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फाइलेरिया मुक्त झारखंड के लिए अभियान शुरू, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता बोले, 1.34 करोड़ को खिलायी जाएगी दवा

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य जिस प्रकार कालाजार के उन्मूलन के अंतिम पड़ाव पर है, उसी तरह झारखंड से फाइलेरिया का उन्मूलन भी शीघ्र होगा. अभियान में लगभग 1 करोड़ 34 लाख लाभुकों को दवा प्रशासकों द्वारा नि:शुल्क फाइलेरिया रोधी दवाएं अपने सामने ही खिलाई जायेंगी.

रांची: भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया द्वारा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के वर्चुअल शुभारम्भ के दौरान झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने गुरुवार से राज्य के 9 फाइलेरिया प्रभावित जिलों (चतरा, हजारीबाग, लातेहार, पलामू, सरायकेला, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा और पश्चिमी सिंहभूम) में फाइलेरिया रोग के उन्मूलन के लिए शुरू होने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम का शुभारम्भ किया. यह कार्यक्रम 10 अगस्त से 25 अगस्त तक चलाया जायेगा. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य जिस प्रकार कालाजार के उन्मूलन के अंतिम पड़ाव पर है, उसी तरह झारखंड से फाइलेरिया का उन्मूलन भी शीघ्र होगा.

फाइलेरिया मुक्त जल्द होगा झारखंड

झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य जिस प्रकार कालाजार के उन्मूलन के अंतिम पड़ाव पर है, उसी तरह झारखंड से फाइलेरिया का उन्मूलन भी शीघ्र होगा. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मुक्त झारखण्ड बनाने के लिए सामुदायिक सहभागिता के साथ ही अंतर-विभागीय समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है. अभियान में लगभग 1 करोड़ 34 लाख लाभुकों को दवा प्रशासकों द्वारा नि:शुल्क फाइलेरिया रोधी दवाएं अपने सामने ही खिलाई जायेंगी. वे भी राज्य के जन-प्रतिनिधियों के साथ फाइलेरिया उन्मूलन हेतु किये जा रहे प्रयासों पर चर्चा करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी कार्यक्रम की सफलता सामुदायिक भागीदारी से ही सुनिश्चित की जा सकती है और फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए हम सभी को एक साथ मिलकर इस लड़ाई को जीतना होगा.

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झारखंड के 9 जिलों में अभियान

राज्य के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सभी 9 जिलों में से हजारीबाग और पश्चिमी सिंहभूम जिलों में 2 दवाओं डीईसी और अल्बेंडाज़ोल एवं अन्य 7 जिलों में 3 दवाओं डीईसी, अल्बेंडाज़ोल के साथ आईवरमेंक्टिन की निर्धारित खुराक दवा प्रशासकों द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी. ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं. ये दवाएं 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं दी जाएंगी. याद रहे कि ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी हैं. रैपिड रिस्पांस टीम दवा के सेवन के दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक दवाओं के साथ मौके पर सक्रिय रहेगी.

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राज्य स्तर पर होगी समीक्षा

राज्य के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने बताया कि राज्य स्तर से जिला स्तर तक समन्वय बनाकर, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए सुनियोजित रणनीति के अनुसार कार्य किया जा रहा है ताकि कार्यक्रम के अंतर्गत सम्पादित होने वाली गतिविधियां गुणवत्ता के साथ पूर्ण की जा सकें और कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाईयों और मानव संसाधनों की कोई कमी न हो. इस कार्यक्रम की प्रतिदिन राज्य स्तर पर समीक्षा की जायेगी और कार्यक्रम के दौरान आने वाली हर समस्या का तुरंत समाधान किया जायेगा. हमारा लक्ष्य है कि इस बार 100 प्रतिशत लाभार्थियों द्वारा फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन सुनिश्चित किया जाये.

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मच्छर के काटने से फैलता है फाइलेरिया

राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है और यह दुनियाभर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है. किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है. फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है. राज्य में अप्रैल 2023 के आंकड़ों के अनुसार लिम्फेडेमा के 54172 मरीज एवं हाइड्रोसील के 40561 मरीज चिन्हित किए गए हैं. इस कार्यक्रम की निगरानी हेतु पर्यवेक्षकों को भी लगाया गया है तथा किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु चिकित्सक के नेतृत्व में जिला एवं ब्लॉक स्तर पर रेपिड रेस्पान्स टीमों का भी गठन किया गया है.

ये थे उपस्थित

इस अवसर पर राज्य के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य), अरुण कुमार सिंह, अभियान निदेशक, आलोक त्रिवेदी, अपर अभियान निदेशक, विद्यानंद शर्मा पंकज, निदेशक प्रमुख, डॉ बीरेंद्र प्रसाद सिंह, प्रशासनिक पदाधिकारी लक्ष्मी नारायण किशोर एवं राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह उपस्थित थे.

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