लखनऊ: रालोद विधायकों की मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ मुलाकात से यूपी का राजनीतिक पारा चढ़ गया है. रालोद ने मुलाकात की जानकारी अपने टि्वटर हैंडल से दी है. साथ ही मुलाकात का मकसद भी लिखा है. राजनीतिक पंडित इस मुलाकात का कुछ और ही अर्थ निकाल रहे हैं. साथ ही भविष्य की राजनीति से भी जोड़ रहे हैं.
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के टि्वटर हैंडल से सीएम योगी के साथ हुई मुलाकात का फोटो ट्वीट किया गया है. साथ ही लिखा गया है कि ‘गन्ना भुगतान में विलंब किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है. रालोद सदैव किसान भाईयों के हित की आवाज उठाता रहा है. इसी क्रम में रालोद विधानमंडल दल के नेता राजपाल बालियान के नेतृत्व में विधायक दल ने गन्ना भुगतान के मामले पर मुख्यमंत्री से बात कर शीघ्र भुगतान का आग्रह किया.’
गन्ना भुगतान में विलंब किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है।
रालोद सदैव किसान भाईयों के हित की आवाज उठाता रहा है।
इसी क्रम में रालोद विधानमंडल दल के नेता राजपाल बालियान जी के नेतृत्व में विधायक दल ने गन्ना भुगतान के मामले पर मुख्यमंत्री जी से बात कर शीघ्र भुगतान का आग्रह किया। pic.twitter.com/RYFvVd6Bk7— Rashtriya Lok Dal (@RLDparty) August 9, 2023
रालोद विधायकों के सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने की फोटो सामने आने के बाद से ही यूपी का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है. कयासबाजी भी शुरू हो गयी है. रालोद ने इसे सियासी मुलाकात नहीं कहा है. उनके टि्वटर हैंडल से इसे जनसरोकार से जुड़े मुद्दों पर मुलाकात बताया गया है. लेकिन इस मुलाकात को बीते दिनों की जयंत चौधरी की एक्टिविटी से जोड़कर देखा जा रहा है.
हाल ही में दिल्ली सर्विस बिल के खिलाफ वोटिंग में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी नहीं दिखे थे. इससे कयास लगाये जा रहे हैं कि वह I.N.D.I.A के साथ को लेकर कुछ सोच रहे हैं. या फिर वह न्यूट्रल रह कर एनडीए (NDA) के साथ जाने के रास्ते खुले रखना चाहते हैं. इससे पहले भी कई मौके पर जयंत चौधरी की एक्टिविटी को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो गया था.
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हालांकि वोटिंग में शामिल न होने के मामले में रालोद ने तुरंत सफाई दी थी कि वह निजी कारणों से वोटिंग में शामिल नहीं हुए थे. जिस दिन वोटिंग थी, उस दिन उनकी पत्नी का ऑपरेशन था, इसलिये वह सदन में मौजूद नहीं थे. लेकिन उनके पुराने ट्वीट को इस मामले से जोड़ते हुए नये समीकरण बनाए जा रहे हैं. आरएलडी अध्यक्ष ने एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने बिरयानी और खीर का जिक्र किया था. इस ट्वीट के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था.
सीएम योगी से हुई मुलाकात से पहले रालोद विधायकों ने सपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी. 7 अगस्त को हुई मुलाकात को आरएलडी (RLD) टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया गया था. इसमें लिखा गया था कि ‘विपक्ष की सजगता मजबूत लोकतंत्र के निर्माण में सहायक होती है. राष्ट्रीय_लोकदल के विधायकों ने मानसून सत्र की शुरुआत से पहले विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष @yadavakhilesh से मुलाकात कर जनहित के मुद्दों तथा अलग-अलग क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की.’ इस मुलाकात का फोटो भी ट्वीट किया गया था.
