23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कुछ तो खास है प्रभात खबर में

40 वर्षों के सफर के बाद इसकी मजबूती और सफलता कारण यह है कि इसने पाठकों की मानसिक जरूरत को समझा है और उसके अनुरूप निष्पक्षता तथा निर्भीकता को अपनाया है. यह ऐसा अखबार है जो सात पर्दों में छुपे सच को भी ढूंढ निकालता है और सार्वजनिक पटल पर रख देता है.

सुशील भारती

प्रभात खबर चार दशकों का सफर पूरा करने जा रहा है. अविभाजित बिहार के रांची से शुरू होकर आज यह तीन राज्यों के कई शहरों से प्रकाशित हो रहा है. इस बीच कितने ही अखबार आये और बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर विलुप्त हो गये, लेकिन प्रभात खबर तमाम चुनौतियों का सामना करता हुआ अपनी गति से आगे बढ़ता रहा और यात्रा अभी भी जारी है.

एक आम धारणा बनी हुई है कि प्रिंट मीडिया का जमाना खत्म हो चला है. दुनिया डिजिटल हो रही है. प्रिंट मीडिया का दायरा सिकुड़ता जा रहा है. लोगों में छपे अक्षरों को पढ़ने की प्रवृत्ति घटती जा रही है. लेकिन प्रभात खबर ने इन तमाम धारणाओं को मिथ्या साबित कर दिया है. हिंदी अखबारों की दुनिया में इसने अपना अलग रुतबा कायम रखा है. इसके पाठक लगातार बढ़ते जा रहे हैं.

यह इकलौता अखबार है जिसने राष्ट्रीय पहचान के लिए दिल्ली से प्रकाशित होने की अनिवार्यता को नकार दिया है. जो झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के विभिन्न शहरों से प्रकाशित होकर हिंदी के 10 सर्वाधिक प्रसारित अखबारों की सूची में सम्मानित स्थान पर मौजूद है. पहले और दूसरे स्थान पर जो अखबार हैं उनका प्रसार क्षेत्र ज्यादा है, संस्करण ज्यादा हैं. जाहिर है कि जिन तीन राज्यों में प्रभात खबर है वहां आबादी के बड़े हिस्से तक इसकी पहुंच है.

Also Read: प्रभात खबर 40 वर्ष : आपका भरोसा ही हमारी ताकत है

बड़े शहरों से लेकर सुदूर ग्रामीण इलाकों तक उसके पाठक हैं. इसका कारण यह है कि प्रभात खबर ने आधुनिकतम तकनीक से खुद को जोड़े रखा है और सूचना के सभी माध्यमों को अपनाया है. चाहे डिजिटल हो, ऑडियो हो, ऑडियो-विजुअल हो, सोशल मीडिया हो, एफएम रेडियो में भी रेडियो धूम के रूप में मौजूद है. ऐसा कोई प्लेटफार्म नहीं है जहां प्रभात खबर की मौजूदगी नहीं हो.

यदि तीन राज्यों के अलावा इसका इतना सघन प्रसार पूरी हिंदी पट्टी में होता तो मीडिया की दुनिया में इसका क्या स्थान होता इसकी कल्पना ही की जा सकती है. मात्र 40 वर्षों के सफर के बाद इसकी मजबूती और सफलता कारण यह है कि इसने पाठकों की मानसिक जरूरत को समझा है और उसके अनुरूप निष्पक्षता तथा निर्भीकता को अपनाया है. यह ऐसा अखबार है जो सात पर्दों में छुपे सच को भी ढूंढ निकालता है और सार्वजनिक पटल पर रख देता है. चाहे जो भी कीमत अदा करनी पड़े, सच के साथ कभी समझौता नहीं करता.

Also Read: जमीनी पत्रकारिता, निडरता और विश्वसनीयता प्रभात खबर की पूंजी

इसने पाठकों का विश्वास, उनका भरोसा जीता है. जिन राज्यों में प्रभात खबर का प्रिंट संस्करण मौजूद नहीं है, वहां उसका डिजिटल संस्करण उपलब्ध है. प्रभात खबर का नाम भर लेने से लोगों की आंखों में सम्मान और अपनापन का भाव झलक जाता है. लोग उसे चाव से पढ़ते हैं क्योंकि उसमें क्षेत्रीय, प्रांतीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खबरें बेहतरीन प्रस्तुति के साथ मिलती है. गांव-गांव मुहल्ले-मुहल्ले की खबर को जगह मिलती है. सामयिक खबरों का सटीक विश्लेषण मिलता है. शोधपरक लेख और सारगर्भित संपादकीय पढ़ने को मिलते हैं.

चाहे साहित्य-कला-संस्कृति हो, कैंपस हो, मनोरंजन की दुनिया हो, खेल जगत हो, अर्थ जगत हो, बॉलीवुड हो हर क्षेत्र की पठनीय सामग्री मिलती है. हर आयुवर्ग और हर लिंग के लोगों के रुचि की सामग्री भरपूर होती है. इसके विशेष पृष्ठ और विशेषांक संग्रणीय होते हैं जो रिफ्रेंस के काम आते हैं. दरअसल प्रभात खबर के साथ देश के जाने-माने लेखकों का समूह जुड़ा हुआ है. अनुभवी रिपोर्टरों और पत्रकारों का नेटवर्क काफी सघन है.

Also Read: प्रभात खबर ने गढ़े हैं जन सरोकार की पत्रकारिता के प्रतिमान

संपादकीय टीम में सक्षम लोग बैठे हुए हैं. प्रबंधकीय व्यवस्था बेहद चौकस और कुशल लोगों के जिम्मे है. इस अखबार ने कार्पोरेट कल्चर को भी अपनाया है और मिशन के जज़्बे को भी बरकरार रखा है. इसमें कोई संदेह नहीं कि झारखंड की राजधानी रांची से शुरू हुई जन-पत्रकारिता की यह यात्रा निरंतर आगे बढ़ती जायेगी और हर पड़ाव पर हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में नये कीर्तिमान गढ़ती जायेगी.

(लेखक प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें