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झारखंड विधानसभा के बाहर मानसून सत्र के चौथे दिन बीजेपी का प्रदर्शन, सीएम से मांगा इस्तीफा

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह हंगामा होता रहा. सत्ता पक्ष जहां केंद्र सरकार के खिलाफ बोल रही थी, वहीं विपक्ष हेमंत सरकार को घेरने में जुटा रहा. इस दौरान विपक्ष ने सीएम हेमंत सोरेन से इस्तीफे की मांग भी की.

Jharkhand News: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन भी बीजेपी विधायकों ने विधानसभा के बाहर कई मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. बीजेपी विधायकों ने राज्य में आदिवासियों की हत्या और बलात्कार के लिए राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहराते हुए सीएम हेमंत सोरेन से इस्तीफा देने की मांग की. थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों को झारखंड के मूल निवासियों के लिए आरक्षित करने की मांग की. सुभाष मुंडा हत्याकांड की जांच, नियोजन नीति को स्पष्ट करने, झारखंड को सुखाड़ और अकाल क्षेत्र घोषित करने समेत कई मांगों से संबंधित तख्तियां लेकर विधायकों ने प्रदर्शन किया.

सत्ता पक्ष पर आरोप

मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से केंद्र सरकार पर उठाये गये सवाल पर कहा कि राज्य सरकार अपनी खामियों को छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ रही है. उन्होंने कहा कि राज्य की जनता सब देख रही है, वर्ष 2024 के चुनाव में जनता यूपीए नेताओं के सिर पर यही ठीकरा फोड़ने का काम करेगी. श्री नारायण ने कहा कि एक तरफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस की सरकार कह रही है कि केंद्र से जितना मांगा गया, उससे ज्यादा मिल रहा है. वहीं दूसरी तरफ हेमंत सरकार अपने भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने के लिए केंद्र पर आरोप लगा रही है.

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आईएनडीआईए घटक दल के विधायकों ने किया प्रदर्शन, केंद्र की नीतियों पर साधा निशाना

मानसून सत्र के चौथे दिन सदन के बाहर आइएनडीआइए घटक दल के विधायकों ने भी केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया. विधायकों ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के प्रति असंवेदनशील है. कृषि मंत्री बादल ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 में सुखाड़ का पैसा नहीं दिया. जब सरकार ने सूखा राहत के तौर पर नौ हजार करोड़ रुपये मांगे तो केंद्र सरकार सिर्फ 502 करोड़ देने की बात कही है. यह केंद्र की किसानों के प्रति सोच का दर्शाता है. सुखाड़ को लेकर उच्च स्तरीय बैठक होगी. इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पिछले वर्ष राज्य सरकार ने 226 सूखाग्रस्त ब्लॉक की सूची केंद्र सरकार को सौंपी थी और राज्य सरकार ने अपनी तरफ से सभी किसानों को 3500 रुपये भी दिये थे. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जो लाभ किसानों को मिलने वाला था, वह अब तक नहीं मिला. उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों को सूखा राहत कोष की राशि अविलंब देने की मांग की. मंत्री सत्यानंद भोक्ता का कहना था कि एक तरफ जहां महंगाई और बेरोजगारी से आम जनता त्रस्त है. झारखंड के किसान सूखे की मार झेल रहे हैं और अब तक केंद्र सरकार ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा को किसानों से कोई लेना-देना नहीं है.

बाबूलाल ने झारखंड प्रतियोगी परीक्षा बिल पर साधा निशाना

इधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सरकार की ओर से विधानसभा में लाये गये झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा बिल-2023 पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक युवाओं की आवाज को दफन करने का लिए लाया गया है. इसमें कई ऐसे प्रावधान किये गये हैं, जिसमें कोई भी गड़बड़ी के खिलाफ आवाज उठायेगा, तो उसे जेल में डाल दिया जायेगा. 10 वर्ष तक की सजा के साथ-साथ जुर्माना का प्रावधान भी किया गया है. एक तरफ सरकार यह बिल ला रही है, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय व नियोजन नीति को लेकर आंदोलन कर रही है. अब तक स्थानीय व नियोजन नीति को लेकर क्या कदम उठाया गया है, यह सरकार बताने को तैयार नहीं है. सरकार बच्चों के भविष्य को बर्बाद करने के लिए यह बिल ला रही है. इस कानून को देखने से ही लगता है कि भ्रष्ट अफसर के साथ मिल कर सरकार सब बेच डालना चाहती है.

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सदन से सड़क तक पार्टी करेगी विरोध

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों 26 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन लाया गया है. अब इस वेकेंसी को बेचने की तैयारी चल रही है. पार्टी इसका सदन से सड़क तक विरोध करेगी. विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत के क्रम में श्री मरांडी ने कहा कि अगर यह विधेयक आप पढ़ेंगे, तो सब समझ में आ जायेगा. एक तरफ सरकार जेपीएससी के माध्यम से हर वर्ष नियुक्ति करने की घोषणाओं को पूरा नहीं कर रही है, दूसरी तरफ युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने के लिए बिल ला रही है.

