भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं में से एक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की आज पुण्यतिथि है.’स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे हम लेकर रहेंगे’ उनके इस नारे ने भारतीय जनमानस में नई उर्जा भर दी थी. उनके आंदोलनकारी सोच और करिश्माई व्यक्तित्व ने उन्हें एक विशिष्ट स्थान प्रदान किया और उन्हें आज भी भारतीय इतिहास में एक महान नेता के रूप में याद किया जाता है. उनकी पुण्यतिथि पर आइये उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें जानें.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म 13 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था. तिलक पढ़ाई में शुरू से ही काफी तेज थे. तिलक अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली के आलोचक थे. स्कूलों में ब्रिटिश विद्यार्थियों की तुलना में भारतीय विद्यार्थियों के साथ हो रहे दोगले व्यवहार का वे विरोध करते थे.
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एक उदार और समर्पित व्यक्ति थे. उनकी विचारधारा में स्वतंत्रता, सामर्थ्य, और एकता के लिए गहरा विश्वास था. उन्होंने जनता को अपने देशप्रेम और स्वाधीनता के प्रति प्रेरित किया. उनकी विचारधारा और कार्यों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित किया और उन्हें लोकमान्य के रूप में सम्मानित किया गया. उनके योगदान की स्मृति आज भी हमारे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत है.
तिलक ने एक मराठी और एक अंग्रेजी में दो अखबार ‘मराठा दर्पण और केसरी’ की शुरुआत की. इन दोनों ही अखबारों में तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. इन अखबारों को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाने लगा था.
3 जुलाई, 1908 को क्रांतिकारियों के पक्ष में लिखने के लिये तिलक को गिरफ्तार कर लिया, और उन्हें 6 साल की सजा सुनाने के साथ ही 1000 रुपये का जुर्माना लगाया.जेल में रहने के दौरान तिलक ने 400 पन्नों की किताब गीता रहस्य लिखी थी.
1 अगस्त, 1920 को मुंबई में उनकी मृत्यु हो गई थी. उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रान्ति का जनक कहा था.