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150 में से 9 मेडिकल कॉलेजों में MBBS एडमिशन पर रोक, देखें कॉलेज के नाम

MBBS Admission: 150 में से 9 मेडिकल कॉलेजों में MBBS एडमिशन पर रोक बरकरार है. सभी नौ कॉलेज या तो निजी हैं या ट्रस्ट द्वारा संचालित किये जा रहे हैं. नौ कॉलेजों में से दो-दो तमिलनाडु और कर्नाटक से हैं, और एक-एक पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार से हैं.

MBBS Admission: 1500 सीटों वाले कम से कम 9 कॉलेजों को वर्तमान एमबीबीएस बैच (2023-24) के लिए छात्रों को प्रवेश देने से रोका जा रहा है. सभी नौ कॉलेज या तो निजी हैं या ट्रस्ट द्वारा संचालित किये जा रहे हैं. नौ कॉलेजों में से दो-दो तमिलनाडु और कर्नाटक से हैं, और एक-एक पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार से हैं. कम से कम दो कॉलेजों पर मूल्यांकन टीम की ओर से असहयोग और दुर्व्यवहार के आरोप लगाए गए हैं. हालांकि मेडिकल कॉलेजों का समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है, लेकिन यह मुद्दा इस साल की शुरुआत में तब सामने आया जब एनएमसी ने 150 कॉलेजों की या तो मान्यता रद्द कर दी या उन्हें नोटिस भेज दिया. साइड कॉलेजों में पर्याप्त मरीज और स्टाफ न होने और नए कैमरे और बायोमेट्रिक उपस्थिति-आधारित प्रणाली को लागू न करने जैसे मुद्दे थे.

स्वास्थ्य मंत्रालय से अपील के बाद मिली मान्यता

एनएमसी के एक अधिकारी ने बतलाया एनएमसी या स्वास्थ्य मंत्रालय से अपील के बाद अधिकांश कॉलेजों को फिर से मान्यता दी गई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉलेजों, विशेष रूप से अच्छी तरह से स्थापित और सरकारी कॉलेजों ने छोटी-मोटी कमियों को ठीक कर लिया है. उदाहरण के लिए, कुछ कॉलेजों ने कोविड-19 के बाद से बायोमेट्रिक सिस्टम पर उपस्थिति दर्ज करना बंद कर दिया था. कुछ कॉलेजों में पर्याप्त सदस्य नहीं थे. यदि कमी 10 प्रतिशत से अधिक नहीं है, तो विभाग पदों को भरने के दौरान वर्ष के लिए छात्रों को प्रवेश दे सकते हैं, लेकिन कमी 10 प्रतिशत से अधिक है तो किसी भी स्थिति में छात्रों का नामांकन किया जाना संभव नहीं है. इस तरह के घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आए हैं जब एनएमसी अस्पतालों में कैमरों, आधार -आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली और अस्पताल के स्वास्थ्य प्रणाली प्रबंधन डेटा का उपयोग करके मेडिकल कॉलेजों की निरंतर निगरानी की एक नई प्रणाली स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.

कई कॉलेजों में अभी भी है कमियां

अधिकारी से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की “कुछ कॉलेजों में अभी भी बड़ी कमियां पाई गईं है. यदि किसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों और संकाय सदस्यों की कमी इस हद तक है कि उसे तुरंत ठीक नहीं किया जा सकता है, तो उन्हें वर्तमान बैच के लिए छात्रों को लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उदाहरण के लिए, पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में एक निजी मेडिकल कॉलेज के भौतिक निरीक्षण के दौरान, एनएमसी ने पाया कि कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो रही थी, न ही वहां कोई मरीज थे. अधिकारी ने बताया कि “कई छात्र ऐसे संस्थानों में दाखिला लेने के लालच में आ जाते हैं और उचित शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं.” ये कॉलेज उन नौ कॉलेजों में से एक है जिन्हें छात्रों को प्रवेश देने से रोक दिया गया है. क्योंकि यहां शिक्षा नहीं दी जा रही थी बल्कि फर्जी दस्तावेज सौपे जा रहे थें. कई छात्र ऐसे भी है जिन्हे पढ़ाई से किसी भी प्रकार का कोई भी मतलब नहीं है वो सिर्फ दस्तावेज प्राप्त करने के मकसद से पढ़ाई करते हैं ताकि उन्हें आसानी से डिग्री मिल जाए. एनएमसी अधिकारी ने स्पष्ट करते हुए कहा पहले से प्रवेशित बैचों के छात्र प्रभावित नहीं होंगे.

21 सितंबर से पहले करनी होगी सुधार

जो कॉलेज 21 सितंबर को चौथे और अंतिम दौर की काउंसलिंग शुरू होने तक अपनी कमियों में सुधार करते हैं, उन्हें अभी भी वर्तमान बैच के लिए छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यदि वो ऐसा नहीं करते हैं तो वह इस वर्ष किसी भी छात्र का प्रवेश नहीं ले पाएंगे. यह पहली बार है कि देश भर के सरकारी और निजी कॉलेजों में 1 लाख से अधिक एमबीबीएस सीटें छात्रों के लिए उपलब्ध हैं, जो 2014 में 53,000 उपलब्ध सीटों से अधिक है. ये बहुत हीं दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में कई ऐसे कॉलेज है जहां बच्चे सिर्फ फर्जी डिग्री प्राप्त करने जाते है. बाद के दिनों में ऐसे बच्चे सही तरीके से किसी भी मरीज का इलाज नहीं कर पाते हैं और जल्द इलाज नहीं होने के कारण उन मरीजों की मृत्यु हो जाती है. यदि जल्द ये कॉलेज अपनी कमियों को सुधारने में सफल नहीं होते हैं तो इस वर्ष किसी भी छात्र का नामांकन इन कॉलेजो में नहीं किया जाएगा.

रिपोर्ट- वैभव विक्रम

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