Bihar News: बिहार में सावन के महीने में लोगों को गर्मी ने परेशान किया था. इसके बाद अब बारिश ने रफ्तार पकड़ ली है. सोमवार को भी राजधानी पटना में झमाझम बारिश हुई. राज्य में 86 फीसदी धान की हुई. इसके अलावा सरकार की ओर से 80 हजार किसानों को डीजल अनुदान मिला है. इससे किसानों को काफी मदद मिली. राज्यभर में कुल 31.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपनी हुई है. हाल के दिनों में हुई बारिश के बाद धान की रोपनी में तेजी आयी है. राज्य में ओवर ऑल लगभग 86 फीसदी धान की रोपनी हो चुकी है. कुल 31. 63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपनी हुई है. कम बारिश के कारण किसानों को पटवन के लिए सरकार की ओर से डीजल अनुदान की राशि दी जा रही है.
राज्य के 80,577 किसानों को अब तक डीजल अनुदान की राशि दी जा चुकी है. कुल 11.97 करोड़ रुपये किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किये गये हैं. रविवार को रोहतास जिले में 2.03 लाख हेक्टेयर, पूर्वी चंपारण में 1.78 लाख, पश्चिम चंपारण में 1.24 लाख, अररिया में 1.15 लाख, पूर्णिया में 0.99 लाख, कटिहार में 0.94 लाख व गोपालगंज में 0.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपनी हुई. कम बारिश की स्थिति में इस साल 331367 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
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एक माह में चार गुना धान की रोपनी हुई है. कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार एक माह में धान की रोपनी चार गुना हो गयी है. बीते 14 जुलाई तक राज्य में ओवर ऑल लगभग 22.22 फीसदी धान की रोपनी हुई थी. उक्त तिथि तक भागलपुर प्रमंडल में सबसे कम 1.5 फीसदी ही धान की रोपनी हो सकी थी. मगध व मुंगेर प्रमंडल में तीन-तीन फीसदी, पटना प्रमंडल में नौ, सारण प्रमंडल में 27, तिरहुत में 50, दरभंगा में 15, सहरसा में 45 तथा पूर्णिया में सबसे अधिक 55 फीसदी धान की रोपनी हुई थी.
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बता दें कि फिलहाल, पटना जिले में अब भी लगभग 17 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी बाकी है. जिले में एक लाख 30 हजार हेक्टेयर में धान की खेती होती है. अब तक लगभग एक लाख 13 हजार हेक्टेयर खेत में धान की रोपनी हो चुकी है. सूत्रों के अनुसार अगले एक सप्ताह में धान की रोपनी खत्म हो जायेगी. वहीं, मक्का की बुआई शत-प्रतिशत हो गयी है. जिले में सभी प्रखंडों में धान की खेती होती है. लेकिन सात प्रखंडों में इसकी अधिक खेती होती है.
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बता दें कि अगस्त महीने की शुरुआत में ही धान की रोपनी पिछले साल के बराबर पहुंच गई थी. साल 2022 तक अगस्त 14 तक 80 प्रतिशत तक रोपनी हुई थी. इस साल जून और जुलाई तक 48 प्रतिशत तक बारिश कम थी. इस कारण दक्षिण बिहार के जिले अधित प्रभावित रहे. वहीं, बारिश के अधिक होने के बाद धान की रोपनी भी अच्छी हुई. इसके पहले सुखाड़ की चिंता सता रही थी.
वहीं, सरकार ने किसानों के लिए 16 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का फैसला लिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कम वर्षा की स्थिति का जायजा लिया था. इसके बाद अधिकारियों को किसानों तक हर संभव मदद पहुंचाने की बात कही थी. साथ ही कृषि कार्य के लिए किसानों को डीजल अनुदान की राशि भी दी गई. मानसून सीजन में कम बारिश की स्थिति पर मुख्यमंत्री ने चिंता जताई थी. साथ ही स्थिति पर सीएम की नजर थी. नीतीश कुमार ने किसानों को 12 घंटे के बदले 16 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का आदेश दिया.
मुख्यमंत्री ने लोगों को भरोसा दिलाया कि संसाधनों की कमी नहीं होने दी जायेगी. साथ ही कहा कि राज्य के खजाने पर पहला आदेश पीड़ितों का है और राज्य के 75 प्रतिशत लोगों के जीवन का आधार कृषि ही है. वहीं, बता दें कि राज्य में किसानों को बारिश का इंतजार था. इस साल जुलाई महीने तक सामान्य से कम बारिश हुई. इसके बाद अब मानसून ने रफ्तार पकड़ ली और धान की रोपनी भी बेहतर हो गई है.