रांची: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए आज सोमवार से पहली काउंसेलिंग शुरू की गयी. काउंसेलिंग में देशभर से छात्र अपने-अपने परिजनों के साथ शामिल हुए. राजधानी रांची के मनातू परिसर के एडमिशन सेल में नामांकन को लेकर दिनभर गहमागहमी का माहौल रहा. काउंसेलिंग के दौरान छात्रों की सहायता के लिए शिक्षकगण मौजूद थे. आपको बता दें कि विभिन्न इंटीग्रेटेड कोर्स में कुल 773 सीटों पर नामांकन किया जाएगा.
सीयूजे में प्रवेश के लिए उपलब्ध इंटीग्रेटेड कार्यक्रम
इंटीग्रेटेड बीटेक और एमटेक: धात्विक एवं पदार्थ इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान व इंजीनियरिंग.
इंटीग्रेटेड बीएससी और एमएससी: भूगोल, पर्यावरण विज्ञान, जीवन विज्ञान, भौतिकी, गणित व रसायन विज्ञान.
इंटीग्रेटेड बीए और एमए: मास कम्युनिकेशन, अंग्रेजी, हिंदी, कोरियाई, चीनी, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र.
इंटीग्रेटेड बीए, बीएड/ बीएससी, बीएड
काउंसेलिंग के बाद जारी होगी लिस्ट
काउंसेलिंग के बाद लिस्ट जारी होगी. जिन छात्रों का नाम लिस्ट में होगा, उन्हें निश्चित तिथि पर नामांकन शुल्क जमा करना होगा. शुल्क जमा करने वाले छात्रों की सीट रिजर्व होगी, जो छात्र नामांकन वापस लेते हैं, उन्हें नियम संगत नामाकंन शुल्क वापस किया जाएगा. इंजीनियरिंग के छात्रों नामांकन शुल्क 27750 रुपये मात्र जमा करना होगा, वहीं साइंस के छात्रों को 18011 रुपये मात्र, आर्ट्स विषय के छात्रों के लिए विषयवार अलग-अलग शुल्क हैं, जो न्यूनतम 12802 रुपये से लेकर 15852 रुपये के बीच विषयवार है.
सीयूजे की तरफ बढ़ा है छात्रों का रुझान
एडमिशन सेल के नोडल प्रोफेसर जीपी सिंह ने कहा कि इस पर बच्चों का रुझान सीयूजे की तरफ बढ़ा है. काफी संख्या में बच्चे परिजनों के साथ पहुंच रहे हैं, जिसे देखते हुए हर विषय का अलग-अलग सेल बनाया गया है. प्रत्येक सेल की जिम्मेदारी वरीय शिक्षकों को दी गयी है, जो अपनी-अपनी टीम के साथ काउंसेलिंग को बेहतर तरीके से संपन्न कराने में जुटे हैं, जिसका नतीजा है कि छात्रों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है.
केके राव ने सायूजे के कुलसचिव के रूप में किया पदभार ग्रहण
केके राव ने आज सोमवार को झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया. प्रो मनोज कुमार (कार्यवाहक) ने सीयूजे के कुलसचिव कक्ष में केके राव को कार्यभार सौंपा. केके राव के पास लंबा प्रशासनिक अनुभव है. सीयूजे में शामिल होने से पहले वो ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी थे. कार्यभार संभालने के बाद केके राव ने कहा कि विश्वविद्यालय को देश अग्रणी शिक्षण संस्थानों की कतार में लाना उनका मुख्य उद्देश्य है. उसके लिए वो अपनी प्रशासनिक अनुभव का भरपूर इस्तेमाल करेंगे ताकि टीम वर्क के साथ एक बेहतर माहौल बन सके. कुलपति प्रो केबी दास ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं. मौके पर प्रो मनोज कुमार, सीओई बीबी मिश्रा, वित्त अधिकारी( इंचार्ज) प्रो विमल किशोर, डीन आर एंड डी प्रो एके पाढ़ी, उपकुलसचिव अब्दुल हलीम व उज्जवल कुमार, जनसंपर्क अधिकारी नरेंद्र कुमार, सहायक कुलसचिव डॉ शिवेंद्र प्रसाद व नफीस अहमद खान एवं विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया.
सीयूजे में जुलाईभर मना प्रेमचंद जयंती समारोह
इधर, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में ‘अखरावट’ तथा हिंदी साहित्य सभा के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रेमचंद जयंती समारोह मनाया गया. जुलाई माह को विभाग प्रेमचंद माह के रूप में मना रहा है. इस कड़ी में महीनेभर प्रेमचंद पर आधारित विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. जैसे प्रेमचंद की कहानियों का पाठ, जिसमें शोधार्थी दीपक ने ‘पूस की रात’ तथा अतुल प्रिया ने ‘कजाकी’ कहानी का पाठ किया. इसी श्रृंखला में प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’ पर आधारित नाटक का मंचन किया गया, जिसका निर्देशन भुवनेश तथा संवाद लेखन अरुण ने किया था. इसी श्रृंखला में विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के प्राचार्य प्रो मिथिलेश कुमार सिंह द्वारा ‘प्रेमचंद को पढ़ते हुए’ विषय पर व्याख्यान दिया गया. प्रेमचंद पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का ‘रेंज’ बड़ा व्यापक है, कहीं-कहीं तो वे सामान्य जनता और बालकों को भी समझ आ जाते हैं, कहीं-कहीं वे बड़े विद्वानों की समझ से भी परे हो जाते हैं. प्रेमचंद की महानता पर उन्होंने कहा कि क्रांति करवा देना बड़ी बात नहीं, बल्कि क्रांति की स्थितियों का निर्माण एक कथाकार को महान बनाता है और प्रेमचंद इसमें माहिर थे.
प्रेमचंद की कहानियां तत्कालीन समाज की कथा-व्यथा
समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो रत्नेश विष्वाकसेन शामिल हुए. इस अवसर पर प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’ पर आधारित चलचित्र का प्रदर्शन किया गया. अपने अभिभाषण के दौरान प्रो रत्नेश में कहा कि प्रेमचंद मनुष्य की गहरी मानसिकता के रचनाकार हैं. उनकी कहानियां सिर्फ कहानियां नहीं हैं बल्कि तत्कालीन समाज की कथा-व्यथा है. कार्यक्रम में हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ जगदीश सौरभ, डॉ रवि रंजन, डॉ उपेंद्र कुमार’सत्यार्थी’ एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से आए छात्र-छात्राएं तथा शोधार्थी मौजूद थे. कार्यक्रम का मंच संचालन चंदन कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन राहुल कुमार ने किया.