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How To: सावन में कैसे करें शिव के विशाल स्वरूप का दर्शन, क्या है महत्व

देश-दुनिया में उनकी विशाल प्रतिमाएं बनायी गयी हैं, जो सत्यम शिवम सुंदरम का संदेश देती हैं. आज हम सावन महीने की चौथी सोमवारी पर भगवान शिव के विशालकाय स्वरूप चर्चा करेंगे.

सावन का पावन महीना चल रहा है. हर तरफ हर-हर महादेव और बोल-बम के जयकारे से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव की आराधना और दर्शन करने का विशेष महत्व है. प्रकृति के कण-कण में बसने वाले देवाधिदेव महादेव की महिमा, उनके विराट स्वरूप का बखान सिर्फ शब्दों में नहीं हो सकता. यही वजह है कि देश-दुनिया में उनकी विशाल प्रतिमाएं बनायी गयी हैं, जो सत्यम शिवम सुंदरम का संदेश देती हैं. ऐसे में आज हम सावन महीने की चौथी सोमवारी पर भगवान शिव के विशालकाय स्वरूप और उनकी महत्व पर चर्चा करेंगे.

शिव प्रतिमा, मुरुंदेश्वर, कर्नाटक

दुनिया के दूसरे नंबर की शिव प्रतिमा कर्नाटक के मुरुंदेश्वर में है. पद्मासन की मुद्रा में मुरुंदेश्वर मंदिर के बाहर स्थापित इस शिव प्रतिमा की ऊचाई 123 फीट है. यह कंडुक गिरि नामक पर्वत पर स्थापित है और तीन ओर से पानी से घिरा यह मुरुंदेश्वर मंदिर भगवान भोलेशंकर को समर्पित है. कहा जाता है कि इस प्रतिमा को आरएन शेट्टी ट्रस्ट ने साल 1982 में बनवाया था. भगवान शिव की यह प्रतिमा कंक्रीट से बनी है और इसे पारंपरागत भारतीय शैली में बनाया गया है. कंदुका पहाड़ी पर तीन ओर से पानी से घिरा मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.

विश्वास स्वरूपम नाथद्वारा, राजस्थान

राजस्थान के राजसमंद जिले में श्रीनाथ जी की पावन धरा पर दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है, जिसका नाम ‘विश्वास स्वरूपम’ है. नाथद्वारा की यह भव्य शिव प्रतिमा 369 फीट ऊंची है और 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी हुई है. इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान और अल्हड़ मुद्रा में विराजे हुए हैं. यह प्रतिमा इतनी विशाल है कि करीब 20 किलोमीटर दूर से ही दिखायी देती है. रात्रि में भगवान शिव की इस प्रतिमा का स्वरूप और भी भव्य लगता है.

यहां पर विशेष लाइटिंग की भी व्यवस्था की गयी है. प्रतिमा के अंदर सबसे ऊपरी हिस्से में जाने के लिए चार लिफ्ट और तीन सीढ़ियां बनी हुई हैं. इस प्रतिमा के निर्माण में करीब 10 साल लगे. साथ ही इसमें 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट व रेत का इस्तेमाल हुआ है.

सर्वेश्वर महादेव वडोदरा, गुजरात

भगवान सर्वेश्वर महादेव की विशाल प्रतिमा गुजरात के वडोदरा शहर में स्थित है, जिसकी ऊंचाई करीब 111 फीट है. आश्चर्य बात यह है कि इस विशालकाय प्रतिमा पर सोने का लेप चढ़ाया गया है. वडोदरा के सूरसागर में स्थािपत महादेव की इस प्रतिमा को सोने का लेप चढ़ाने में करीब 12 करोड़ की धनराशि खर्च हुई. इस काम में 17.5 किलोग्राम सोना लगा है. कहा जाता है कि ऐतिहासिक सूरसागर तालाब का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था. इस तालाब को चांद तालाब के नाम से भी जाना जाता है. भगवान भोलेशंकर की यह विशाल प्रतिमा वड़ोदरा महानगर सेवा सदन ने स्थापित की है.

नागेश्वर महादेव द्वारका, गुजरात

भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 केवल गुजरात में ही हैं पहला सोमनाथ महादेव और दूसरा नागेश्वर महादेव. पहले यह मंदिर इतना विशाल नहीं था, लेकिन टी-सीरिज के निर्माता गुलशन कुमार ने इसे इतना भव्य रूप दिया. मंदिर परिसर के बाहर भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा लगी हुई है, जिसकी ऊंचाई लगभग 82 फीट और चौड़ाई 25 फीट है. यहां भगवान शिव का एक हाथ जप मुद्रा में और दूसरा हाथ वरदान मुद्रा में है.

