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Sudh Mahadev Mandir: यहां मौजूद है महादेव का टूटा हूआ त्रिशूल, जानें कैसे पहुंचे यहां

Sudh Mahadev Mandir: आज हम आपको बताते हैं एक ऐसे शिव मंदिर में जहां महादेव के साथ-साथ उनके खंडित त्रिशूल की भी पूजा होती है. जम्मू से 120 किलो मीटर दूर पटनीटॉप के पास सुध महादेव का मंदिर स्थित है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहां पर एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए हैं

  • हम आपको बताते हैं एक ऐसे शिव मंदिर में जहां महादेव के खंडित त्रिशूल की पूजा होती है

  • यह त्रिशूल मंदिर परिसर में खुले में गड़े हुए हैं और यहां आने वाले भक्त इनका भी जलाभिषेक करते है

  • पौराणिक ग्रंथों में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है

Sudh Mahadev Mandir: जब भी भगवान शिव की प्रिय चीजों के बारे में बात होती है तो इसमें त्रिशूल, डमरू और गले में धारण सर्प की माला का नाम आता है. कहते हैं भगवान शंकर के लिए ये तीनों उनके शरीर के अंगों के समान है. शिव जी के लिए इनका खास होना ही इनके अपने आप में महत्वता बढ़ाता है. हिंदू धर्म में इन तीनों की भी पूजा-अर्चन का महत्व है. मगर बहुत कम लोग होंगे हैं इनके महत्व से तथा इनके विशेषता से रूबरू है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं एक ऐसे शिव मंदिर में जहां महादेव के साथ-साथ उनके खंडित त्रिशूल की भी पूजा होती है.

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आपको जान कर हैरानी होगी की महादेव ने एक दानव के वध करने के पश्चात अपने त्रिशूल को तीन भाग में तोड़ दिया था. हम सभी ये बात भली भाति जानते हैं कि महादेव केवल ऐसे देवता हैं जिनके नजर में हम सभी एक समान है . वह किसी भी जीव में भेद भाव नहीं करते हैं,सभी की अपना संतान मानते हैं. महादेव सभी की मनोकामना की पूर्ति भी करते हैं. वह ये नहीं देखते है की ये मानव है या,दानव वो सभी को एक सम्मान के फल प्रदान करते हैं. आईए जानते है की महादेव ने दानव का वध क्यों किया

पार्वती के आग्रह में महादेव नें किया था वध

हम सभी जानते है की महादेव को पाने के लिय माता पार्वती ने घोर तपस्या की थी. मान्यता के अनुसार माता पार्वती जब महादेव को पाने के लिए जम्मू के पास स्थित एक गुफा में घोर तपस्या कर रही थी उस व्यक्त वहां एक सुधान्त नामक दानव आ गया. जिसको देख के माता पार्वती डर गई और महादेव को याद किया जिसके पश्चात महादेव वहां आए और दानव का वध कर दिए . जिसके बाद उनको ये बात ज्ञात हुआ की ये दानव मेरा भक्त है और मेरी तपस्या के लिए इस गुफा में आया था. महादेव को अपने किये पर पछतावा हुआ और उन्होंने उस दानव को वरदान दिया कि आज से लोग मुझे यहां तुम्हारे नाम से जानेगें. वैसे तो भगवान शिव के कई अनोखे मंदिर हैं, लेकिन पटनीटॉप के पास स्थित शंकर जी का सुध महादेव का मंदिर शिव के प्रमुख मंदिरों में से है. पौराणिक ग्रंथों में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है.

मंदिर में हैं त्रिशूल के टुकड़े

यह त्रिशूल मंदिर परिसर में खुले में गड़े हुए हैं और यहां आने वाले भक्त इनका भी जलाभिषेक करते है. दानव के वध के बाद भगवान शिव ने जिस त्रिशूल से उस दानव का वध किया था उसको 3 भागों में तोड़ दिया और वही स्थान में छोड दिया इस मंदिर में नाथ संप्रदाय के संत बाबा रूपनाथ ने कई वर्षों पहले समाधि ली थी उनकी धूनी आज भी मंदिर परिसर में है. मंदिर के बाहर ही पाप नाशनी बाउली (बावड़ी) है जिसमें पहाड़ों से 12 महीनों पानी आता रहता है. ऐसी मान्यता है कि इसमें नहाने से सारे पाप नष्ट हो जाते है. अधिकतर भक्त इसमें स्नान करने के बाद ही मंदिर में दर्शन करने जाते हैं.

सावन मास में लगता है यहां भव्य मेला

मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर माता पार्वती की जन्म भूमि मानतलाई है. यहीं पर माता पार्वती का जन्म और शिव जी से उनका विवाह हुआ था. यहां पर माता पार्वती का मंदिर और गौरी कुण्ड भी देखने लायक जगह है. सावन मास की पूर्णिमा पर यहां मेला लगता है, इस मेले में देश भर के दूर-दूर से सुध महादेव के दर्शन करने आते हैं. इस वर्ष 31अगस्त को यहां भव्य मेला लगाया जाएगा जिसकी सुंदरता देखने योग्य होगी.

पटनीटॉप में है सुध महादेव का मंदिर

जम्मू से 120 किलो मीटर दूर पटनीटॉप के पास सुध महादेव का मंदिर स्थित है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहां पर एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हुए हैं जो कि पौराणिक कथाओं के अनुसार स्वयं भगवान शिव के हैं. सुध महादेव मंदिर का निर्माण आज से लगभग 2800 वर्ष पूर्व बताया जाता है. जिसका पुनर्निर्माण लगभग एक शताब्दी पूर्व एक स्थानीय निवासी रामदास महाजन और उनके पुत्र ने करवाया था. इस मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग, नंदी और शिव परिवार की मूर्तियां हैं.

रिपोर्ट- वैभव विक्रम

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