लखनऊ: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग फसल की निगरानी, रोग का पता लगाने से लेकर उपज की भविष्यवाणी , सटीक फसल बुआई का समय एवं कृषि के विभिन्न पहलुओं को अनुकूलित करने के लिये किया जा सकता है. कृषि में बीएससी कर रहे चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्रों को सीएसआईआर जिज्ञासा कार्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जागरूकता कार्यक्रम के तहत इंजीनियर संतोष शुक्ला ने यह जानकारी दी.
सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव यादव बताया कि दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में इसकी परिवर्तनकारी भूमिका होती जा रही है. स्वास्थ्य सेवा से वित्त और विनिर्माण से कृषि तक हर क्षेत्रों मे एआई के इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित समाधान बहुत उपयोगी हो रहे हैं.
इंजीनियर संतोष शुक्ला ने बताया कि एआई का इस्तेमाल कृषि में मौसम का पूर्वानुमान, पौधों को खाद, पानी देने में किया जा सकता है. इसके अलावा फसलों में होने वाले रोगों और कीट प्रबंधन में भी एआई का इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे रोग की समय से पहचान और प्रबंधन में मदद ली जा सकती है. समय से रोग पहचााने से फसल की सुरक्षा हो सकेगी और उपज भी बढ़ेगी.
एआई डेटा एनालिसिस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. कृषि में इसका इस्तेमाल इसीलिये और महत्वपूर्ण हो जाता है. कृषि में जिस तरह से तकनीकी का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उसकी तरह से एआई से डेटा एनालिसिस करके किसानों को फायदा पहुंचाया जा सकता है. किसानों को मौसम बहुत सताता है. एआई के इस्तेमाल से मौसम के सटीक आंकड़े देकर फसलों के प्रबंधन में मदद की जा सकती है. इसी तरह मिट्टी की गुणवत्ता, खाद, सिंचाई में भी एआई बहुत मददगार हो सकता है. बीज और कीटनाशक के चयन में भी यह तकनीकी मददगार है.
जिस तरह से कृषि में ड्रोन तकनीका इस्तेमाल हो रहा है, उसी तरह एआई की मदद से अन्य मशीनों के इस्तेमाल को मानव रहित किया जा सकता है. सेंसर का इस्तेमाल, ऑटोमैटिक मशीनें, जिससे खाद, सिंचाई, कीटनाशक छिड़काव में एआई बहुत मददगार टूल साबित होगा. एआई के इस्तेमाल से ऐसे उपकरण विकसित किये जा सकते हैं, जो उपज बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं.
एआई के इस्तेमाल में कृषि उपज की लागत में कमी लाने मदद ली जा सकती है. डेटा का सही इस्तेमाल कृषि उपज में लगने वाली लागत में कमी ला सकता है. फसल के बारे में सही जानकारी मिलने से किसानों को जहां लागत में कमी आएगी, वहीं मुनाफा भी बढ़ेगा.