मुजफ्फरपुर के चर्चित प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही हत्याकांड में फरार चल रहे नामजद आरोपी गैंगस्टर प्रदुमन शर्मा उर्फ मंटू शर्मा व गोविंद कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है. बिहार एसटीएफ की विशेष टीम ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में छापेमारी कर दोनों को पकड़ा है. मंटू शर्मा सारण जिले के परसा थाने के बहलोलपुर का रहनेवाला है. वहीं, गोविंद मुजफ्फरपुर जिले के मनियारी थाना क्षेत्र के सिलौत गजपति गांव का निवासी है. गिरफ्तार दोनों शातिरों से एसटीएफ की विशेष टीम हत्याकांड के संबंध में लगातार पूछताछ कर रही है
आशुतोष शाही हत्याकांड में नामजद शातिर अपराधी मंटू शर्मा और गोविंद कुमार की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ की टीम को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है. एसटीएफ की पांच टीम को उसकी गिरफ्तारी के लिए लगाया गया था. सभी टीमों को मैनुअल व टेक्निकल इनपुट के आधार पर अलग-अलग राज्यों में छापेमारी के लिए लगाया गया था. बताया जाता है कि बुधवार को एसटीएफ की एक टीम को सूचना मिली कि मंटू व गोविंद बेंगलुरू में छिपकर रह रहे हैं. सूचना मिलते ही एसटीएफ की टीम बेंगलुरू पहुंच गयी. स्थानीय पुलिस की मदद से दोनों की गिरफ्तारी के लिए मदद मांगा गया. इसी बीच मंटू को अपनी गिरफ्तारी की भनक लग गयी. वह अपने शागिर्द गोविंद के साथ आनन-फानन में सड़क मार्ग से ही रामेश्वरम की तरफ भाग निकला.
एसटीएफ की टीम भी करीब दस घंटे तक छह सौ किमी की दूरी तय करते हुए उनका पीछा करते हुए रामेश्वर पहुंच गयी. दोनों को गुरुवार की सुबह लगभग पांच बजे ही गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के बाद दोनों को स्थानीय थाने पर लाकर पूछताछ की गयी. वहां से ट्रांजिट रिमांड की प्रक्रिया के लिए कोर्ट में प्रस्तुत किया गया. संभावना जतायी जा रही है कि शुक्रवार को वह पटना पहुंच जायेगा. वहां पर पूछताछ के बाद उसे मुजफ्फरपुर पुलिस के हवाले किया जायेगा.
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बिहार एसटीएफ व सीआइडी की टीम आशुतोष शाही हत्याकांड में फरार चल रहे नामजद अभियुक्त रनंजय उर्फ ओंकार की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी कर रही है. वह छह नामजद अभियुक्तों में से अंतिम बचा हुआ है. बताया जाता है कि मंटू शर्मा व गोविंद से पूछताछ के बाद पुलिस को अहम सुराग हासिल हो सकते हैं. शूटरों का सही लोकेशन मिलने की संभावना है.
सारण जिले के परसा थाना के बहलोलपुर निवासी प्रदुम्न शर्मा उर्फ मंटू शर्मा 33 सालों से अपराध जगत में सक्रिय है. नलकूप विभाग में ठेकेदारी करने के क्रम में उसका परिचय उस समय भुटकुन शुक्ला से हो गया था. पहली बार वह 1991 में रंगदारी के केस में जेल गया था. वह पंकज मार्केट स्थित एक कपड़े की दुकान रंगदारी की रकम लाने गया था. नगर पुलिस ने उसे 50 हजार रुपये लेते रंगे हाथ पकड़ लिया था. चार माह तक जेल में रहने के बाद वह गांव चला था. लेकिन 1993 में फिर आर्म्स व पांच जिंदा कारतूस के साथ कुढ़नी में पकड़ा गया था. जेल से निकलने के बाद वह अपराध की दुनिया में कूद पड़ा. हालांकि इसी बीच उसकी शादी जलालपुर गांव में हो गयी थी. उस पर काजीमोहम्मदपुर थाने में भी केस दर्ज है. वह 1999 में चंद्रलोक चौक के पास एक होटल में फायरिंग कर दी थी. लेकिन वह चर्चा में तब आया, जब उसने अपने गांव के ही ठेकेदार रामनरेश शर्मा की 2004 में एके 47 से हत्या कर दी थी. रामनरेश शर्मा सीपीडबल्यूडी के ठेकेदार थे. वे मंटू को टेंडर मैनेज करने में कठिनाई दे रहे थे. 2002 में सदर थाना इलाके में फायरिंग की गयी, लेकिन वह बाल बाल बच गये थे. इसी बीच 2004 में सदर इलाके में ही उन पर गोलीबारी की गयी, जिसमें रामनरेश शर्मा व उनका चालक मारा गया था. इसके अलावा उस पर पटना व मुजफ्फरपुर में 15 से अधिक केस दर्ज है.
सिलौत गजपति का गोविंद भी एक दशक से अधिक समय से अपराध जगह में सक्रिय है. वह 2012 में ब्रह्मपुरा पुलिस के हत्थे चढ़ा था. तत्कालीन थानेदार सुनील कुमार ने उसे चार अन्य साथियों के साथ मालगोदाम चौक से पकड़ा था. 2018 में पूर्व मेयर की हत्याकांड में उसका नाम आया था. पुलिस ने उस पर चार्जशीट भी दाखिल की थी.
नगर थाना क्षेत्र के लकड़ीढ़ाही रोड में बीते 21 जुलाई को अधिवक्ता सैयद कासिम हसन उर्फ डॉलर के आवास पर प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही व उनके तीन बॉडीगार्ड निजामुद्दीन, राहुल कुमार व ओंकारनाथ सिंह को अपराधियों ने गोली मार दी थी. आशुतोष शाही ने मौके पर दम तोड़ दिया था. वहीं, तीनों बॉडीगार्ड की इलाज के दौरान मौत हो चुकी थी. मामले में आशुतोष शाही की पत्नी दीपांदिता ने नगर थाने में गैंगस्टर मंटू शर्मा, गोविंद कुमार, शेरू अहमद, रणंजय उर्फ ओंकार , विक्रांत उर्फ विक्कू शुक्ला और अधिवक्ता कासिम हसन उर्फ डॉलर के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी. नगर थाने की पुलिस ने इस मामले में विक्कू शुक्ला व शेरू अहमद को पहले ही गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी थी. वहीं, अधिवक्ता कासिम हसन उर्फ डॉलर की गिरफ्तारी पर कोर्ट रोक लगा चुकी है. वह पटना में इलाजरत है.