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Explainer: लिफ्ट में फंस जाए तो पैनिक न हों, इस सिचुएशन में ये करें काम, सुरक्षित बाहर निकल आएंगे आप

ऊंची बिल्डिंगों में रहने वालों का लिफ्ट के बिना काम नहीं चल सकता. लेकिन अक्सर देखने को मिलता है कि कई बार लिफ्ट खराब होने की वजह से लोग उसमें फंस जाते हैं. कभी-कभी तो लिफ्ट फंसने पर जान भी चली गई है. ऐसे में आपके या आपके परिवार को लिफ्ट से जुड़ी कुछ सावधानियां सीखने की जरूरत है.

उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर-137 की पारस टिएरा सोसायटी में कुछ दिन पहले लिफ्ट टूटने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. जैसे ही इसकी सूचना सोसायटी के लोगों को हुई तो सभी जमा हो गए और जमकर हंगामा किया. बुजुर्ग महिला टिएरा हाउसिंग सोसायटी के टावर नंबर 24 में आठवें फ्लोर पर फ्लैट नम्बर 803 में रहती थीं.

किसी काम से नीचे जा रही थीं. जैसे ही वे लिफ्ट में चढ़ीं तो अचानक लिफ्ट का तार टूट गया. जिसकी वजह से बुजुर्ग महिला लिफ्ट में ही फंसी रही. लिफ्ट बीच की मंजिल पर आकर अटक गई. सूचना पाकर मेंटेनेंस डिपार्टमेंट के कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचकर लिफ्ट को खोलने का प्रयास करने लगे. करीब 45 मिनट लिफ्ट खुलने में लग गया. इस दौरान बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. आनन-फानन में लोगों ने महिला को अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने बुजुर्ग महिला को मृत घोषित कर दिया.

वहीं उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में 32 साल की एक महिला ओल्गा लियोन्टीवा लिफ्ट में फंस गई. तीन दिन तक लिफ्ट के अंदर से लियोन्टीवा मदद मांगती रही, पर उसे बचाने कोई नहीं आया. लिफ्ट के अंदर ही उसकी मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लियोन्टीवा 9 मंजिला इमारत के टॉप फ्लोर पर लिफ्ट में फंसी हुईं थीं. बिजली चले जाने से लिफ्ट जाम हो गई थी. तब लियोन्टीवा लिफ्ट में अकेली थी.

जांच में पता चला कि लिफ्ट में कई दिक्कतें थीं, जिसकी वजह से लिफ्ट फंसी थी. लिफ्ट में फंसने की ऐसी घटनाएं लगभग हर रोज सुनाई देती हैं. ऐसे में आपके या आपके परिवार के साथ इस तरह का कोई हादसा न हो जाए. ऐसे में आपको लिफ्ट से जुड़ी सावधानियां सीखने की जरूरत है. आज जानेंगे कि लिफ्ट में फंसने के दौरान क्या करें और किन बटनों का यूज कब करना चाहिए.

लिफ्ट में फंसने पर घबराएं नहीं

अगर आप कभी लिफ्ट में फंस जाएं तो शांत रहें और घबराएं नहीं तनाव के कारण किसी का दिमाग काम करना बंद कर सकता है. अगर आप लिफ्ट में फंस जाएं तो ऐसी स्थिति में शांत रहें और घबराएं नहीं. अपने माइंड को स्थिर रखें. ऐसी स्थिति में शोर नहीं मचाना चाहिए, न ही घबराना चाहिए. क्योंकि इससे आपका ब्लडप्रेशर बढ़ सकता है जिस कारण आपकी जान भी जा सकती है.

रोशनी का इंतजाम करें

सभी के पास फोन होता है और फोन में टॉर्च होती है तो उसकी लाइट चलाकर अपना हौसला बनाए रखें. लेकिन लगातार लाइट न जलाएं क्‍योंकि आपके फोन में अगर सिग्‍नल आते हैं तो आप उससे कॉल कर सकते हैं. बीच-बीच में जलाकर देखने से फोन की बैटरी लंबे समय तक चलेगी.

अनावश्यक रूप से न दबाएं बटन

हमेशा चेक करें कि लिफ्ट का दरवाजा ठीक से बंद हो रहा है या नहीं सबसे सामान्य कारणों में से एक है कि लिफ्ट का दरवाजा ठीक से बंद नहीं होने के कारण वह अटक जाता हैं. लिफ्ट में फंसने पर बार-बार बटनों को दबाने से बचें. ऐसे में मशीन के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी आ सकती है और उसमें टेक्निकल डायरेक्शन की दिक्कत हो सकती है. जिसके चलते लिफ्ट ऊपर-नीचे जाने के बजाय बीच में अटक सकती है.

कॉल बटन दबाएं लिफ्ट के कंट्रोल पैनल में एक कॉल बटन होता है जो रखरखाव टीम से संपर्क करने के लिए होता है. लिफ्ट में फंसने पर इसे तुरंत दबाएं. साथ ही लिफ्ट में एक पैनिक बटन भी है जो यह दर्शाता है कि आप फंस गए हैं. यदि आप इस दौरान अपने फोन का उपयोग करने की सोच रहे हैं, तो याद रखें कि कई बार आपका फोन सिग्नल नहीं मिल पाता है. लिफ्ट के दरवाजों के बीच अगर जगह है तो बाहर देखें और लोगों से मदद मांगे.