सुखाड़ पर सत्ता पक्ष का हंगामा, विपक्ष नियोजन व विधि व्यवस्था पर करता रहा शोर

सदन की कार्यवाही मानसून सत्र के चौथे दिन भी बाधित रही. बुधवार को सदन में पक्ष-विपक्ष दोनों आमने-सामने थे. पक्ष ने सुखाड़ के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा, वहीं विपक्ष ने राज्य सरकार की नियोजन नीति, रोजगार और विधि-व्यवस्था के मुद्दे घेरा. हंगामा और नारेबाजी के कारण स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित की. सुखाड़ के मुद्दे सत्ता पक्ष के विधायक वेल में घुसे और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. झारखंड का हिस्सा मांगा. वहीं राज्य के मंत्री अपनी सीट से खड़े होकर विरोध किया. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी भाजपा विधायकों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वेल में घुस गये. स्पीकर श्री महतो के बार-बार आग्रह के बाद भी विपक्षी विधायक मानने के लिए तैयार नहीं थे.

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सदन में हुआ हंगामा

सत्ता पक्ष के विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि सर्वोच्च सदन चल रहा है. राज्य में सूखे की स्थिति है. केंद्र सरकार राज्य का हिस्सा नहीं दे रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना को रोक कर रखा है. विधानसभा प्रस्ताव पारित करे और केंद्र सरकार से अपना हिस्सा मांगा जाये. स्पीकर ने कहा कि इसमें कोई खराबी नहीं है. अपने हिस्से का पैसा मांग रहे हैं. राज्य के लिए सबको साथ आना चाहिए. सदन के अंदर अव्यवस्था देखते हुए स्पीकर ने सदन के कार्यवाही पहली बार 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी. इसके बाद सदन की कार्यवाही दुबारा शुरू हुई. इस बार केंद्र से हिस्से की मांग को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक वेल में घुस गये. इतना सुनते ही पक्ष-विपक्ष में तकरार शुरू हो गया. विपक्षी विधायकों ने भी नारेबाजी तेज कर दी. स्पीकर ने दोनों से बैठने का आग्रह किया, लेकिन कोई भी पक्ष सुनने के लिए तैयार नहीं था. इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12:30 बजे तक लिए स्थगित कर दी.

सदन में भिड़े ढुलू-सुदिव्य, तू-तू, मैं-मैं, देख लेने की धमकी

बुधवार को पक्ष-विपक्ष के बीच की कटुता खुल कर सामने आयी. बीजेपी विधायक ढुलू महतो और झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू आपस में भिड़ गये. दोनों विधायकों के बीच तू-तू, मैं-मैं हुई. बीच सदन में ही दोनों आमने-सामने आ गये. उंगली दिखा कर एक-दूसरे को देखने और दिखा देने की धमकी दे रहे थे. सदन में अव्यवस्था हो गयी. काफी देर तक दोनों उलझे रहे. स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि सदन में सदस्य एक-दूसरे के साथ इस तरह बात नहीं कर सकते हैं. वहीं, पक्ष-विपक्ष के विधायक बीच-बचाव करते रहे. दोनों को पकड़ कर अलग कर रहे थे. दरअसल विधायक ढुलू महतो ने दो मजूदरों की मौत का मामला उठाते हुए कहा कि एक मजदूर कोयला में दब कर मर गया, वहीं दूसरा मुंबई में मर गया है. दोनो पीरटांड के हैं. सुदिव्य सोनू बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. इतना सुनते ही सुदिव्य तमतमा गये. वह अपनी सीट से उठ कर वेल में आ गये. उनका कहना था कि वो बीच में कहां से आ गये. उनका नाम क्यूं लिया जा रहा है. सरकार से सवाल पूछें. इसके बाद मामला बढ़ गया.

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विस्थापितों के साथ न्याय कब होगा, विस्थापन आयोग बने : अंबा

कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने बड़कागांव क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं से विस्थापित हुए रैयतों का मुद्दा उठाया. अंबा ने कहा कि विस्थापन का मुद्दा हमेशा उठता रहा है. बड़कागांव क्षेत्र में विभिन्न कंपनियां जमीन अधिग्रहण करती हैं, लेकिन सही मुआवजा नहीं मिलता है. ग्रामसभा कर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है, लेकिन कहीं भी इसका अनुपालन नहीं हो रहा है. ये सरासर गलत है. विधायक मंत्री जोबा मांझी के जवाब से संतुष्ट नहीं थीं. उनका कहना था कि सरकार विस्थापन आयोग नहीं बनाने की बात कह रही है. विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए आयोग बनाना जरूरी है. विस्थापितों के साथ न्याय होना चाहिए. विस्थापितों को न्याय कब होगा.

दिनेश विलियम मरांडी ने पदाधिकारी के रवैये पर उठाया सवाल

इधर, जेएमएम विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने राज्य के पदाधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि हम 400 किमी से सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने आते हैं. विभाग से जवाब सही तरीके से नहीं आता है. पदाधिकारी संज्ञान में नहीं लेते हैं. इस पर भाजपा विधायक शेम-शेम का नारा लगाने लगे. विधायक श्री मरांडी ने कहा कि आपके समय में हालात और खराब थे.

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