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लोकसभा में पेश हो सकता है दिल्ली अध्यादेश बिल! AAP ने जारी किया व्हिप, कहा- मौजूद रहें पार्टी के सभी सांसद

सदन में मोदी सरकार की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश बिल को पेश कर सकते हैं. हालांकि मोदी कैबिनेट इस बिल पर पहले ही मुहर लगा चुकी है. जबकि, दिल्ली की आम आदमी पार्टी अध्यादेश का पुरजोर विरोध कर रही है.

संसद का मानसून आज फिर गरमा सकता है. केन्द्र सरकार आज सदन में दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित संशोधन विधेयक पेश कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों को यह बिल वितरित कर दिया गया है. दो दिन की छुट्टी के बाद आज यानी सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू हो रही है. वहीं, सदन में मोदी सरकार की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश बिल को पेश कर सकते हैं. हालांकि मोदी कैबिनेट इस बिल पर पहले ही मुहर लगा चुकी है. जबकि, दिल्ली की आम आदमी पार्टी अध्यादेश का पुरजोर विरोध कर रही है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बिल के खिलाफ अन्य विपक्षी दलों से मदद मांगी है. ऐसे में संसद के दोनों सदनों में आज जोरदार हंगामे के आसार हैं. गौरतलब है कि 20 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में अब तक मणिपुर हिंसा मुद्दा ही छाया रहा है. 

बिल के विरोध में दिल्ली की AAP सरकार

इधर, केन्द्र के अध्यादेश पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार शुरू से ही कड़ा ऐतराज जता रही है. अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने देश के कई राज्यों में दौरा कर विपक्षी दलों से बिल के खिलाफ उनका समर्थन करने की अपील की है. उन्होंने विपक्षी दलों से बिल को सदन में चुनौती देने के लिए समर्थन की मांग कर रहे थे. सीएम केजरीवाल ने ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे समेत कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात कर समर्थन की अपील की थी. हालांकि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के उन्हे समर्थन का आश्वासन दिया है. ऐसे में केन्द्र सरकार के इस के खिलाफ विपक्षी गठबंधन I-N-D-I-A की यह पहली परीक्ष होगी. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इस बिल को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

AAP ने जारी किया व्हिप

वहीं, लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों को 31 जुलाई से 4 अगस्त तक सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है. वहीं, दिल्ली अध्यादेश मामले में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा है कि आज संसद में पेश किया जाने वाला यह अध्यादेश अलोकतांत्रिक है. यह न सिर्फ देश के संविधान के खिलाफ है, बल्कि दिल्ली के 1.2 करोड़ लोगों के भी खिलाफ है. बीजेपी समझ गई है कि दिल्ली में उनका अस्तित्व खत्म हो गया है. हाईकमान ने दिल्ली सरकार को बर्बाद करने के लिए यह फैसला लिया है.

इन बिल को मंजूरी के लिए लोकसभा में किया गया सूचिबद्ध

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में और संशोधन करने के लिए आज लोकसभा में जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 को विचार और पारित करने के लिए पेश करेंगे. इसके अलावा भी लोकसभा के मानसून सत्र में कई बिलों को सूचिबद्ध किया गया है. संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2023, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2023, जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023, अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक 2023, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2023 समेत कई और बिलों को सरकार इस मानसून सत्र में पेश कर सकती है.

मणिपुर मुद्दे को लेकर गरमा सकता है सदन

दिल्ली अध्यादेश से इतर सदन मणिपुर हिंसा मामले में एक बार फिर गरमा सकता है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को लेकर सदन में हंगाना कर रहा है. बीते दिनों विपक्ष के कई नेता मणिपुर दौरे से भी लौट चुके हैं. उन्होंने मणिपुर की हालात का जायजा लिया, पीढ़ितों से मुलाकात की. इसके बाद विपक्षी प्रतिनिधिमंडल ने अपने दौरे में मणिपुर के ताजा हालात पर एक रिपोर्ट तैयार की है. विपक्षी नेताओं ने इसे सदन में पेश करने की बात कही है. ऐसे में संसद में मणिपुर के मद्दे को लेकर एक बार फिर सदन में जोरदार हंगामा हो सकता है.

जल्द नहीं निकला समाधान तो और बिगड़ेंगे और हालात- विपक्ष

इधर, विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I-N-D-I-A) ने कहा कि अगर मणिपुर में करीब तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष को जल्द हल नहीं किया जाता है, तो इससे देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं. विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के 21 सांसदों ने मणिपुर का दौरा करने के बाद राजभवन में राज्यपाल अनसुइया उइके से मुलाकात कर उन्हें राज्य के मौजूदा हालात पर ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में इन सांसदों ने राज्य में शांति और सद्भाव लाने के लिए प्रभावित लोगों के तत्काल पुनर्वास की मांग की है. दावा किया कि सरकारी तंत्र पिछले तीन महीने के दौरान स्थिति पर नियंत्रण पाने में नाकाम रहा है. राहत शिविर में स्थिति बहुत दयनीय है.

सार्थक कदम उठाये सरकार- अधीर रंजन

राजभवन के बाहर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्यपाल ने हमारी बातें सुनीं और उन पर सहमति जतायी. उन्होंने कहा कि सांसदों ने मणिपुर में जो स्थिति देखी, उसके बारे में संसद में एक रिपोर्ट पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य के ऐसे हालात बन गये हैं कि घाटी के लोग (मेइती) पर्वतीय क्षेत्र में नहीं जा सकते और पर्वतीय क्षेत्र (कुकी)के लोग घाटी में नहीं आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि राशन सहित अन्य आवश्यक सामान की भारी किल्लत है. हमने राज्यपाल को ये सभी बातें बतायी हैं. विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंच गया है. दिल्ली एयरपोर्ट पर चौधरी ने कहा कि मणिपुर में अनिश्चितता और भय व्याप्त है. सरकार को कदम उठाना चाहिए.

लोगों को गुमराह कर रहे विपक्षी दल : चुघ

इधर, बीजेपी नेता तरुण चुघ ने लुधियाना में कहा कि मणिपुर हिंसा को लेकर कुछ विपक्षी दल झूठ फैला रहे हैं और अपने हितों के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस नेताओं को याद दिलाया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित लोग अभी भी शिविरों में रह रहे हैं. सवाल किया कि क्या कांग्रेस ने कभी उन शिविरों का दौरा करने के लिए ऐसे किसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया?

ममता ने शांति कायम करने की अपील की : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने मणिपुर के लोगों से रविवार को मानवता की खातिर शांति कायम करने की अपील की.

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