कैलाशपति मिश्र,पटना. नीति आयोग ने एक्सपर्ट इंडेक्स जारी किया है. जिसमें बिहार का देश में ओवर ऑल 22 वां स्थान है. बिहार धीरे-धीरे निर्यात के हर पैमाने पर आगे बढ़ रहा है. अभी देश के कुल निर्यात में बिहार का मात्र 0.52 फीसद ही भागीदारी है,जिसे 2025 तक बढ़ाकर 10 करने की योजना है.एक्सपोर्ट इंडेक्स के अन्य पैमाने पर भी बिहार धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है.बिजनेस इकोसिस्टम में 27 वां, निर्यात नीति के मामले में 13 वां, निर्यात इकोसिस्टम में 25 वां और निर्यात परफॉरमेंस में 29 वां और लैंडलॉक स्टेट से होने वाले निर्यात में बिहार का 9 वां स्थान है. नीति आयोग ने इस बात भी खुलासा किया है कि वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और क्लस्टर योजना लागू होने के बाद से बिहार से निर्यात बढ़ रहा है. बिहार में सबसे अधिक निर्यात बेगूसराय जिला से हो रहा हैॅ. आजादी के 75 साल के अवसर पर आयोजित अमृत महोत्सव के तहत बिहार से दुनिया के 75 देशों में निर्यात की योजना है.
बुनियादी सुविधा अभी तक विकसित नहीं
राज्य में निर्यात के लिए बुनियादी सुविधा का अभावराज्य में निर्यात के लिए बुनियादी सुविधा अभी तक विकसित नहीं हुई है. न तो राज्य में अभी तक कोई विशेष आर्थिक परिक्षेत्र (एसईजेड) बना है, न कस्टम क्लियरेंस की सुविधा निर्यातकों उपलब्ध करवााई गयी है. बिहटा में इनलैंड कंटेनर डिपो तो है,लेकिन वहां कोई विशेष सुविधा नहीं है.निर्यात के लिए पोर्ट या एयरपोर्ट तक उत्पाद पहुंचाने के लिए भाड़े में सब्सिडी तक की व्यवस्था नहीं की गयी है, हालांकि कई केंद्रीय एजेंसी राज्य के निर्यातक को मदद करने के लिए आगे आई है.
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इपीसीएच और आइएसइपीसी मदद को आया आगे
बिहार के हस्तशिल्प उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए एक तरफ जहां एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ हैंडिक्राफ्ट (इपीसीएच) आगे आया है, वहीं सिल्क निर्यातक को मदद के लिए इंडियन सिल्क एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (आइएसइपीसी). केंद्रीय योजना के तहत निर्यातक को अंतरराष्ट्रीय मेला में भाग लेने के लिए 1.25 लाख तक की मदद सरकार देगी.
दर्जनभर उत्पादों को जीआई टैग
बिहार के एक दर्जन से अधिक उत्पाद ज्योग्राफिकल इंडीकेशन (जीआइ) टैग लेकर भी निर्यात नीति नहीं होने के कारण आगे नहीं बढ़ रहे हैं. स्थान-क्षेत्र विशेष के उत्पाद को जीआई टैगिंग मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार आसानी से मिल जाता है. वैश्विक पैमाने पर ग्राहकों का विश्वास मिलता है.मधुबनी पेंटिंग, मुजफ्फरपुर की शाही लीची,मखाना, सीतामढ़ी की सुजनी, सिक्की आर्ट्स, भागलपुरी सिल्क, करतनी चावल, जर्दालु आम, सिलाव का खाजा और मगही पान आदि जीआई टैग हासिल कर चुके हैं.जीआई टैग बगैर बिहार से गेहूं, चावल, मक्का, बेबीकॉर्न, सब्जी, दवाएं, चमड़े का सामान और मांस के साथ-साथ पेट्रो उत्पादों का भी निर्यात होता है.
बिहार से होने वाला कृषि निर्यात 2617 करोड़
राज्य से होने वाले कृषि निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बिहार से वर्ष 2021 तक 2671 करोड़ रुपए का कृषि वस्तुओं का निर्यात किया गया है. राज्य से होने वाले निर्यात में मुजफ्फरपुर की शाही लीची,भागलपुर का करतनी चावल,जर्दालु आम,गेहूं, चावल, मक्का,बेबीकॉर्न और सब्जी आदि है.बिहार के हस्तशिल्प उत्पाद की मांग दुनिया के कई देशों में हो रही है.अधिकांश वस्तुओं का निर्यात दूसरे राज्यों से होता है. अब धीरे-धीरे बिहार से भी निर्यात होने लगा है. बिहार से सालाना 36 करोड़ रुपए की हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्यात हो रहा है. इससे बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
आयात-निर्यात बैंक के अध्ययन आधारित सुझाव
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उत्पादों की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से हों, इसकी मॉनिटरिंग के लिए बुनियादी ढांचा सुधारें। निर्यातकों को वित्तीय प्रोत्साहन दें, निर्यात संवर्धन अभियान चलाएं.
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मुजफ्फरपुर और भागलपुर में अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) स्थापित करने और पटना के मौजूदा आईसीडी में एक कस्टम क्लीयरेंस ऑफिस बनाएं. निर्यात के लिए जरूरी सर्टिफिकेशन की व्यवस्था दें.
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राज्य में वेयरहाउसिंग और कोल्ड चेन के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के साथ पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में विशेष आर्थिक परिक्षेत्र का विकास करें.
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बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के अभाव में निर्यातकों की लागत बढ़ जाती है. इसे कम करने के लिए ढुलाई-भाड़ा में सब्सिडी दें. राज्य नीति के कारण निर्यातकों का खर्च बढ़े तो रिफंड दें.
जिसका उत्पादन अधिक, उसका निर्यात कम
उत्पाद कुल निर्यात में हिस्सा
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पेट्रोलियम उत्पाद 66%
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मांस 6%
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चावल 10%
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दवाएं 3.7%
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गेहूं 1.3%
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फल एवं सब्जी 1.2%
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मशीनरीज 0.8%
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हस्तशिल्प 1.0%