इस बार मध्य प्रदेश की राह बीजेपी के लिए आसान नजर नहीं आ रही है. दरअसल, सूबे में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है. खासकर शिवपुरी जिले की बात करें तो यहां पिछले दो महीने में ही पार्टी के चार बड़े स्थानीय नेताओं ने बीजेपी को दामन छोड़ दिया है. इन चार नेताओं में से तीन सिंधिया समर्थक नेता शामिल हैं. बीजेपी नेताओं के द्वारा पार्टी छोड़े जाने को लेकर कई तरह की चर्चा राजनीतिक गलियारे में होने लगी है. कहा जा रहा है कि इस समय जिले की पांच विधानसभा सीटों में से अधिकांश सीटों पर बीजेपी से टिकट मांगने वालों की लंबी लिस्ट है. पार्टी छोड़ने की एक वजह ये भी है कि इन नेताओं को फिलहाल टिकट मिलने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं.
शिवपुरी जिले की बात करें तो यहां पांच विधानसभा सीट हैं. साल 2020 में प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कई समर्थकों ने बीजेपी का दामन थामा था. इस दौरान इन सिंधिया समर्थक नेताओं ने उन कार्यकर्ताओं का गणित बिगाड़ने का काम किया जो शुरू से बीजेपी से जुड़कर आगे बढ़ रहे थे. यहां की पांचों विधानसभा सीटों पर देखा जाए तो एक सीट पर टिकट की मांग करने वाले पांच से ज्यादा उम्मीदवार हैं. खास बात यह है कि सभी उम्मीदवार अपने आप को जिताऊ बता रहे हैं.
सिंधिया समर्थक आखिर क्यों छोड़ रहे हैं बीजेपी
पिछले चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के पक्ष में वोट मांगते नजर आये थे लेकिन साल 2020 में वे पार्टी से नाराज होकर बीजेपी में चले गये. बताया जा रहा है कि सिंधिया समर्थक नेताओं के पार्टी में आने के बाद बीजेपी में टिकट चाहने वालों की यह लाइन और लंबी हो चुकी है जिसका असर वर्तमान में नजर आ रहा है. नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के साथ आने वाले नेताओं को अब लगने लगा है कि बीजेपी में पहले से ज्यादा नेता हो चुके हैं. ऐसे में उनका नंबर आना मुश्किल है. यही वजह है कि वे अब बीजेपी छोड़कर कांग्रेस पर भरोसा कर रहे हैं.
Also Read: बीजेपी में कितना बढ़ा ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद ? मध्य प्रदेश चुनाव से पहले जानें खास बातेंकोलारस विधानसभा सीट पर सिंधिया समर्थक नेता बैजनाथ सिंह यादव, रघुराज धाकड़ ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है. यही नहीं शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से सिंधिया समर्थक राकेश गुप्ता ने भी ज्योतिरादित्य का साथ छोड़ दिया. इन तीनों नेताओं ने कांग्रेस पर भरोसा जताया और पार्टी की सदस्यता ली. कोलारस विधानसभा सीट से ही टिकट की आस लगाये मूल बीजेपी नेता और शिवपुरी से जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन ने भी पार्टी छोड़ दी है. फिलहाल अभी उन्होंने किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि वो भी कांग्रेस के साथ खड़े नजर आ सकते हैं.
क्या बढ़ने वाली है बीजेपी की मुसीबत
ताजा घटनाक्रम को देखते हुए राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले जानकार बताते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में ये नेता बीजेपी की मुसीबत बढ़ाते नजर आ सकते हैं. इसके पीछे की वजह ये बतायी जा रही है कि जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी है उनकी गिनती अपने-अपने इलाके में कद्दावर नेता के तौर पर होती है. कोलारस में ही देखा जाए तो बीते एक महीने में यहां पर दो सिंधिया समर्थक नेताओं ने बीजेपी को छोड़ने का किया है. इनमें एक बैजनाथ सिंह यादव का नाम है जो पूर्व में भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं. इनकी पत्नी कमला यादव जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं. एक अन्य सिंधिया समर्थक जो कोलारस विधानसभा सीट से आते हैं रघुराज धाकड़ वह भी कोलारस में जिला पंचायत के सदस्य पर नजर आ चुके हैं. ऐसा कहा जाता है कि कोलारस विधानसभा क्षेत्र में धाकड़ की लोगों के बीच अच्छी पैंठ है. इनके अलावा शिवपुरी विधानसभा सीट पर सिंधिया समर्थक नेता राकेश गुप्ता थे जो पूर्व कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रह चुके थे. वे सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गये थे.
