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सौर ऊर्जा की संभावनाएं

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े सोलर मॉड्यूल या सोलर पैनल निर्माताओं में शामिल होने जा रहा है.

पिछले कई दशकों से धरती को पर्यावरण के दुष्प्रभावों से बचाने की मुहिम चल रही है. इसी कड़ी में ग्रीन एनर्जी या स्वच्छ ऊर्जा की चर्चा होती है. यानी, ऊर्जा के ऐसे स्रोत जिनसे धरती के तापमान को बढ़ाने वाली ग्रीन हाउस गैसें नहीं निकलती हों, जैसा कि कोयले या पेट्रोल-डीजल के इस्तेमाल से होता है. ऊर्जा के जिन वैकल्पिक स्रोतों की चर्चा होती है, उनमें एक अहम स्रोत सौर ऊर्जा है. भारत जैसे देश के लिए यह व्यावहारिक भी लगती है क्योंकि यहां साल के अधिकतर महीनों में धूप खिली रहती है.

ऐसे में स्वाभाविक ख्याल आता है कि जिस तपती धूप से लोग त्रस्त रहते हैं उसकी गर्मी से बिजली क्यों नहीं बना ली जाती. मगर यह इतना सहज नहीं है. क्योंकि, इसके लिए जिस तकनीक की जरूरत होती है उसमें विदेशी आगे हैं. साथ ही, जिन उपकरणों की जरूरत होती है वह भी बाहर से मंगवाने पड़ते हैं. जाहिर है, ऐसे में सूरज भले भारत के आसमान पर चमकता हो, मगर उत्पादन खर्चीला हो जायेगा. सौर ऊर्जा के रफ्तार नहीं पकड़ पाने के पीछे यह एक बड़ा कारण है.

लेकिन, सौर ऊर्जा के फायदों को देखते हुए इसके विकास के प्रयास हो रहे हैं. सौर ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा है, यानी ऐसा नहीं है कि इसके बनाने से संसाधन कम होते जायेंगे. यह स्वच्छ ऊर्जा है जिससे कोई नुकसानदेह उत्सर्जन नहीं होता. सौर ऊर्जा की शुरुआती लागत भले ज्यादा हो, मगर इसमें लगातार कमी आती जा रही है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे छोटे पैमाने पर बनाया जा सकता है और ऐसे में बड़ी परियोजनाओं या कंपनियों पर निर्भरता कम हो जाती है.

इन्हीं फायदों को देखते हुए भारत ने वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 500 गीगावट बिजली के उत्पादन का जो लक्ष्य रखा है, उसमें सौर ऊर्जा सबसे अहम है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया में सबसे तेज गति से विकास कर रहा है और वह दुनिया के सबसे बड़े सोलर मॉड्यूल या सोलर पैनल निर्माताओं में शामिल होने जा रहा है.

सरकार ने पिछले दिनों विदेशों पर निर्भरता को कम करने के लिए निजी उद्यमों से विशाल गीगा फैक्ट्रियां लगाने का आह्वान किया था. इसके बाद अडानी, रिलायंस और जिंदल जैसी बड़ी कंपनियां विशाल कारखाने बना रही हैं. ऐसे ही विभिन्न राज्यों में बड़े सोलर पार्क बनाने की योजना भी शुरू की गयी है क्योंकि छोटी परियोजनाओं से पैदा बिजली महंगी होती है. सौर ऊर्जा के विकास में चुनौतियां अवश्य हैं, मगर इसके लिए प्रयास जारी रहने चाहिएं. इससे भारत ना केवल अपने लिए बिजली बनाने की क्षमता प्राप्त कर सकता है, बल्कि एक बड़ा निर्यातक भी बन सकता है.

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