बोलपुर, मुकेश तिवारी : इस बार विश्व भारती ने भारत सरकार के खिलाफ मामला दायर किया. विश्व भारती के रजिस्ट्रार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की. इस मामले में भारत संघ यानी भारत सरकार को भी प्रतिवादी के रूप में शामिल किया गया है. इस खबर से विश्व भारती के प्रोफेसर-छात्र-शिक्षक सदमे में हैं. भारत के इतिहास में यह पहली बार है कि इस तरह की घटना की जानकारी सूत्रों ने दी है. सवाल यह है कि क्या भारत सरकार के खिलाफ मामले के इस फैसले को विश्व भारती की सर्वोच्च नीति-निर्धारक कार्यकारी परिषद ने मंजूरी दे दी है ? विश्व भारती में हाल ही में कोई कार्यकारी परिषद की बैठक नहीं हुई है.कथित तौर पर, तो फिर इतना अजीब फैसला अकेले कुलपति ने लिया?
हाल ही में विश्व भारती के एक पूर्व अधिकारी प्रशांत मेश्राम ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से शिकायत की थी कि उन्होंने एक आधिकारिक बैठक में नस्लवादी टिप्पणी की थी. इसे देखते हुए आयोग ने कुलपति को इस महीने की 11 तारीख को दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया. उस पेशी से बचने के लिए कुलपति ने विश्व भारती के पैसे से यह मुकदमा दायर किया. विश्वविद्यालय के अंदर यह सवाल उठ रहा है कि विश्व भारती अपने कुलपति को बचाने के लिए भारत सरकार के खिलाफ मामला कैसे दर्ज कर सकती है, जिसके कुलाधिपति खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
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इस मामले को लेकर समूचे विश्व भारती में हलचल शुरू हो गई है. इसके पहले भी विश्व भारती के कुलपति द्वारा एक छात्र को एक वर्ष के लिए इसलिए निलंबित कर दिया गया था. छात्र ने अपने सोशल मीडिया फेसबुक पर विश्व भारती के साथ चल रहे नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के पक्ष में समर्थन कर दिया था. इसे लेकर उक्त छात्र को एक वर्ष के लिए निलंबित कर दिया गया है. यह मामला और अमर्त्य सेन का मामला विवाद में होने के बाद अब यह नया विवाद खड़ा हो गया है की विश्व भारती अब भारत सरकार के खिलाफ ही मामला दायर कर दी है.
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