Also Read: MP Election 2023 : प्रियंका गांधी के वार से बौखलाए ज्योतिरादित्य सिंधिया? कांग्रेस पर किया करारा प्रहारकांग्रेस की रणनीति क्या है ?
शिवपुरी जिले में बीजेपी का दामन छोड़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र जैन गोटू को मनाने के लिए कुछ नेता जरूर आगे आये थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लगातार बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं के संपर्क में हैं. ऐसे में कांग्रेस की रणनीति साफ नजर आ रही है कि पार्टी किस तरह से लोगों को जोड़ने में लगी हुई है.
पिछले दिनों सिंधया लोकसभा में हुए थे आक्रमक
पिछले दिनों संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का जबाव देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को जमकर धोया था. देश की सबसे पुरानी पार्टी और खासकर अपनी पुरानी पार्टी पर हमला करते हुए सिंधिया ने कहा था कि आपने ही मुझे बदला है..मेरा मुंह मत खुलवाना वरना…इस दौरान सिंधिया ने साफ साफ लफ्जों में ये भी कहा कि विपक्ष को खुजली बहुत होती है. वे विपक्ष के कटाक्ष पर अग्रेसिव होने नजर आये थे. सिंधिया उस वक्त नाराज हो गये थे जब विपक्ष के सदस्यों ने दो साल में ही सब बदल गया कहते हुए शोर मचाना शुरू किया था.
ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद कितना बढ़ा बीजेपी में
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी का दामन थामने के बाद से पार्टी में उनका कद बढ़ता गया. मार्च 2020 में बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार की केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गयी और उन्हें मंत्री बनाया गया था. उसके बाद से वे बीजेपी की रणनीति को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और विपक्षी कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं. बीजेपी की ओर से चुनावी साल में सिंधिया को कई जिम्मेदारी दी गई है. यही नहीं उनके लोगों को भी चुनाव से संबंधित समितियों में स्थान देकर बीजेपी ने जता दिया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार नहीं किया जा रहा है. लेकिन इस बीच उनके समर्थकों का बीजेपी छोड़कर कांग्रेस मे जाना परेशानी का सबब बन सकता है. ये दो घटनाक्रम ऐसे हैं जो बताते हैं कि बीजेपी में क्या है ज्योतिरादित्य सिंधिया का रुतबा….
Also Read: मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर को दलित समीकरण से साधेगी बीजेपी ? बुंदेलखंड के वोट बैंक पर डालें एक नजर1. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के दौरे पर थे. वे इस दौरान राजधानी भोपाल पहुंचे थे. इस वक्त कुछ अलग नजारा देखने को मिला था. दरअसल, पीएम मोदी जब भोपाल आए थे तो अचानक ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने विमान में बैठाया था और दिल्ली साथ लेकर गये थे. इस दौरान कई तरह की अटकलों का बाजार गरम था. लोगों के मन में सवाल था कि क्या मध्य प्रदेश बीजेपी में सिंधिया सबसे शक्तिशाली नेता बन गये हैं? यही नहीं बीजेपी ने चुनाव को लेकर अभी जो समितियां पार्टी की ओर से बनायी गयी है, उसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया को जगह दी गयी है. साथ ही उनके करीबी मंत्रियों को भी उसमें अहम जिम्मेदारी दी गयी है.
2. पिछले दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक कार्यक्रम के सिलसिले में ग्वालियर पहुंचीं थीं. यहां भी कुछ खास देखने को मिला था. जी हां… प्रोटोकॉल के तहत तो वे कहीं भी नहीं जा सकती हैं, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक आग्रह महामहिम से किया. इस आग्रह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सिंधिया के निवास जय विलास पैलेस पहुंचीं और वहां दोपहर का भोजन किया. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी जय विलास पैलेस में गये थे. उपरोक्त घटनाक्रम से सिंधिया ने ग्वालियर-चंबल के इलाके में अपने कद का अहसास करवाया था.