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EXPLAINER: जेपी नड्डा की टीम में छत्तीसगढ़ के 3 नेता, जानें क्या हैं इसके राजनीतिक मायने

छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी टीम में बड़ा फेरबदल किया है. इसमें छत्तीसगढ़ को काफी अहमियत दी गयी है. दो महिला नेताओं को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह को उनके पद पर बरकरार रखा गया है.

छत्तीसगढ़ में विधानसभा और वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की टीम में प्रदेश के तीन नेताओं को जगह मिली है. सूबे के मुखिया डॉ रमन सिंह पहले से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे, उन्हें अपने पद पर बरकरार रखा गया है. इसके अलावा दो महिला नेताओं को नड्डा ने अपनी टीम में अहमियत दी है. राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे और डॉ रमन सिंह के मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुकीं लता उसेंडी को भी उन्होंने अपनी टीम में शामिल किया है.

सरोज पांडे, लता उसेंडी बनीं बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

सरोड पांडे और आदिवासी नेता लता उसेंडी दोनों को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. संगठन में छत्तीसगढ़ की इन दोनों महिला नेताओं का कद बढ़ा है. बीजेपी ने यह संकेत दे दिया है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव 2024 पर भी उसकी पूरी नजर है. यही वजह है कि संगठन की राष्ट्रीय टीम में उसके तीन-तीन नेताओं को शामिल किया गया है.

लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले 50 फीसदी से ज्यादा वोट
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में 1,36,14,453 वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, जिसमें 50.7 फीसदी वोट (69,02,477 मत) बीजेपी को मिले थे. कांग्रेस के खाते में 40.91 फीसदी (55,69,183 मत) वोट आये, लेकिन उसके उम्मीदवार सिर्फ दो सीट पर ही जीत दर्ज कर पाये.

वोटर्स को साधने के लिए जेपी नड्डा ने उठाये ये कदम

झारखंड की सीमा से सटे इलाकों के वोटर्स को साधने की भी कोशिश जेपी नड्डा ने की है. इसके लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को टीम में बरकरार रखा है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों की सीमाएं झारखंड से लगती हैं. दोनों राज्य आदिवासी बहुल हैं. छत्तीसगढ़ के सीएम ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी है. कहा कि चुनाव को देखते हुए इन लोगों का कद थोड़ा बढ़ाया गया है. सरोज पांडे राष्ट्रीय महासचिव रहीं हैं और लता उसेंडी रमन सिंह की सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं.

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छत्तीसगढ़ के लगातार 15 साल सीएम रहे डॉ रमन सिंह

छत्तीसगढ़ में पहली बार कांग्रेस की अगुवाई में सरकार बनी थी. अजित जोगी इस नये प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. छत्तीसगढ़ में पहली बार जब चुनाव हुए, तो बीजेपी ने कांग्रेस की सरकार को पराजित कर दिया. डॉ रमन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने लगातार 15 साल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया. वर्ष 2018 में सत्ताविरोधी लहर चली और भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की. अब पांच साल बाद बीजेपी फिर से सत्ता में वापसी के इरादे से चुनाव के मैदान में उतरना चाहती है.

डॉ रमन सिंह पर बढ़ा बीजेपी का भरोसा

यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के बड़े और प्रतिष्ठित चेहरों को इस अभियान में फ्रंट पर रखा जा रहा है. हालांकि, चर्चा थी कि बीजेपी में डॉ रमन सिंह का कद छोटा होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पार्टी ने चुनाव से पहले एक बार फिर रमन सिंह पर भरोसा जताया है. यही वजह है कि जुलाई के दूसरे सप्ताह में (7 जुलाई को) जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ की यात्रा पर आये, तो उनके पोस्टर में पीएम के साथ किसी नेता का बड़ा चेहरा था, तो वो थे डॉ रमन सिंह.

15 साल तक मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह
डॉ रमन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने लगातार 15 साल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया. वर्ष 2018 में सत्ताविरोधी लहर चली और भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की. अब पांच साल बाद बीजेपी फिर से सत्ता में वापसी के इरादे से चुनाव के मैदान में उतरना चाहती है.

ओम माथुर ने दिया था ये बयान

दरअसल, छत्तीसगढ़ के प्रभारी ओम माथुर ने जब यह कहा कि वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव कमल छाप पर लड़ा जायेगा, तो ऐसा लगा कि डॉ रमन सिंह की अहमियत पार्टी में कम हो गयी है. उन पर बीजेपी को भरोसा नहीं रहा. लेकिन, संगठन के किसी भी कार्यक्रम में कभी भी रमन सिंह का कद छोटा नहीं दिखा. अब जबकि लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी बीजेपी के चीफ जेपी नड्डा ने अपनी टीम में फेरबदल किया, तो डॉ सिंह को उनके पद पर बरकरार रखा. यह बताता है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लिए रमन सिंह जरूरी हैं.

