Srijan Scam Bihar: बिहार के भागलपुर में हुए हजारों करोड़ के सृजन घोटाले मामले में मुख्य आरोपित रजनी प्रिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है. संस्था की संस्थापक मनोरमा देवी की मौत कई साल पहले ही हो चुकी है. वहीं सरकारी खजाने में सबसे बड़ी सेंधमारी करने वाला सृजन संस्था अभी भी जिंदा ही है. सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर का अस्तित्व समाप्त करने के लिए तत्कालीन जिला सहकारिता पदाधिकारी ने सहकारिता विभाग की सहयोग समितियां के निबंधक को एक वर्ष पूर्व ही पत्र लिखा था. लेकिन सहकारिता विभाग उक्त संस्था का परिसमापन का निर्णय आज तक नहीं ले सका है.
समिति की गिरी साख व जिला के विभिन्न विभागों का समिति द्वारा बड़ी राशि के गबन को देखते हुए समिति को अपने स्तर से परिसमापित करने का अनुरोध मुख्यालय से किया गया था. साथ ही जिले के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी को परिसमापक के रूप में नियुक्त करने का भी अनुरोध किया गया था. इस बाबत जिला अंकेक्षण पदाधिकारी, संयुक्त निबंधक (अंकेक्षण) व संयुक्त निबंधक को भी पत्र की कॉपी भेजी गयी. जमाकर्ताओं द्वारा सृजन में अपनी जमा राशि की बार-बार मांग की जा रही है. समिति के सभी खाते विभिन्न जांच एजेंसी द्वारा सीज कर लिये गये हैं. इससे किसी प्रकार की राशि की निकासी व जमा नहीं पा हो रहा है.
समिति का कोई भी खाता संचालित नहीं रहने के कारण ऋण राशि वसूली कर राशि जमा कराना संभव नहीं है. जमाकर्ताओं को भुगतान करने और ऋण लिये लोगों से वसूली करने के लिए समिति का नया खाता खोलना बगैर निबंधक के निर्देश के संभव नहीं है. यह सब तभी संभव है, जब संस्था का अस्तित्व समाप्त (परिसमापन) होगा.
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सृजन संस्था में प्रशासक की नियुक्ति लगातार कई वर्षों से है. सहकारी समिति अधिनियम में प्रावधान है कि समिति की प्रबंधकारिणी समिति को छह माह के लिए अवक्रमित (डिग्रेड) किया जा सकता है, जबकि यह कई साल से अवक्रमित है. बैंकिंग कारोबार करनेवाली समिति को अधिकतम एक वर्ष तक ही अवक्रमित किया जा सकता है. इस स्थिति में सृजन समिति का निर्वाचन कराने के लिए भी निबंधक को कई बार लिखा गया, लेकिन जवाब ही नहीं आया.
वर्ष 2003 से 2013 तक सृजन समिति के दोबारा अंकेक्षण के लिए जिला अंकेक्षण पदाधिकारी (सहयोग समितियां) द्वारा पांच सदस्यीय अंकेक्षकों का दल गठित किया गया था. लेकिन सृजन का अंकेक्षण अभी तक नहीं किया गया है और अंकेक्षण में टालमटोल किया जा रहा है. सृजन का अस्तित्व समाप्त करने के लिए उसका अंकेक्षण होना जरूरी है.
सृजन संस्था द्वारा कई लोगों का खाता खोल कर उसके साथ व्यवसाय किया जाता था. लोगों के पैसे जमा लेकर यह संस्था लोन देने का भी काम करती थी. जब वर्ष 2017 में सृजन द्वारा सरकारी बैंक खातों से घोटाले का खुलासा हुआ और सीबीआइ ने जांच शुरू की, तो सीबीआइ के निर्देश पर सृजन में खुले 12000 जमाकर्ताओं व लोन लेनेवालों का खाता का डाटा सीबीआइ को सौंपा गया. समिति के सभी खाते विभिन्न जांच एजेंसी द्वारा सीज कर लिये गये हैं. इससे किसी प्रकार की राशि की निकासी व जमा नहीं हो रहा है.
सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर के कार्यालय के लिए सबौर प्रखंड कार्यालय परिसर में दिये गये भवन की लीज रद्द की जा चुकी है. घोटाला उजागर होने के बाद से समिति में कोई भी व्यवसाय नहीं हो रहा है. इस समिति का साख भी समाप्त है. सृजन की प्रबंधकारिणी समिति को पूर्व में ही समाप्त किया जा चुका है.
सृजन संस्था पर आरोप है कि विभिन्न सरकारी विभागों के विभिन्न बैंकों के खाते से करोड़ों की राशि का गबन किया गया. अब तक इसकी वसूली भी नहीं हो सकी है. मामले की जांच सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय (इडी) व आयकर विभाग आदि द्वारा वर्ष 2017 से ही की जा रही है.
बता दें कि सृजन घोटाले की मुख्य आरोपित रजनी प्रिया को सीबीआइ ने शुक्रवार को पटना में सीबीआइ जज महेश कुमार की विशेष अदालत में पेश किया. कोर्ट ने रजनी प्रिया को 21 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. तबतक रजनी प्रिया बेऊर जेल में रहेगी. बताते चलें कि रजनी प्रिया मनोरमा देवी की बहू है. वहीं उसके पति अमित कुमार के बारे में मौत की अपुष्ट जानकारी दी गयी है. जबकि रजनी प्रिया भी 6 साल से फरार चल रही थी.