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मलमास की दूसरी सोमवारी पर बाबाधाम में उमड़े भक्त, झूमते-गाते बाबा नगरी आ रहे कांवरिये

बांग्ला श्रावण की दूसरी व पुरुषोत्तम की सोमवारी को लेकर कांवरियों की संख्या में वृद्धि होने लगी. शिवगंगा से मंदिर तक कांवरियों का रेला बढ़ता देखा गया. सोमवारी पर जलार्पण करने के लिए कांवरिये रात से ही कतारबद्ध होने लगे. कंंधे पर कांवर लिए अलग-अलग जत्थों में कांवरिये झूमते-गाते बाबा नगरी आ रहे हैं.

Sawan 2023: पुरुषोत्तम मास एवं बंगला सावन के संगम पर कांवरियों का मौसम ने भी साथ दिया. पुरुषोत्तम मास की पहली तेरस पर बाबाधाम आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. कंंधे पर कांवर लिए अलग-अलग जत्थों में कांवरिये झूमते-गाते बाबा नगरी आ रहे हैं. बड़े दिनों बाद हुई बारिश ने छोटे-छोटे बच्चों से लेकर महिलाओं और बुजुर्ग कांवरियों को बड़ी राहत दीं. इधर, कांवरियों से अधिक पुरुषोत्तम मास में आये भक्तों की भीड़ रही. भक्तों की कतार दो-ढाई किमी तक पहुंच गयी थी. भक्तों को रविवार सुबह से ही जलसार चिल्ड्रेन पार्क के रास्ते से कतार में भेजने की व्यवस्था जारी रही. दोपहर 12 बजे तक कांवरियों की भीड़ कम होती चली गयी.

बांग्ला श्रावण की दूसरी सोमवारी पर बाबाधाम में उमड़े भक्त

श्रावण मास की चौथी और बांग्ला श्रावण की दूसरी व पुरुषोत्तम की सोमवारी को लेकर रविवार दोपहर से ही कांवरियों की संख्या में वृद्धि होने लगी. शिवगंगा से लेकर मंदिर तक कांवरियों का रेला बढ़ता देखा गया. सोमवारी पर जलार्पण करने के लिए कांवरिये रात से ही कतारबद्ध होने लगे. सोमवारी को अधिक भीड़ होने की संभावनाओं को देखते हुए रविवार शाम से ही पूरा प्रशासनिक महकमा रूटलाइन में व्यवस्था प्रबंधन में जुटा रहा. बाबा मंदिर प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है. जगह- जगह पुलिस बल, पदाधिकारी एवं दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गयी है. श्रद्धालुओं के लिए काफी मात्रा में पानी के पाउच मंगा कर रखे गये हैं. शीघ्र दर्शनम काउंटर पर भी सुबह से ही सुरक्षा के इंतजाम की व्यवस्था किये गये हैं.

पट खुलते ही परंपरा के तहत हुई बाबा बैद्यनाथ की कांचा जल और षोड्शोपचार विधि से सरदारी पूजा

मालूम हो कि हर दिन की तरह बाबा मंदिर का पट सुबह 03:15 बजे खुला. पट खुलने के साथ ही सबसे पहले मां काली के मंदिर में पूजा करने के बाद पुजारी सुमित झा ने बाबा मंदिर का पट खुलवाया. उसके बाद बाबा की कांचा जल पूजा की गयी. कांचा जल से पूजा के उपरांत पुजारी ने भक्तों के बीच फुलेल वितरण कर षोडशोपचार विधि से दैनिक सरदारी पूजा संपन्न करने के बाद अरघा के माध्यम से आम कांवरियों के लिए जलार्पण प्रारंभ कराया गया.

जत्थे में बढ़ रहे कांवरिये, बच्चे से लेकर बड़ों में उत्साह

शिवगंगा की ओर आ रहे सीवान के एक परिवार में शामिल तीन छोटे-छोटे बच्चे बाबा नगरिया दूर है, जाना जरूर है… बोलते हुए आगे बढ़ रहे थे. इस दौरान उनके मासूम चेहरों पर बाबा के प्रति निश्छल और नि:स्वार्थ भक्ति देख दूसरे कांवरिये भी उत्साहित हो रहे थे. इनमें छह और आठ साल की उम्र के दो बच्चे तो परिवार के साथ तीन दिनों में पैदल चलकर बाबा धाम पहुंचे हैं. सबसे छोटा वाला तीन साल का बच्चा बम पूरे रास्ते में करीब 10 किलो मीटर तक मां-पिता की गोद में चलकर आया तो कुछ जगहों पर साथ चल रहे कांवरियों ने सहारा दिया. हालांकि, अधिकतर दूरी इसने पैदल चलकर ही पूरी की.

पुरुषोत्तम मास में मुंडन संस्कार का है विधान

पुरुषोत्तम मास में बाबा मंदिर में जलार्पण के लिए भक्तों का तांता लग रहा है. इस दौरान भक्त अपने बच्चों का मुंडन कराते दिख रहे हैं. मान्यता है कि बाबा की कृपा से संतान सुख प्राप्ति व मनोकामना पूर्ण होने पर इस मास में बाबा मंदिर के प्रांगण में मुंडन का विधान है. रीवा से आये भक्त भैरो सिंह ने बताया कि बाबा की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति समेत अन्य मनोकामना पूर्ण होने पर बाबा दरबार में बच्चे का मुंडन करने का विधान वर्षों से चला आ रहा है. मुंडन के दौरान बाबा को अर्पित करने के लिए बनाये जा रहे पवित्र भोग रोट बनाने के पूर्व गुंथा हुआ आटा को गोद में रख मुंडन के दौरान निकले बाल को गुंथे हुए आटा में लपेट कर कुंड पर चढ़ाने की परंपरा है. इसका कारण है कि जिस तरह पवित्रता पूर्वक बाबा को रोट अर्पित करते हैं, उसी तरह मुंडन का भार उतार कर आटा में डाल कर अर्पित करने का है.

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