विपक्ष की सजगता मजबूत लोकतंत्र के निर्माण में सहायक होती है। #राष्ट्रीय_लोकदल के माननीय विधायकों ने मानसून सत्र की शुरुआत से पहले विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष @yadavakhilesh जी से मुलाकात कर जनहित के मुद्दों तथा अलग-अलग क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की। pic.twitter.com/gNZ9WYTkLB
— Rashtriya Lok Dal (@RLDparty) August 6, 2023
आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी के बीजेपी में जाने की संभावनाओं को लेकर लगातार चर्चा का बाजार गर्म है. समाजवादी पार्टी से जुड़े कई पिछड़े वर्ग के नेताओं, विधायक दारा सिंह चौहान की वापसी और सुभासपा की एनडीए में वापसी के बाद माना जा रहा है कि बीजेपी का अगला निशाना रालोद है. क्योंकि पश्चिम यूपी में रालोद का जनाधार अच्छा है. अखिलेश यादव के साथ मिलकर जयंत चौधरी ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान भी पहुंचाया है.
इसीलिये लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी किसी भी तरह रालोद और जयंत चौधरी को अपने पाले में करना चाहती है. इसके लिये बीजेपी के लोग एक्टिव भी हैं. वहीं जयंत चौधरी भले ही कुछ न बोलें, लेकिन उनकी पार्टी का एक धड़ा लोकसभा चुनाव में सपा को छोड़कर बीजेपी के साथ जाने में फायदा देख रहा है. इसको लेकर सुगबुगाहट भी शुरू हो गयी है. लेकिन जयंत चौधरी लगातार समाजवादी पार्टी और I.N.D.I.A. के साथ मजबूती से खड़े रहने का संदेश दे रहे हैं.
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2024 लोकसभा चुनाव में रालोद पश्चिम यूपी में स्वयं को पहले पायदान पर रखना चाहती है. पार्टी यहां की 10 से 12 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. इसके लिये अभी से संदेश भी दिया जा रहा है. यह संदेश सीधे-सीधे समाजवादी पार्टी के लिये है. लेकिन समाजवादी पार्टी रालोद को इतनी सीटें बंटवारे में देगी कि नहीं, इसको लेकर भी संशय है. क्योंकि I.N.D.I.A. बनने के बाद पूरा गठबंधन तय करेगा कि कौन कहां से लड़ेगा. किसको कितनी सीटें दी जाएं.
हालांकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अखिलेश यादव जयंत चौधरी को छोटे भाई की तरह ही मानते हैं. उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए जयंत चौधरी को राज्य सभा में भेजा था. यह विधान सभा में हुए गठबंधन के बाद हुआ था. इसलिये जयंत चौधरी भी उनके साथ कुछ ऐसा नहीं करना चाहते हैं, जिससे दोनों के बीच संबंध खराब हों. इसलिये अभी सिर्फ ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति बनी हुई है.
उत्तर प्रदेश अवध, पूर्वांचल, पश्चिम यूपी, बुंदेलखंड में बंटा हुआ है. कुल 80 सीटों में 27 लोकसभा सीटें पश्चिम यूपी में हैं. 2022 विधान सभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था. हालांकि यह उम्मीद से कम था लोकिन भविष्य की राजनीति की दिशा तय करने वाला जरूर था. पश्चिम यूपी में 136 विधानसभा सीटों में 94 पर कब्जा किया था. वहीं 2027 में यहां 27 लोकसभा सीटों में से 19 बीजेपी के खाते में गयी थी. जबकि 8 सीटें विपक्षी गठबंधन को मिली थीं. इसमें सपा के साथ बीएसपी शामिल थी. दोनों ने चार-चार सीटें जीतीं थी.
पश्चिम यूपी में बीजेपी भले ही लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, लेकिन सपा-रालोद गठबंधन उसके लिए खतरा बनता जा रहा है. इसका परिणाम 2022 विधानसभा चुनाव और फिर उसके बाद हुए निकाय चुनाव में दिखा है. निकाय चुनाव में भाजपा ने जाट बहुल मेरठ, मथुरा, मुरादाबाद नगर निगम महापौर चुनाव जीत लिया था. लेकिन मथुरा, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, अमरोहा और अलीगढ़ में उसे नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतों में झटका भी लगा था. यही नहीं खतौली उपचुनाव भी भी उसे झटका लगा था और मदन भैया यहां से चुनाव जीते थे.
