दिल्ली में अधिकारियों की तैनाती और तबादले से जुड़े अध्यादेश समेत कई और विधेयक सरकार ने लोकसभा में पेश किया गया. वहीं, अधिकारियों की तैनाती और तबादले से संबंधित बिल पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. इधर विपक्ष के शोर-शराबे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को दिल्ली राज्य के संबंध में कोई भी कानून पारित करने की शक्ति दी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भी साफ कर दिया है कि संसद दिल्ली में कोई भी कानून ला सकती है. वहीं, सदन के निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया. वहीं, विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर और गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी समेत कई और नेताओं ने विरोध किया.
संविधान ने सदन को दिया है संपूर्ण अधिकार- गृह मंत्री अमित शाह
वहीं, तैनाती और तबादले से जुड़े अध्यादेश पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है. शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है. शाह ने कहा कि विधेयक पेश किये जाने के खिलाफ सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं और इनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है. संसद के नियमों के तहत भी इनका कोई आधार नहीं है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी.
लोकसभा में विपक्ष ने किया जोरदार विरोध
इससे पहले, लोकसभा में विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह सदन के नियमों और प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सेवा संबंधी विषय राज्य के अधीन होना चाहिए, ऐसे में यह विधेयक अमल में आने पर दिल्ली राज्य की शक्ति को ले लेगा. अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह सहकारी संघवाद की कब्रगाह बनने वाला है. आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि वह तीन बिन्दुओं के तहत इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमें पहला सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत है. उन्होंने यह भी कहा कि कहा कि यह संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है और दिल्ली राज्य की शक्तियों को कमतर करने वाला है. प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने का प्रयास है.
बिल पर बुधवार को होगी बहस
बता दें, लोकसभा में दिल्ली सर्विसेज बिल पर कल यानी बुधवार को बहस होगी. वहीं, विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि वह विपक्ष के शुक्रगुजार हैं कि बगैर प्रधानमंत्री के सदन में आए, उन्होंने सदन चलने दिया. उन्होंने कहा कि एक सामान्य विधेयक के माध्यम से संविधान में संशोधन नहीं किया जा सकता है तथा यह अधिकारों के विभाजन के सिद्धांतों के भी खिलाफ है.
अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) विधेयक 2023 को मिली मंजूरी
वहीं, लोकसभा में आज यानी मंगलवार को अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2023 पेश किया गया और इस विधेयक को मंजूरी भी दे दी गई. कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विधेयक पर सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब दिया जिसके बाद सदन ने ध्वनिमत से इसे मंजूरी दी. विधेयक को पारित किए जाने के दौरान विपक्ष के सदस्य मणिपुर के मुद्दे को लेकर लगातार नारेबाजी करते रहे. विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए जोशी ने कहा मुझे बहुत दुख हो रहा है कि विपक्ष के लोग इतने महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं. इस दौरान जोशी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेग सरकार में कोयला ब्लॉक का मनमाने ढंग से आवंटन किया गया था और कोई पारदर्शिता नहीं थी जबकि मौजूदा सरकार में हम नीलामी के जरिये आवंटन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब भाई-भतीजे को आवंटन नहीं हो रहा है. इसलिए ये लोग नारेबाजी कर रहे हैं.
जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र विधेयक हुआ पेश, मिली मंजूरी
लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच सत्ता पक्ष की ओर से जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया, जिसे मंजूरी मिल गई. इससे तहत लोगों की सुविधा के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र के डिजिटल पंजीकरण और इलेक्ट्रॉनिक निष्पादन का प्रावधान किया गया है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में संक्षिप्त चर्चा का जवाब दिया और विधेयक को ध्वनिमत से अपनी स्वीकृति दी. वहीं, चर्चा का जवाब देते हुए राय ने कहा कि इस विधेयक में किसी तरह की शंका की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि मोदी सरकार इस विधेयक को बहुत ही पवित्र मन से लाई है. वहीं, उन्होंने कहा कि इस विधेयक से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाणपत्र का पंजीकरण सरल हो जाएगा. जिससे आम लोगों को काफी फायदा होगा. वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख इसका विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह पिछले दरवाजे से लाई जाने वाली एनआरसी है. ओवैसी ने कहा कि इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए.
छत्तीसगढ़ से संबंधित संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक को मंजूरी
लोकसभा में संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी है, जिसमें छत्तीसगढ़ में महरा तथा महारा समुदायों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है. विधेयक पर सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सहित समाज के आखिरी पायदान पर खड़े लोगों के लिए पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की सूचियों में संशोधन करने की एक प्रक्रिया होती है. इसमें राज्यों से सिफारिशें आती हैं तथा इस पर कई स्तरों पर विचार करने के बाद प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष भेजा जाता है. छत्तीसगढ़ में महरा तथा महारा समुदायों से संबंधित इस विधेयक के बारे में कुमार ने कहा कि इसके अमल में आने पर इन समुदाय के बच्चे मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे और सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे.
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी दे दी. इस दौरान विपक्षी सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर शोर-शराबा कर रहे थे. इससे पहले, विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी की संध्या राय ने कहा कि इस विधेयक को संविधान अनुसूचित जातियां आदेश 1950 में संशोधन करने के उद्देश्य से लाया गया. उन्होंने कहा कि इससे छत्तीसगढ़ के महरा तथ महारा समुदायों को लाभ होगा. चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाईएसआर कांग्रेस की जी माधवी ने कहा कि यह विधेयक महत्वपूर्ण है और ऐसे कदम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्गो के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए अहम हैं. बहुजन समाज पार्टी की संगीता आजाद ने कहा कि यह विधेयक महत्वपूर्ण है लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इनका लाभ जमीन तक पहुंचे.