात्रा के दौरान हिंसक घटनाएं हुईं थीं. भीड़ को शांत कराने और तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े थे. इस मामले को लेकर काफी राजनीतिक बवाल भी हुआ था. टीएमसी और बीजेपी दोनों ने ही एक-दूसरे पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था.

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नौशाद सिद्दीकी की गिरफ्तारी पर रोक बरकरार

कलकत्ता हाइकोर्ट ने भांगड़ से आइएसएफ विधायक नौशाद सिद्दीकी की गिरफ्तारी पर रोक एक बार फिर बढ़ा दी है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची व न्यायाधीश अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि अगले सात दिनों तक पुलिस नौशाद सिद्दीकी को गिरफ्तार नहीं कर सकेगी. गौरतलब है कि आइएसएफ विधायक के खिलाफ दुष्कर्म मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. गौरतलब है कि इससे पहले एकल पीठ ने भी नौशाद सिद्दीकी गिरफ्तारी पर रोक लगायी थी, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने खंडपीठ पर चुनौती दी थी और खंडपीठ ने भी एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा है. न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नौशाद की गिरफ्तारी पर रोक बरकरार रखने का आदेश दिया. इसके बाद मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति चितरंजन दास की खंडपीठ द्वारा की जायेगी.

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