विधान सभा चुनाव 2022 में सपा-रालोद गठबंधन से बीजेपी को पश्चिम यूपी में डेंट लगा था. यहां रालोद ने 8 सीटें जीत ली थी. इनमें सभी जाट बाहुल्य सीटें थीं. लेकिन यह गठबंधन पूरी तरह से जाटों को बीजेपी के मोहपाश से बाहर नहीं निकाल पाया था. अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी बचे हुए जाट वोटों को सहेजने की कोशिश में है. साथ ही रालोद पर भी उसकी निगाह है.
बीजेपी 2019 लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में पाए मतों का आंकलन कर रही है. इस चुनाव में सपा-बसपा के साथ रालोद भी थी. इसके चलते बीजेपी के प्रत्याशियों को कई सीटों पर वोट उम्मीद से कम मिले थे. खासतौर से मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान 6526 वोट और बागपत से डॉ. सत्यपाल सिंह को लगभग 23 हजार मतों से चुनाव जीते थे. यदि सपा रालोद गठबंधन रहता है तो कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर की संभावना बन जाएगी.
2009 लोकसभा चुनाव में रालोद एनडीए के साथ था. इस चुनाव में उसे सात सीटें मिली थी. इनमें से रालोद ने बागपत, हाथरस, बिजनौर, अमरोहा और मथुरा में जीत हासिल की थी. लेकिन उस समय चौधरी अजीत सिंह जिंदा थे. अब जयंत के कंधों पर रालोद की जिम्मेदारी है. जाट नेताओं ने अपनी भूल को स्वीकारते हुए जयंत चौधरी को अपना नेता मान लिया है. इसको लेकर एक बड़ी पंचायत भी हो चुकी है. जिसमें में उन्हें पगड़ी भी पहनायी गयी थी. इस पंचायत के बाद जाट समुदाय में जयंत की पहुंच बढ़ी है.
रालोद ने 2004 लोकसभा चुनाव में भी सपा के साथ मिलकर लड़ा था. यह गठबंधन मुलायम सिंह यादव और चौधरी अजित सिंह के बीच हुआ था. इस चुनाव में आरएलडी 10 सीटों पर लड़ी थी. इनमें से उसे तीन पर जीत मिली थी. वहीं समाजवादी पार्टी ने 35 सीटें जीतीं थी. इस गठबंधन को कुल 38 सीटें मिलीं थी. यह समाजवादी पार्टी का लोकसभा चुनाव में अब तक का सबसे जबरदस्त प्रदर्शन रहा है. 2004 जैसी स्थिति को मानते हुए जयंत चौधरी वही 10 सीटों की डिमांड कर रहे हैं, जो उनके पिता के समय में सपा ने दी थीं. अब देखना यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद की मांग को किस हद तक पूरा कर पाते हैं.
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आरएलडी 10 सीटे- 3 जीती
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सपा – 35 जीती
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आरएलडी 7 सीटें 5 जीती
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बीजेपी 10 सीटें जीती
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आरएलडी 8 सीटें- 0 जीती
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कांग्रेस ने 2 सीटें जीतीं
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आरएलडी 3 सीटें- 0 जीती
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सपा 5 जीती
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बसपा 10 जीती
पश्चिम यूपी में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की 14 लोकसभा सीटें हैं. यहां सात बीजेपी ने जीती थीं और सहारनपुर, अमरोहा, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, संभल, रामपुर सीटें विपक्ष ने जीती थीं. इन सीटों में रामपुर को बीजेपी ने उपचुनाव में जीत लिया है. अब उसके पास आठ सीटें हो गयी हैं. ब्रज क्षेत्र में आगरा-अलीगढ़ और बरेली मंडल की 13 लोकसभा सीटें हैं. इनमें से बीजेपी के पास 12 और सीट विपक्ष के पास है. विपक्ष की सीट मैनपुरी है, जहां से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल सांसद चुनी गयी हैं. पश्चिम और ब्रज की 27 सीटों में 20 बीजेपी के पास हैं. जबकि सात विपक्ष के पास हैं. बीजेपी मिशन 80 के तहत हारी हुई सीटों पर खास फोकस रख रहा है. जिससे वह इसके लिये बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, संगठन मंत्री सहित केंद्रीय मंत्रियाें को लगाया गया है. जिससे वह इन हारी सीटों पर 2024 में जीत दर्ज कर सकें.