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Big Issue: झारखंड में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का हाल, पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं बच्चे कैसे बनेंगे एक्सीलेंट

झारखंड में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस पर लाखों रुपये खर्च तो कर दिये गये हैं, लेकिन स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की घोर कमी है. बिना शिक्षकों के सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की उच्च गुणवत्ता बच्चों को कैसे मिलेगी?

देवघर, विजय कुमार. झारखंड के गरीब बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की तरह अंग्रेजी मीडियम की शिक्षा ग्रहण कर उनकी बराबरी कर सकें. इसके लिए राज्य भर में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत की गयी. इसके पीछे स्कूलों में आधारभूत संरचना का निर्माण करने के साथ-साथ अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, लाइब्रेरी तैयार की गयी. झारखंड सरकार ने प्रथम चरण में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत राज्य में 80 स्कूलों का चयन किया, जिसमें संताल परगना प्रमंडल के अलग-अलग जिलों में 20 सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस स्कूलों का संचालन किया जा रहा है.

लाखों रुपये खर्च कर दिये, लेकिन अब ये विडंबना…

स्कूलों की आधारभूत संरचनाओं पर तो लाखों रुपये खर्च कर दिये गये, लेकिन यह विडंबना है कि अब तक इन जगहों पर विषयवार शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हो सकी है, जिससे बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हो ही रही है, स्कूलों के एक्सीलेंस बनने की उम्मीद के साथ बच्चों के सपने भी धुंधले हो रहे हैं. बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक है कि स्कूलों में संसाधानों के साथ-साथ शिक्षकों की समस्याएं भी दूर की जाये.

संताल परगना के 20 सरकारी सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त संताल परगना के 20 सरकारी स्कूलों को सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में शामिल किया गया है. शैक्षणिक वर्ष 23-24 से देवघर सहित गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा में तीन-तीन स्कूल एवं उप राजधानी दुमका व साहिबगंज में 4-4 स्कूल को सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा दिया गया है. चिह्नित स्कूलों में एक जुलाई से कक्षाएं भी शुरू हो गयी हैं. हरेक स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई के साथ-साथ प्ले ग्राउंड, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासेस आदि जरूरी संसाधनाें पर चार-चार करोड़ से अधिक खर्च किये गये हैं. स्कूलों की आधारभूत संरचनाओं को दुरुस्त करने के लिए बाह्य स्वरूपों में बदलाव के साथ-साथ आंतरिक साज सज्जा भी किया गया है. स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई सुनिश्चित कराने के साथ प्रत्येक बच्चों का विशेष ख्याल रखने के नाम पर नामांकन के लिए सीटों की संख्या में भी काफी कटौती की गयी है. मगर, सारी सुविधाएं मुहैया कराने के बावजूद शिक्षकों की कमी बच्चों की शिक्षा और उनके विकास में बाधक बन रही है.

संताल परगना : अलग-अलग जिलों में मान्यता प्राप्त सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में आवंटित सीटें

देवघर : स्कूल का नाम —11वीं कक्षा—छह से नवम

आर. मित्रा प्लस टू स्कूल, देवघर —180 — 320 (छह से नौंवी कक्षा)

प्लस टू मातृ मंदिर बालिका हाईस्कूल, देवघर — 180 — 200 (छह से नौंवी कक्षा)

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय — 25 (कक्षा छह)

दुमका : स्कूल का नाम — 11वीं कक्षा— छह से नवम

प्लस टू जिला हाईस्कूल, दुमका 000 120 (कक्षा छह और आठ)

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, दुमका 75 25 (कक्षा छह)

मसलिया मॉडल स्कूल मसलिया 40 49 (कक्षा सातवीं से नौवीं)

प्लस टू कन्या हाईस्कूल, दुमका 240 120 (कक्षा छह और नौ)

गोड्डा : स्कूल का नाम — 11वीं कक्षा— छह से नवम

गर्वेंमेंट प्लस टू हाईस्कूल, गोड्डा  360 120 (नौंवी कक्षा)

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, सुंदरपहाड़ी 75 75 (कक्षा छह)

गर्वेंमेंट प्लस टू हाईस्कूल गर्ल्स, गोड्डा 360 160 (नौंवी कक्षा)

