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चंद्रयान-3 के लिए आज का दिन है खास, इसरो ने दी ताजा जानकारी, जानें किस हाल में है यान

इसरो वैज्ञानिकों ने भरोसा दिलाया है कि वे चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करवाने में कामयाब होंगे. शनिवार को शाम करीब सात बजे के आसपास चंद्रयान-3 का लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन कराया जायेगा. जानें किस हाल में है भारत का मिशन मून

चंद्रयान-3 के बारे में देश के लोग ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्रित करना चाहते हैं. इस संबंध में लगातार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जानकारी भी साझा कर रहा है. इस यान के संबंध में इसरो लगातार सोशल मीडिया में लोगों को बता रहा है.

इस बीच एक और महत्वपूर्ण प्रयास के तहत इसरो चंद घंटे के बाद अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करेगा. बताया जा रहा है कि यह प्रक्रिया शाम करीब सात बजे के लिए निर्धारित है. इसरो की ओर से इस बाबत जानकारी दी गयी है और बताया गया है कि यह प्रयास तब किया जायेगा जब चंद्रयान-3 चंद्रमा के सबसे पास होगा.

इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद से चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली. यान चांद के करीब पहुंचता नजर आ रहा है. करीब 40 हजार किलोमीटर की दूरी पर चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति उसे अपनी ओर खींचेगी. चंद्रयान-3 भी चांद के ऑर्बिट को पकड़ने की कोशिश करेगा.

चंद्रयान-3 को कब किस कक्षा में करवाया जाएगा प्रवेश जानें

इसरो वैज्ञानिकों ने भरोसा दिलाया है कि वे चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करवाने में कामयाब होंगे. शनिवार को शाम करीब सात बजे के आसपास चंद्रयान-3 का लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन कराया जायेगा. यानी चांद के पहली कक्षा में इसे डाला जायेगा. इसरो ने बताया कि छह अगस्त की रात 11 बजे के आसपास चंद्रयान को चांद की दूसरी कक्षा में प्रवेश करवाया जाएगा. नौ अगस्त की दोपहर पौने दो बजे के आसपास तीसरी ऑर्बिट मैन्यूवरिंग होगी. 14 अगस्त को दोपहर 12 बजे के आसपास चौथी और 16 अगस्त की सुबह साढ़े आठ बजे के आसपास पांचवां लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन होगा. 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे.

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17 अगस्त को ही चंद्रयान को चांद की 100 किलोमीटर ऊंचाई वाली गोलाकार कक्षा में डाला जायेगा. 18 और 20 अगस्त को चांद की कक्षा की दूरी को कम किया जायेगा. लैंडर मॉड्यूल 100×30 किलोमीटर की कक्षा में जायेगा. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन की स्थिति सामान्य है और 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्र सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जायेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला अंतरिक्षयान बन जायेगा. चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी स्पेसक्राफ्ट भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं.

एक नजर में जानें चंद्रयान के बारे में

-कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया पांच बार सफलतापूर्वक पूरी

-आज शाम सात बजे चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान करेगा प्रवेश

-यह प्रयास तब होगा, जब चंद्रयान चंद्रमा के सबसे पास होगा

-चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक रहता है उजाला

-रात के समय तापमान -100 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है

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अब तक का चंद्रयान-3 के सफर पर एक नजर

-14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36500 km के ऑर्बिट में छोड़ने का काम इसरो की ओर से किया गया था.

-15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41762 km x 173 km कर दिया गया.

-17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41603 km x 226 km कर दिया गया.

-18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51400 km x 228 km कर दिया गया.

-20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71351 x 233 Km कर दिया गया.

-25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 127609 km x 236 km कर दिया गया.

-31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ गया है चंद्रयान-3.

इसरो के चंद्रयान मिशन के घटनाक्रम पर एक नजर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रमा तक पहुंचने के मिशन का घटनाक्रम जानें

-15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम का ऐलान किया.

-22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी.

-आठ नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया.

-14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि कर दी थी.

-28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति हुई.

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-22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया था.

-20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया.

-दो सितंबर 2019 को चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.

-14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी है जिसकी जानकारी लगातार इसरो दे रहा है.

-23/24 अगस्त 2023 को इसरो के वैज्ञानिकों ने 23-24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना तैयार की है जिससे भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा.

भाषा इनपुट के साथ

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