दिल्ली सेवा अध्यादेश संबंधी विधेयक को लेकर आम आदमी पार्टी के लिए अच्छी खबर नहीं है. बीजू जनता दल (बीजद) के बाद अब जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने भी केंद्र सरकार का समर्थन करने का फैसला किया है. बीजद के बाद वाईएसआर कांग्रेस दूसरी पार्टी है जिसने दिल्ली सेवाओं से जुड़े विधेयक पर सरकार का समर्थन करने की घोषणा की है. इससे विपक्षी गठबंधन को झटका लगा है जो ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है.
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली अध्यादेश का समर्थन करने का किया ऐलान
दिल्ली सेवाओं पर केंद्र के विधेयक पर वाईएसआरसीपी सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और हमारे नेता वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इसका समर्थन करने का निर्णय लिया है. हम विधेयक का समर्थन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि विधेयक संसद में पारित हो. मामलू हो लोकसभा में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के कुल 22 सांसद हैं, तो राज्य सभा में कुल 9 सांसद हैं.
बीजू जनता दल ने भी दिल्ली सर्विस बिल का सपोर्ट करने का लिया फैसला
बीजू जनता दल (बीजद) के राज्यसभा सदस्य सस्मित पात्रा ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली सेवा अध्यादेश संबंधी विधेयक का संसद में समर्थन करेगी और सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करेगी. ओडिशा के सत्ताधारी दल के फैसले से नरेंद्र मोदी सरकार को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त करने की दिशा में मदद मिलेगी. राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन को बहुमत प्राप्त नहीं है. उच्च सदन में बीजू जनता दल के नौ सदस्य हैं.
बीजेडी ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने का किया फैसला
राज्यसभा में बीजद के नेता पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी ने दिल्ली सेवाओं से जुड़े विधेयक का समर्थन करने का फैसला किया है, वहीं वह अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करेगी. उच्च सदन में बीजू जनता दल के नौ सदस्य हैं. राज्यसभा में वाईएसआर कांग्रेस के भी नौ सदस्य हैं. इन 18 सांसदों के समर्थन से विधेयक का पारित होना लगभग पक्का हो गया है.
#WATCH | On Centre's Bill over Delhi Services, YSRCP MP Vijayasai Reddy says, "YSR Congress Party and our leader YS Jagan Mohan Reddy have taken a decision to support it and we will be supporting the Bill and ensure that the Bill is passed in the Parliament." https://t.co/m4MMfoV3JY pic.twitter.com/sNgh8PEk6a
— ANI (@ANI) August 1, 2023
मोदी सरकार में शामिल नहीं होने के बावजूद दोनों पार्टियों ने किया सपोर्ट
बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने अक्सर संसद में सरकार का समर्थन किया है, हालांकि दोनों पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.
राज्यसभा में क्या है स्थिति
राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन के करीब 109 सदस्यों के अलावा कपिल सिब्बल जैसे कुछ निर्दलीय सदस्यों के विधेयक के खिलाफ मतदान करने की उम्मीद है. उच्च सदन में अभी 238 सदस्य हैं जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के 100 से अधिक सदस्य हैं. वहीं उसे मनोनीत सदस्यों और कुछ निर्दलीय सदस्यों से समर्थन मिलने की उम्मीद है जो विभिन्न मुद्दों पर कई बार सरकार के पक्ष में मतदान करते रहे हैं. इनके साथ ही उक्त दोनों दलों के समर्थन से राजग को बहुमत प्राप्त होने की संभावना है. लोकसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या 305 है और सरकार को सदन में अविश्वास प्रस्ताव या दिल्ली सेवा संबंधी विधेयक को लेकर विपक्ष से कोई खतरा नहीं है. लोकसभा में बीजद के 12 सदस्य हैं.
दिल्ली सेवा बिल का इन सांसदों ने किया विरोध
विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया. विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सेवा संबंधी विषय राज्य के अधीन होना चाहिए, ऐसे में यह विधेयक अमल में आने पर दिल्ली राज्य की शक्ति को ले लेगा. चौधरी ने कहा कि यह सहकारी संघवाद की कब्रगाह बनने वाला है. आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किये जाने का तीन बिन्दुओं पर विरोध कर रहे हैं. इसमें पहला सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं के नियम 72 के तहत है. उन्होंने कहा कि इस सदन को इस प्रकार का कानून बनाने की विधायी शक्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि यह संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है और दिल्ली राज्य की शक्तियों को कमतर करने वाला है. प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का प्रयास है.
क्या है मामला
केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाई थी. इससे एक सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था, हालांकि उसे पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय नहीं दिये गए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को स्वीकृति दी थी. जिसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी इस अध्यादेश के विरुद्ध हैं.