जामताड़ा

राजकीयकृत जेबीसी प्लस टू स्कूल, जामताड़ा  360 360 (छह से नौंवी)

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, जामताड़ा — 25 (छह कक्षा)

गर्ल्स हाईस्कूल, जामताड़ा — 360 (छह से नौंवी)

पाकुड़

राज प्लस टू विद्यालय, पाकुड़ — 240 (छह से आठवीं कक्षा)

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, पाकुड़ — 25 (छह कक्षा)

एमएस राजकीय कन्या स्कूल, पाकुड़ —  100 (केजी, वन, छह)

साहिबगंज

उत्क्रमित प्लस टू बीडी हाई स्कूल, सकरीगली, तालझारी —  200 (छह से नौंवी कक्षा)

यूपीजी आदर्श बालिका हाईस्कूल, पोखरिया, साहिबगंज — 80 (बाल वाटिका व केजी)

मॉडल स्कूल बरहेट, साहिबगंज  — 120 (छह से आठवीं)

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, साहिबगंज — 25 (छह कक्षा)

स्कूलों ने अपने-अपने क्षेत्र के डीईओ से 150 शिक्षकों की भेजी डिमांड

कक्षाओं में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद भी बच्चों की विषयवार पढ़ाई नहीं हो पा रही है. संताल परगना के सीबीएसइ मान्यता प्राप्त स्कूलों में टीजीटी व पीजीटी में संस्कृत, गणित, भौतिकी, इतिहास, नागरिक, भूगोल विषय के शिक्षक नहीं हैं. विषयवार शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अंग्रेजी माध्यम के योग्यताधारी 150 से अधिक शिक्षकों की डिमांड भी विभिन्न जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारियों से की गयी है. हलांकि, अबतक इस डिमांड पर विचार भी किया जा रहा है. कहीं-कहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी के स्तर से ही योग्य शिक्षकों से आवेदन भी मांगे गये हैं, कि क्या वे स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में प्रतिनियोजित होना चाहते हैं.

बिना शिक्षकों के सरकारी स्कूलों में कैसे मिलेगी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की उच्च गुणवत्ता

सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के लिए चयनित सरकारी विद्यालयों को सीबीएसइ का दर्जा मिलने के बाद अब यहां नामांकित बच्चों को अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई के लिए शिक्षकों की जरूरत है. परंतु, बिना शिक्षकों के इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की उच्च गुणवत्ता कैसे हासिल होगी. अभिभावकों को इंतजार है कि, जितनी तैयारी के साथ स्कूलों में उनके बच्चों का नामांकन लिया गया है, उनकी पढ़ाई भी वैसी ही अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूलों की तरह मिले. विभाग को इसके लिए गंभीर पहल करने की जरूरत होगी, जिससे यहां के बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम से विषयों की पढ़ाई कर सकें.

सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में नामांकन के लिए आरक्षण की स्थिति