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दुर्ग की बड़ी और सम्मानित नेता हैं सरोज पांडे

पार्टी ने छत्तीसगढ़ की दो महिला नेताओं को भी जगह दी है. इसमें एक सरोज पांडे हैं, तो दूसरी हैं लता उसेंडी. सूबे के वोटर्स को साधने के लिए ही जेपी नड्डा ने यह कदम उठाया है. सरोज पांडे को लंबे अरसे तक संगठन में काम करने का अनुभव है. केंद्रीय टीम में भी बहुत दिनों तक रहीं हैं. यही वजह है कि उनका कद बढ़ाकर उन्हें महासचिव से उपाध्यक्ष बनाया गया है. दुर्ग संभाग की इस प्रभावशाली महिला नेता की अलग अहमियत है. प्रदेश में उनका काफी सम्मान है. खुद भूपेश बघेल ने कहा है कि सरोज पांडे की अपनी पहचान है.

बस्तर संभाग की प्रभावशाली नेता हैं लता उसेंडी

जिस तरह दुर्ग संभाग में सरोज पांडे प्रभावशाली नेता हैं, उसी तरह आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में बीजेपी की सबसे प्रभावशाली व मजबूत नेता मानी जातीं हैं लता उसेंडी. बस्तर में पार्टी की स्थिति सुधारने में बीजेपी जोर-शोर से जुटी हुई है. जेपी नड्डा के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद इस क्षेत्र में पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती देने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. इसलिए लता उसेंडी को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है.

लता उसेंडी ने पार्षद के रूप में शुरू किया राजनीतिक करियर

डॉ रमन सिंह की कैबिनेट में महिला बाल विकास की मंत्री रहीं लता उसेंडी जमीन से जुड़ी नेता हैं. लंबे समय से संगठन से भी जुड़ी रहीं हैं. पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाली लता उसेंडी ने लगातार दो बार विधानसभा का चुनाव जीता और बीजेपी का आदिवासी चेहरा बनकर उभरीं. वर्ष 2003 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था. इसके पहले वह बीजेपी युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थीं.

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बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ की अहमियत

इन तीन चेहरों को संगठन में मिली अहमियत से आप समझ गये होंगे कि बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ कितना अहम है. वर्ष 2018 में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत बढ़िया नहीं रहा था. सत्ताविरोधी लहर का सामना करना पड़ा और पार्टी 90 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव मं 15 सीट पर सिमट गयी थी. कांग्रेस ने 68 और बसपा ने 2 सीटें जीतीं. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के खाते में 5 सीटें आयीं थीं. अब बीजेपी सत्ता में फिर से वापसी करना चाहती है.

कौन हैं लता उसेंडी?
आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में बीजेपी की सबसे प्रभावशाली व मजबूत नेता मानी जातीं हैं लता उसेंडी. बस्तर में पार्टी की स्थिति सुधारने में बीजेपी जोर-शोर से जुटी हुई है. जेपी नड्डा के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद इस क्षेत्र में पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती देने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

विधानसभा हारने के बाद लोकसभा में 9 सीटें जीतीं

वर्ष 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पराजित होने के बावजूद बीजेपी ने वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में सूबे की 11 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 300 से अधिक सीटें जीतकर दोबारा सत्ता हासिल की थी. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में 1,36,14,453 वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, जिसमें 50.7 फीसदी वोट (69,02,477 मत) बीजेपी को मिले थे. कांग्रेस के खाते में 40.91 फीसदी (55,69,183 मत) वोट आये, लेकिन उसके उम्मीदवार सिर्फ दो सीट पर ही जीत दर्ज कर पाये.

छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में है विधानसभा चुनाव

यूं तो बीजेपी हर राज्य में होने वाले चुनावों को अहमियत देती है. पूरे जोर-शोर से चुनाव लड़ती है. लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी उन राज्यों में अभी से तैयारी कर रही है, जहां विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इस साल छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं. इन राज्यों को साधने के लिए ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी टीम में फेरबदल किया है. कई लोगों को टीम से बाहर किया गया है, तो कई नये लोगों को टीम में शामिल किया गया है. कई लोगों का कद भी बढ़ाया गया है.

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अमित शाह ने तीन बार किया छत्तीसगढ़ का दौरा

बीजेपी चुनावों को कितना महत्व देती है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद दो महीने में तीन बार छत्तीसगढ़ का दौरा कर चुके हैं. पार्टी ऑफिस में शीर्ष पदाधिकारियों के साथ उन्होंने गंभीर और गुप्त मंत्रणा भी की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार रायपुर की यात्रा की. जेपी नड्डा की टीम में फेरबदल से पहले बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में आदिवासी नेता विष्णु देव राय के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता धरमलाल कौशिक को शामिल किया.

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