Jharkhand News: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी आरक्षण और मॉब लिंचिंग बिल को लेकर राजभवन सचिवालय पर प्रहार किया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने राजभवन और राज्यपाल पर संवैधानिक दायित्वों और संवैधानिक कर्त्तव्यों के तहत काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह तीनों विधेयक राज्य की जनता के हितों से जुड़ा हुआ है. इसलिए पूर्व राज्यपाल द्वारा लौटाये गये तीनों विधेयक में जो संदेश (आपत्ति) है, उसे अविलंब विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध करायेंगे, ताकि विधानसभा अध्यक्ष इसे प्रचारित-प्रसारित कर सकें और सरकार इसमें आवश्यक संशोधन करके विधानसभा के पटल इसे पुन: रख सके.
बीजेपी के इशारे पर विधेयकों को अटकाया जा रहा रोड़ा
वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजभवन से आपत्ति मिल जाये, तो सरकार की इच्छा है कि इसी सत्र में इस तीनों विधेयक को पुन: सदन में रखे, पर यह जरूरी है कि विधानसभा को राजभवन का संदेश आये. यदि राजभवन नहीं भेजता है, तो सीधा समझा जायेगा कि जानबूझकर बीजेपी के इशारे पर विधेयकों में रोड़ा अटकाने का काम किया जा रहा है.
विधेयक के साथ आपत्ति भी भेजन की परंपरा
उन्होंने कहा कि यह परंपरा रही है कि जो भी विधेयक राज्यपाल द्वारा वापस भेजा जाता था, तो राजभवन द्वारा राज्यपाल का संदेश (आपत्ति) भी भेजा जाता था. पूर्व राज्यपाल और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उदाहरण प्रस्तुत हुए कहा कि वे जब पूर्ववर्ती रघुवर सरकार द्वारा सीएनटी-एसपीटी संशोधन एक्ट विधेयक वापस किया था, तो उन्होंने अपना संदेश भी प्रेषित किया था.
पूर्व राज्यपाल रमेश बेस ने बिल वापस तो किया, लेकिन संदेश नहीं प्रेषित किया
श्री भट्टाचार्य ने तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती मुर्मू द्वारा हस्ताक्षारित आपत्ति भी दिखायी. उन्होंने कहा की पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने इन तीनों बिल को वापस तो किया, मगर उसका संदेश नहीं प्रेषित नहीं किया. हद तो तब हो गयी कि वर्तमान राज्यपाल ने भी इसे अभी तक भेजना उचित नहीं समझा. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान राजयपाल सीडी राधाकृष्णन भी भाजपा को एजेंडे को पूरा करने यहां आये हैं. जिला-टोला में घूमते हैं पर संवैधानिक काम नहीं करते.
राजभवन के अफसरों को कर्तव्यबोध नहीं
उन्होंने कहा कि राजभवन में कार्यरत अफसरों को भी अपने कर्त्तव्यों का बोध नहीं है. राज्यहित से जुड़े सरकार के फैसलों पर राजभवन सचिवालय को क्या करना है, यह भी क्या उन्हें पता नहीं है. आखिरकार अफसर किनके इशारे पर काम रहे हैं.उन्होंने राजभवन को चुनौती देते हुए कहा कि क्या राज्य की विकासशील सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है. क्या राज्य सरकार को जनहित से जुड़े काम करने से रोका जा रहा है. अगर ऐसा है तो झामुमो किसी से डरने वाली नहीं है.
सुभाष मुंडा की हत्या सुनियोजित है
जेएमएम के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या सुनियोजित है. अपराधी ऑफिस में घुसकर गोली चलायी है. पर कोई अपराधी बचेगा नहीं.
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