पटना. एनटीपीसी बाढ़ सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट के स्टेज-वन के 660 मेगावाट की दूसरी इकाई से सोमवार को वाणिज्यिक बिजली उत्पादन शुरू हो गया. इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा तय आवंटन के हिसाब से इस यूनिट से 60 प्रतिशत यानि 396 मेगावाट की अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति बिहार को मिलने लगी है. शेष बिजली झारखंड, ओडिसा और सिक्किम राज्यों को दी जा रही है. विगत 30 जून को ही इस इकाई का सफल ट्रायल ऑपरेशन के साथ ही जरूरी कमीशनिंग गतिविधियां को पूरा किया गया था. बाढ़ परियोजना के कार्यकारी निदेशक असित दत्ता ने बताया कि बाढ़ स्टेज- वन की तीसरी और अंतिम इकाई का काम प्रगति पर है और इसके अगले साल तक पूरा होने की संभावना है.
बिजली का कोटा 1526 मेगावाट से बढ़ कर 1922 मेगावाट तक पहुंचा
एनटीपीसी के प्रवक्ता विश्वनाथ चंदन ने बताया कि बाढ़ प्लांट के स्टेज वन की दूसरी यूनिट से वाणिज्यिक बिजली उत्पादन शुरू होने से बाढ़ संयंत्र से बिहार को मिलने वाली कुल बिजली का कोटा 1526 मेगावाट से बढ़ कर 1922 मेगावाट तक पहुंच गया है. बाढ़ सुपर थर्मल पावर प्लांट अब 660 मेगावाट की अपनी चार इकाइयों के माध्यम से कुल 2640 मेगावाट का वाणिज्यिक विद्युत उत्पादन करने लगा है, जिसमें से बिहार को कोटे के मुताबिक 1922 मेगावाट बिजली मिलने लगी है. बाढ़ संयंत्र के निर्माण पर 21 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत आयी है. उन्होंने बताया कि बिहार के छह उत्पादन संयंत्रों सहित एनटीपीसी से बिहार का वर्तमान बिजली आवंटन भी 6891 मेगावाट ( इसमें 300 मेगावाट सौर ऊर्जा सहित) से बढ़कर 7287 मेगावाट हो गया है.
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660 मेगावाट की क्षमता निर्माणाधीन
मालूम हो कि बाढ़ सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट के दूसरे स्टेज की 660 मेगावाट की दो इकाइयां (यूनिट 4 और 5) क्रमश: 15 नवंबर, 2014 और 18 फरवरी, 2016 से जबकि स्टेज वन की पहली 660 मेगावाट इकाई नवंबर 2021 से बिजली का वाणिज्यिक उत्पादन कर रही है. एनटीपीसी के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक (पूर्व-1), डीएसजीएसएस बाबजी ने कहा कि वर्तमान में एनटीपीसी की बिहार में लगभग 80 हजार करोड़ की निवेश के साथ कुल छह परियोजनाओं में 9730 मेगावाट बिजली की वाणिज्यिक उत्पादन क्षमता है, जबकि 660 मेगावाट की क्षमता निर्माणाधीन है.
आज इसका वाणिज्यिक प्रचालन शुरू
बाढ़ स्टेज 1 की दूसरी इकाई के वाणिज्यिक प्रचालन शुरू होने पर, एनटीपीसी के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक (पूर्व-1), डीएसजीएसएस बाबजी ने कहा कि टीम बाढ़ ने जिस लगन और दृढ़ता के साथ इस यूनिट के इंजीनियरिंग चुनौतियों का सामना कर इसे सफलतापूर्वक कमिशनिंग करने के बाद आज इसका वाणिज्यिक प्रचालन शुरू किया है, वह निश्चित तौर पर भविष्य में उत्कृष्ट परियोजना-प्रबंधन के मिशाल के तौर पर एक मार्गदर्शक का काम करेगा. इस उपलब्धि के लिए टीम बाढ़ और सभी लाभार्थी राज्यों को ढ़ेर सारी बधाई. बाबजी ने आगे बताया कि वर्तमान में एनटीपीसी की बिहार राज्य में लगभग 80 हज़ार करोड़ की निवेश के साथ कुल 6 परियोजनाओं में 9730 मेगावाट बिजली की वाणिज्यिक उत्पादन क्षमता है, जबकि 660 मेगावाट की क्षमता निर्माणाधीन है.
यूनिट कंट्रोल रूम में उपस्थित थे वरीय अधिकारी
बाढ़ परियोजना के कार्यकारी निदेशक, असित दत्ता ने वाणिज्यिक प्रचालन शुरू होने पर उपस्थित अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि टीम बाढ़ ने रिकॉर्ड समय में काफी चुनौतियों के बीच सभी सम्बंधित एजेंसियों के सहयोग से इस कठिन लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया है. दत्ता ने कहा कि बाढ़ स्टेज-1 की तीसरी और अंतिम इकाई का काम प्रगति पर है और इसके अगले साल तक पूरा होने की संभावना है. इस उपलब्धि के साक्षी बनने के लिए एनटीपीसी और मेसर्स दुसान के वरिष्ठ अधिकारी भी बड़ी संख्या में बाढ़ प्लांट के यूनिट कंट्रोल रूम में उपस्थित थे.
कुल स्थापित क्षमता 73,024 मेगावाट से अधिक
गौरतलब है कि एनटीपीसी बिहार की औसत दैनिक बिजली मांग के 90% से भी अधिक बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करता है, जो 6,000 से 6,500 मेगावाट के आसपास रहता है. बाढ़ प्लांट के स्टेज -1 की दूसरी यूनिट के 660 मेगावाट अतिरिक्त उत्पादन क्षमता के जुडने के साथ ही, एनटीपीसी समूह की देश में कुल स्थापित क्षमता 73,024 मेगावाट से अधिक हो गयी, जिसमें 43 अक्षय और जल विद्युत परियोजनाओं सहित 89 विद्युत स्टेशन शामिल हैं.
बिजली चोरी रोकने को एआइ आधारित एप अगले हफ्ते लॉन्च
औसत बिजली हानि कम करने और बिजली चोरी रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित एप व वेबसाइट का इस्तेमाल अगले हफ्ते चालू हो जायेगा. पावर होल्डिंग कंपनी ने एक अगस्त से ही इसको चालू करने की घोषणा की थी, लेकिन मिले सुझाव को अपडेट करने के लिए डेवलपरों ने तीन से चार दिन का समय मांगा है. इस बदलाव से एप प्रभावी बनेगा और उसकी उपयोगिता बढ़ेगी. अधिकारियों के मुताबिक रेड एंड एफआइआर मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल पर बिजली इंजीनियरों द्वारा किये गये रेड और एफआइआर के साक्ष्य ऑनलाइन दर्ज होंगे. इससे बिजली उपभोक्ताओं के डाटा का एक विशेष अंतराल पर विश्लेषण किया जायेगा, जिससे बिजली एकाउंटिंग करने में मदद मिलेगी. इस प्रक्रिया में कनीय अभियंता से लेकर सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जायेगी.