शिवगिरि महादेव बीजापुर, कर्नाटक

कर्नाटक के बीजापुर स्थित शिवपुर में शिव महिमा का बखान करता भव्य शिवमंदिर शिवगिरी है. इस मंदिर में 85 फीट की भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा है. इस प्रतिमा में शिवजी को योगेश्वर स्वरूप में दिखाया गया है. शिवजी पद्मासन लगाकर बैठे हैं और उनके दोनों हाथ जप मुद्रा में हैं.

शिव प्रतिमा नामची, सिक्किम

दक्षिणी सिक्किम के नामची में सोलोफोक पहाड़ी पर स्थित है, चारधाम नामची शिव. यह शिव प्रतिमा 108 फीट ऊंची है. जिस जगह पर यह प्रतिमा है, वहां पर चारधाम समेत कई मंदिरों और 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिमाएं स्थापित हैं. इस स्थान को सिद्धेश्वर धाम और किरातेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है.

मंगल महादेव बिड़ला कानन, नयी दिल्ली

नयी दिल्ली स्थित रंगपुरी में बना मंगल महादेव बिड़ला कानन मंदिर भगवान शिव और अन्य देवताओं की विशाल मूर्तियों के लिए काफी प्रसिद्ध है. बिड़ला कानन मंदिर में मंगल महादेव भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट है. इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी बैल, सीता-राम, राधा-कृष्ण और भगवान गणेश की प्रतिमा भी है. ये सभी मूर्तियां विशाल एवं कांस्य की बनी हैं, जिससे मंदिर बेहद खूबसूरत और अद्भुत दिखता है.

कचनार महादेव जबलपुर, मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के कचनार शहर में शिव मंदिर के पास स्थापित इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 76 फीट है. यहां भगवान शिव कर्पूर गौरं रूप में पद्मासन की मुद्रा ध्यान करते हुए दिखते हैं. भगवान शिव का यह रूप मन मोह लेने वाला है. यहां 12 ज्योतिर्लिंग भी बनाये गये हैं.

आदियोगी शिव कोयंबटूर, तमिलनाडु

आदियोगी शिव प्रतिमा तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 112 फीट है. यह दुनिया में शिव की सबसे बड़ी बस्ट स्टैच्यू है. इसे सद‌्गुरु जग्गी वासुदेव ने डिजाइन किया है. यह प्रतिमा स्टील की बनी हुई है और इसका वजन करीब 500 टन है. इसमें शिव को आदियोगी के रूप में बताया गया है. यह हिंदू संस्कृति में योग और ध्यान की महत्ता बताती है. धातु के छोटे-छोटे टुकड़ों को मिलाकर शिव के चेहरे की प्रतिमा को बनाया गया है.

पायलट बाबा धाम सासाराम, बिहार

बिहार के सासाराम स्थित पायलट बाबा धाम में भगवान शिव की 111 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. यह देश की चौथी सबसे ऊंची शिव प्रतिमा और बिहार में भगवान शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा है.पायलट बाबा आश्रम में ही सोमनाथ मंदिर के तर्ज पर एक नये सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया गया है. इस भव्य मंदिर में ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव स्थापित हैं. इस मंदिर और प्रतिमा का निर्माण महायोगी पायलट बाबा ने कराया है. यह अपने निर्माण काल से ही श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा है. भगवान शिव की प्रतिमा में उनका त्रिशूल मूर्ति से भी ऊंचा है. इस पर तड़ित चालक लगाया गया है, ताकि आकाशीय बिजली से इस ऊंची प्रतिमा को कोई क्षति नहीं पहुंचे.

शिव प्रतिमा, हर की पौड़ी, हरिद्वार

भगवान शिव की यह विशाल प्रतिमा हरिद्वार में हर की पौड़ी पर स्थित है. यह प्रतिमा खड़ी मुद्रा में है और 100.1 फीट ऊंची होने के कारण गंगा किनारे से श्रद्धालु इस प्रतिमा के दर्शन कर सकते हैं. अगर हरिद्वार में गंगा स्नान करने का अवसर मिले, तो इस प्रतिमा का दर्शन अवश्य करें. सनातन धर्म में हर की पौड़ी को पवित्र घाटों में से एक माना जाता है. यहां हर शाम हजारों दीपक के साथ गंगा आरती की जाती है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. वहीं, हर की पौड़ी के पीछे बलवा पर्वत की चोटी पर मनसा देवी का भी मंदिर है.

आदियोगी शिव कोयंबटूर, तमिलनाडु

आदियोगी शिव प्रतिमा तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 112 फीट है. यह दुनिया में शिव की सबसे बड़ी बस्ट स्टैच्यू है. इसे सद‌्गुरु जग्गी वासुदेव ने डिजाइन किया है. यह प्रतिमा स्टील की बनी हुई है और इसका वजन करीब 500 टन है. इसमें शिव को आदियोगी के रूप में बताया गया है. यह हिंदू संस्कृति में योग और ध्यान की महत्ता बताती है. धातु के छोटे-छोटे टुकड़ों को मिलाकर शिव के चेहरे की प्रतिमा को बनाया गया है.

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