कोटि–आरक्षण का प्रतिशत

अनुसूचित जाति–10

अनुसूचित जनजाति–26

अत्यंत पिछड़ा वर्ग-वन–8

पिछड़ा वर्ग-टू–6

आर्थिक रूप से कमजोर की श्रेणी–10

अनारक्षित वर्ग–40

11 टीचर की और जरूरत, लैब भी फंक्शनल नहीं

सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस आर मित्रा प्लस टू स्कूल, देवघर में छठी कक्षा से 12वीं तक की पढ़ाई हो रही है. छठी से नौंवी कक्षा तक में नामांकन के लिए कुल 320 सीटें निर्धारित हैं. प्रत्येक कक्षा में 80-80 सीटें हैं. 11वीं साइंस, आर्ट्स व कॉमर्स में नामांकन के लिए 180 सीटें निर्धारित हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो सेकेंडरी में शिक्षकों का स्वीकृत 33 पद एवं हायर सेकेंडरी में 11 पद है. वर्तमान में सेकेंडरी में 22 एवं हायर सेकेंडरी में 10 शिक्षक कार्यरत हैं. टीजीटी संस्कृत में दो पद, गणित व भौतिकी में तीन पद, इतिहास व नागरिक में पांच पद, भूगोल में शिक्षक का एक पद खाली पड़ा है. पीजीटी में भौतिकी विषय में एक पद खाली पड़ा है. स्कूल प्रशासन द्वारा 11 टीचर के साथ स्पेशल टीचर की मांग जिला शिक्षा पदाधिकारी से की गयी है. स्मार्ट क्लासेस का संचालन होता है. लाइब्रेरी, लैब पूरी तरह से फंक्शनल नहीं है. कैंपस में चार करोड़ की लागत से वर्ग कक्ष के लिए नया भवन निर्माण के साथ बॉस्केटबॉल ग्राउंड, शौचालय आदि का निर्माण किया गया है. प्रधानाध्यापक कक्ष का भवन सहित जीर्ण-शीर्ण वाले भवनों को दुरुस्त किया जा रहा है. प्लांटेशन पर भी जोर दिया जा रहा है.

छठी से 11वीं तक 380 सीटें, सिर्फ 11 शिक्षक ही कार्यरत

प्लस टू मातृ मंदिर बालिका उच्च विद्यालय, देवघर में छठी से नौंवी कक्षा तक में 200 सीटें एवं 11वीं साइंस, ऑटर्स व कॉमर्स में नामांकन के लिए 180 सीटें निर्धारित है. स्कूल के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां शिक्षकों का 11 पद एवं प्रधानाध्यापक का एक पद स्वीकृत है. लेकिन, कार्यरत शिक्षकों की संख्या सिर्फ 10 है. म्यूजिक शिक्षक सहित प्रधानाध्यापक का एक-एक पद खाली पड़ा है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता मिलने के बाद स्कूल में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों का होना आवश्यक है. यहां भी तीन करोड़ की लागत से वर्ग कक्ष के लिए भवन का निर्माण होने के साथ पुराने व जर्जर भवनों को दुरुस्त किया जा रहा है.

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में सिर्फ छठी की पढ़ाई बोर्ड के अधीन

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में छठी कक्षा से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से यहां छठी कक्षा की पढ़ाई की मान्यता दी गयी है. छठी कक्षा में नामांकन के लिए कुल 25 सीटें निर्धारित है. यहां अस्थायी शिक्षकों के साथ साथ घंटी आधारित शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई करायी जाती है. स्कूल प्रबंधन ने शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए शिक्षकों की मांग भी की है. लेकिन, अबतक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गयी है.

कस्तूरबा विद्यालय में मेरिट के आधार पर चयन होगा

सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में छठी कक्षा में 25 सीटों पर नामांकन के लिए छात्राओं का चयन मेरिट लिस्ट के आधार पर किया जायेगा. राज्य परियोजना निदेशक के निर्देशानुसार, निर्धारित सीटों पर नामांकन मेधा के आधार पर लिये जायेंगे. निर्धारित सीटों पर कोटिवार आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गयी है. सातवीं, आठवीं, नौंवी एवं 11वीं कक्षा में स्वीकृति सीटों के विरुद्ध स्थान रिक्त रहने पर जिला के द्वारा निर्धारित कक्षाओं के रिक्त सीटों के लिए विद्यालयस्तरीय चयन परीक्षा का आयोजन कर छात्राओं का चयन उन सीटों के लिए कोटिवार किया जायेगा.

क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक

आर मित्रा प्लस टू स्कूल देवघर के प्रधानाध्यापक कार्तिक प्रसाद तिवारी कहते हैं कि को सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में शामिल करना निश्चित रूप से गर्व की बात है. यहां कक्षा 6 से 12वीं तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. नामांकन मेरिट लिस्ट के आधार पर किया जा रहा है. यहां वही बच्चे एडमिशन के लिए आ रहे हैं, जो रेगुलर क्लासेस अटेंड करने के साथ साथ पढ़ाई भी करना चाहते हैं. सीएमएस स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का यह फर्स्ट फेज है. फर्स्ट फेज में दिक्कतें तो होती है, उन कमियों को धीरे-धीरे दूर किया जायेगा. क्लासरूम पर्याप्त है. लेकिन फिजिक्स केमेस्ट्री एवं बायो का स्पेसिफिक रूम का अभाव है. स्पेसिफिक रूम बन जाने से वहां भी संसाधन उपलब्ध कराया जायेगा. यह पूरी तरह से सरकार की योजना है.

1 जुलाई से नए शैक्षणिक सत्र की कक्षाएं शुरू की गयी है. पेरेंट्स एवं गार्जियन का पूरा सहयोग भी मिल रहा है. विद्यालय में स्वीकृत पद के मुकाबले 11 शिक्षकों की कमी है. शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी देवघर को मांग पत्र भेजा गया है. शिक्षक भी क्लास रूम में अंग्रेजी में पढ़ाते हैं फिर उसे हिंदी में समझाते भी हैं. बच्चों काे हिंदी भाषा में भी मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है. साइंस मैथ एवं अंग्रेजी की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से करायी जाती है. सोशल साइंस हिंदी और अंग्रेजी मैं एवं हिंदी विषय की पढ़ाई हिंदी भाषा में करायी जाती है. शिक्षकों का रोल, कोआर्डिनेशन एवं फीडबैक जरूरी है. उपलब्ध संसाधन का पूरा-पूरा उपयोग होना चाहिए. इसमें शिक्षकों का अहम रोल होता है.

‘विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त है केवल शिक्षकों की आवश्यकता है’

सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की सूची में मातृ मंदिर बालिका उच्च विद्यालय को शामिल किया गया है. वर्ग कक्ष के लिए भवन पर्याप्त है. लैब के लिए फर्नीचर व केमिकल आया है. वर्क चल रहा है. कंप्यूटर लैब भी अपडेट है. लेकिन, शिक्षकों की घोर कमी है. 11वीं साइंस में 45 छात्रा, ऑर्ट्स में 60 छात्रा एवं कॉमर्स में चार छात्रा का नामांकन है. लेकिन, एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं. आर्ट्स की पढ़ाई के लिए हिस्ट्री व संस्कृत के लिए एक-एक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की गयी है. सेकेंडरी में कक्षा छह, सात व आठवीं में पढ़ाई के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं. कक्षा नौंवी व दसवीं के शिक्षकों से पढ़ाई करायी जा रही है. इंग्लिश बेस के छात्रों को पढ़ाई में खूब मजा आ रहा है. लेकिन, कक्षा छह से आठवीं तक के छात्रों को बाइलिंग्वल (अंगरेजी व हिंदी माध्यम) से पढ़ाई करायी जा रही है. शिक्षक भी बेहतर तरीके से पढ़ाई करा रहे हैं. स्कूल का लोकेशन ही ऐसा है, जिससे सावन के मेले में छात्राओं को आवागमन एवं पढ़ाई में परेशानी होती है. – बिशु किरण, प्रधानाध्यापिका, मातृ मंदिर बालिका उच्च विद्यालय देवघर

गार्जियन धैर्य रखें, बेहतर भविष्य के लिए बच्चों को नियमित स्कूल भेजें- क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक

संताल परगना प्रमंडल के विभिन्न जिलों में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की संख्या कुल 20 है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कि सिलेबस के साथ गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन सुनिश्चित कराने के लिए सरकारी स्तर पर हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. विद्यालय में विषयवार शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए सूचीबद्ध स्कूलों के प्रधानाध्यापक से विषयवार शिक्षकों से संबंधित डिमांड मांगी गयी है. संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी निर्देश दिया गया है कि वह सीएमएस स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए टॉप प्रायरिटी दें. आदर्श विद्यालय में भी जहां शिक्षकों की कमी है, उसे भी दूर किया जायेगा. विद्यालय में अंग्रेजी माध्यम से पठन-पाठन सुनिश्चित कराने के लिए प्राथमिकता दी जा रही है. अभिभावकों से भी अनुरोध है कि वह धैर्य बनाये रखें. सभी कोई अपने अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें. जहां कहीं भी संसाधन की कमी है, उसे फेज वाइज दूर किया जायेगा. आने वाले दिनों में निश्चित रूप से स्कूलों का वातावरण बदला-बदला नजर आयेगा. – रजनी देवी, क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक, संताल परगना प्रमंडल, दुमका

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