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मेरठ: खाकी की लापरवाही से 10 रोहिंग्या रात में चकमा देकर फरार, ATS ने छह जिलों से पकड़े थे 74 लोग, जानें मामला

यूपी एटीएस ने बीते दिनों पश्चिमी यूपी के छह जनपदों से जिन 74 रोहिंग्या को पकड़ा था, उनके मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. मेरठ में ऐसे दस लोग रात के अंधरे में चकमा देकर फरार हो गए और किसी को भनक तक नहीं लगी. अब पुलिस इनकी तलाश की बात कह रही है.

Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में पुलिस की लापरवाही के कारण रोहिंग्या परिवार रात के अंधेरे में फरार हो गया. परिवार के 10 सदस्यों को खरखौदा में विगत 24 जुलाई को खरखौदा के अल्लीपुर से पकड़ा गया था.

31 जुलाई तक का दिया गया था समय

इनमें से छह सदस्यों ने शरणार्थी यानी यूएनएचसीआर (यूनाइटेड नेशनल हाई कमिश्नर फोर रिफ्यूजी) कार्ड दिखाया था, जबकि बाप-बेटे समेत चार लोगों को 31 जुलाई तक कार्ड दिखाने के लिए कहा गया था. इससे पहले ही पूरा परिवार फरार हो गया. अब इन सभी पर शक और गहरा गया है. मेरठ पुलिस इनकी तलाश में जुट गई है.

पुलिस कार्रवाई का सता रहा था डर

स्थानीय लोगों के मुताबिक विगत 24 जुलाई को एटीएस ने 17 घंटे तक पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया था. इसके बाद से ही पूरा परिवार काफी परेशान नजर आ रहा था. उन्हें डर सता रहा था कि पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. इसी वजह से वह अब वह मौका पाकर रात के समय अपना जरूरी सामान लेकर फरार हो गए. परिवार के सदस्य इतनी गुपचुप तरीके से गए कि किसी को भनक तक नहीं लगी.

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तीन दिनों तक घर में लटका रहा ताला

बाद में किराये पर रहने वाले अन्य लोगों ने जब अगले दिन घर में ताला लगा देखा, तब भी उन्हें परिवार के फरार होने का एहसास नहीं हुआ. लोगों को लगा कि परिवार के सदस्य किसी काम से बाहर गए होंगे. इसके बाद अब जब तीन दिनों तक घर में ताला लटका रहा तो लोगों के बीच चर्चा शुरू हुई. इसके बाद पूरे घटनाक्रम से पुलिस को अवगत कराया गया. वहीं पूछताछ में पता चला है कि मकान मालिक से लेकर किसी को भी यह पता नहीं है कि परिवार आखिर कहां चला गया है.

गंभीर मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर

ऐसे में इन लोगों के बारे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि जब छह लोगों के पास कार्ड मिल गए थे तो चार के पास कार्ड क्यों नहीं मिले? यदि उनके कार्ड खो भी गए थे तो उसका कोई तो उनके पास होना चाहिए था, जिसे वह सबूत के तौर पर पुलिस को दिखा सकते थे.

वहीं मामले में पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है. जब चार लोगों को कार्ड दिखाने के लिए समय दिया गया तो उन पर पुलिस ने नजर क्यों नहीं रखी? पुलिस की लापरवाही के कारण ही परिवार के सदस्य चकमा देकर फरार होने में सफल रहे. अब पुलिस सिर्फ लकीर पीटती नजर आ रही है. यहां तक की इस प्रकरण में अभी तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई है.

इस प्रकरण पर नजर डालें तो विगत 24 जुलाई को एटीएस मेरठ और मुरादाबाद की टीम ने अल्लीपुर गांव नसीम के मकान पर छापा मारा था. यहां म्यांमार के मोंडू जिला निवासी मूसा कलीम अपने परिवार के 10 सदस्यों के साथ किराये पर रहता था. रोहिंग्या परिवार के छह सदस्यों ने यूएनएचसीआर कार्ड दिखा दिया था, जबकि चार लोगों के पास कार्ड नहीं था.

12 साल से मेरठ को बनाया था ठिकाना

ऐसे में उन्हें कार्ड दिखाने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया गया था. बताया जा रहा है कि परिवार करीब 12 साल से यहां किराये पर रह रहा था. कई वर्ष तक पूर्व प्रधान के मकान में भी परिवार के सदस्य रहते थे. एक महीने पहले यह परिवार नसीम के मकान में किराये पर रहने के लिए आ गया था. परिवार के कई सदस्य मीट फैक्टरियों में काम करते थे.

इन 12 सालों में पुलिस ने कभी कोई जानकारी करना तक मुनाबिक नहीं समझा. वहीं अब प्रकरण के सुर्खियों में आने के बाद पुलिस खुद सवालों के घेरे में आ गई है. खरखौदा थानाध्यक्ष राजीव कुमार के मुताबिक इस प्रकरण की जानकारी मिली है. उच्च अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों को भी मामले से अवगत करा दिया गया है. पूरे परिवार की अलग अलग क्षेत्रों में तलाश की जा रही है.

पश्चिमी यूपी से पकड़े गए थे 74 रोहिंग्या

हैरानी वाली बात है कि पुलिस की ये लापरवाही तब उजागर हुई है, जबकि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार घुसपैठियों को लेकर सख्ती बरत रही है. यूपी एटीएस (UP ATS) की बीते दिनों इसे लेकर कार्रवाई सुर्खियों में रही. पश्चिमी यूपी के छह जनपदों में एटीएस ने एक साथ छापेमारी कर 74 रोहिंग्या (Rohingya) पकड़े हैं. इनमें मथुरा से 31, अलीगढ़ से 17, गाजियाबाद से 4, हापुड़ से 13, मेरठ-सहारनपुर से 2-2 रोहिंग्या को अरेस्ट किया गया है. गिरफ्तार रोहिंग्ये मीट फैक्टरी में भी नौकरी करते थे.

एटीएस के मुताबिक 24 जुलाई को अलग अलग टीम ने मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, मथुरा, अलीगढ़, हापुड़ छह जिलों में छापेमारी की. एटीएस को काफी समय से इन जिलों में रोहिंग्याओं की मौजूदगी की जानकारी मिल रही थी. पकड़े गए रोहिंग्याओं में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. गिरफ्तार रोहिंग्याओं के पास से कुछ दस्तावेज भी बरामद हुए हैं, जिनकी जांच अभी जारी है.

बॉर्डर पार कराने वालों से लेकर शरणदाताओं की जांच

गिरफ्तार रोहिंग्याओं को कई स्थानीय लोगों ने शरण दे रखी थी. कुछ मीट फैक्टरियों में काम कर रहे थे. गिरफ्तार रोहिंग्याओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं. एटीएस जांच कर रही है कि रोहिंग्याओं को कब और किसने बॉर्डर पार कराया था. उन्हें शरण देने वालों और इनके कागजात बनाने वाले कौन थे.

दरअसल पश्चिमी यूपी से रोहिंग्यों के शरण लेने के मामले सामने आते रहते हैं. उनको पकड़ा जाता रहा है. अब इस मामले में जिस तरह से परिवार के सदस्य फरार हुए हैं, उससे उन पर शक गहरा गया है.

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