लिफ्ट के फोन का करें इस्तेमाल

कई जगहों पर लिफ्टों में एक फोन भी मौजूद रहता है. इस फोन का सीधा संपर्क ड्यूटी पर मौजूद सिक्योरिटी गार्ड से होता है. लिफ्ट में फंसने पर आप शांत रहते हुए उस फोन के जरिए गार्ड को फोन कर हालात के बारे में बताएं और अपने लिए मदद मांगें. ऐसा करने से वे तुरंत आपकी सहायता के लिए पहुंच जाएंगे.

गार्ड से खुलवाएं लिफ्ट के गेट

सोसायटी या बिल्डिंग के मेनटिनेंस स्टाफ के पास सभी लिफ्ट की एक मास्टर की होती है. इस की का इस्तेमाल इमरजेंसी की हालत में लिफ्ट को खोलने के लिए किया जाता है. जैसे ही आप खुद को लिफ्ट में फंसा हुआ पाएं तो इमरजेंसी बटन के लिए गार्ड या मेनटिनेंस स्टाफ से संपर्क कर उन्हें मास्टर की लाने के लिए कहें.

अपने आप न खोलें दरवाजे

जब तक आप तक कोई मदद न पहुंचें, तब तक आप खुद पर काबू रखें और अनावश्यक रूप से लिफ्ट का दरवाजा खोलने की कोशिश न करें. ऐसा करने से लिफ्ट का दरवाजा तो नहीं खुलेगा, उल्टे आप थक जाएंगे और आपका ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाएगे. ऐसे में कई बार हार्ट अटैक आने या स्ट्रोक की आशंका बनी रहती है. जिससे आपकी मुश्किल बढ़ सकती है.

यहां जानें लिफ्ट की कौन सी बटन का क्या मतलब होता है

कई जगहों पर लिफ्ट के की-बोर्ड पर इतने बटन होते हैं कि लोग कंफ्यूज हो जाते हैं. आमतौर पर लिफ्ट में ऊपर-नीचे वाले यानी कॉल बटन होते हैं और फ्लोर नंबरिंग वाले बटन होते हैं. कई बार लोग एक साथ दो बटन दबा देते हैं जिससे टेक्निकल खराबी या लिफ्ट फंस भी सकती है.

ऊपर तीर वाला बटन

जब भी आप अपने से ऊपर वाले फ्लोर पर जाना चाहते हैं तो ऊपर तीर वाला बटन दबाना चाहिए. चाहे लिफ्ट की केबिन कहीं भी हो, आपको अपने डेस्टिनेशन के हिसाब से कॉल बटन ऑपरेट करना चाहिए.

नीचे तीर वाला बटन

मौजूदा फ्लोर से नीचे वाले फ्लोर पर जाना चाहते हैं तो नीचे वाला बटन दबाना चाहिए. आपको इससे मतलब नहीं होना चाहिए कि उस समय लिफ्ट की केबिन कहां है. मान लीजिए आप 5वें फ्लोर पर हैं और आपको इससे ऊपर वाले किसी फ्लोर पर जाना है तो आपको ऊपर वाला बटन दबाना चाहिए.

M बटन

अगर किसी लिफ्ट में M बटन लगा है तो इसका रिलेशन मेजनाइन या Mezzanine से है. M बटन दबाने पर आप मेजनाइन फ्लोर पर आ जाएंगे. बता दें कि मेजनाइन वो फ्लोर, जो ग्राउंड से भी नीचे होता है, लेकिन बेसमेंट की तरह नहीं होता है. इस तरह के बटन आप दिल्ली मेट्रो स्टेशन की लिफ्ट में देख सकते हैं.

C बटन

इसका रिलेशन कान्कॉर्स या Concourse से है. ये बटन बिल्डिंग लिफ्ट में कम, जबकि रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन या बड़ी बिल्डिंग, हॉस्पिटल में ज्यादा इस्तेमाल होता है. बता दें कि कान्कॉर्स का मतलब एंट्रेस वाले फ्लोर से है, जहां काफी बड़ा हॉल होता है. दरअसल, एयरपोर्ट या मेट्रो स्टेशन के अंदर घुसते ही जो बड़ी सी खाली जगह होती है और वहां काफी लोग होते हैं उसे कान्कॉर्स कहा जाता है.

RC बटन

ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर दोनों एक ही होते हैं. इसके लिए लिफ्ट में ‘RC’ बटन का यूज किया जाता है. आप जब भी किसी फ्रेंच एलिवेटर में हों तो वहां ‘ग्राउंड फ्लोर’ के लिए ‘G’ बटन की बजाय Rez-De-Chaussee (RC) बटन दिखाई देगा. इसके अलावा भी दुनिया के अलग-अलग देशों की लिफ्ट में अलग-अलग बटन बने होते हैं.

यहां जानें लिफ्ट का निर्माण किसने किया था

आपको बता दें कि लिफ्ट का निर्माण अमेरिका में रहने वाले ओटिस नाम के एक  युवक ने किया था. इसका निर्माण लगभग सवा सौ वर्ष पहले हुआ था. लेकिन इसका इस्तेमाल तब सही से होने लगा जब इसके अंदर स्टील की मोटर पहिया लगा कर इस्तेमाल शुरू हो गया. बड़े शहरों में कोई भी इमारत बिना लिफ्ट के नहीं बनती. लिफ्ट के सहारे लोग एक झटके में अपने मंजिल तक पहुंच जाते हैं. 

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