Bihar News: बिहार में इस साल जुलाई के महीने तक सामान्य से कम बारिश हुई है. राजधानी पटना में धान की रोपनी 34.88 प्रतिशत तक हुई है. इसे लेकर डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक की. इसनें सभी एसडीओ को धान की रोपनी की प्रतिदिन समीक्षा करने का निर्देश दिया गया. साथ ही बारिश के आंकड़े, डीजल अनुदान, उर्वरक की उपलब्धता, विद्युत आपूर्ति, राजकीय नलकूपों की स्थिति आदि पर लगातार नजर रखने व आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा गया. डीएम ने बैठक से गायब रहने पर जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, विद्युत कार्यपालक अभियंता, बाढ़ व कार्यपालक अभियंता नहर प्रमंडल खगौल का वेतन रोकते हुए उन सभी से शो कॉज करने का निर्देश. इस दौरान डीएम ने कहा कि अब तक जिले में धान की रोपनी 34.88 प्रतिशत हुई है. पिछले साल भी इस समय तक बारिश की लगभग बराबर स्थिति थी.
दूसरी ओर मक्के की बुआई 90.96 प्रतिशत हुई है. डीएम ने कहा कि किसानों को लगातार विद्युत आपूर्ति हो. इसके लिए जिलाधिकारी ने कृषि फीडर में सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक 12 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का विद्युत कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया. इस मौके पर जिलाधिकारी को जानकारी दी गयी कि जिले में उर्वरक की कोई कमी नहीं है. अगस्त माह की मांग के अनुसार वर्तमान में 17,583 टन यूरिया उपलब्ध है. डीएम ने सभी किसान भवनों पर उर्वरक उपलब्धता की सूचना प्रदर्शित करने को कहा. जिले में इस वित्तीय वर्ष में अब तक उर्वरक से संबंधित 54 छापेमारी की गयी है. डीएम ने नलकूपों की अपडेट स्थिति की समीक्षा की. जिले में 376 नलकूप काम नहीं कर रहे हैं. डीएम ने कहा कि बिजली के कारण खराब राजकीय नलकूपों को संबंधित विद्युत कार्यपालक अभियंता तुरंत ठीक कराकर चालू करें.
Also Read: बिहार: खतरे के निशान के करीब पहुंचा गंगा का जलस्तर, घाट पर बना तेज धारा का दवाब, लोगों में दहशत
किसान धान के बदले उरद, मूंग, तिल, अरहर की खेती कर सकते हैं. इन फसलों की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है. राज्य में बन रहे सूखे की हालात को लेकर आइसीएआर, पटना ने एडवाइजरी जारी की है. खेत में मेढ़ बनाने और पशुओं व मछिलयों को लेकर भी इसमें कई सलाह दिये गए है. राज्य में बन रहे सूखे की हालात को लेकर आइसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर) पटना ने किसानों, पशुओं और मछली को लेकर एडवाइजरी जारी की. संस्थान की ओर से कहा गया है कि राज्य में मॉनसून वर्षा में 45 फीसदी कम बारिश देखी जा रही है. इस कारण किसान ऊपरी जमीन में धान के बदले उरद (पंत उरद-19, 31, डब्ल्यूबीयू 108 व 109), मूंग ( सम्राट आइपीएम 2-3, एचयूएम-16), तिल (कलिका, कृष्णा, प्रगति) और अरहर (आइपीए-203, पुसा-1, मालवीय-13, राजेंद्र अरहर-1 ) की खेती करें.
धान की खेती के इच्छुक किसानों को कम अवधि वाली धान की फसल की बुवाई करने की सलाह दी गई है. इसके लिए 90 से 100 दिनों में होने वाली धान की प्रजाति का चयन करने की बात कही है. खेतों की मेड़बंदी करने की सलाह दी है, ताकि पानी का रिसाव कम हो. जहां धान की रोपनी हो गयी है, वहां दोबारा पानी देने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि ऐसा नहीं करने पर खरपतवार उगा सकते हैं. इससे फसल को नुकसान हो सकती है. सौ फीसदी बारिश आधारित क्षेत्रों में 2 फीसदी यूरिया का उपयोग करने की सलाह दी गयी है.
आइसीएआर ने पशुओं को कृमिनाशक दवा पिलाने और हरा चना देने की सलाह दी है. साथ ही कहा है कि मछली प्रजनन के इस मौसम में मछलियों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था रखें. ताकि प्रजनन के लिए जलीय तापमान को नियंत्रित रखा जा सके. नमी बनाये रखने के लिए एजोला कल्चर का उपयोग करने की बात कही गई है. अगस्त में सामान्य बारिश होने की उम्मीद लगायी जा रही है. किसान उम्मीद जता रहे हैं कि अगर तीन-चार दिन ठीक तरीके से बारिश हो जाये तो धान समेत अन्य खरीफ की फसल अच्छी होगी.