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Naag Panchmi 2023: भुजंग नाग मंदिर में हर नागपंचमी के उत्सव पर लगता है ये अनोखा मेला

Naag Panchmi 2023, Bhujang Nag Temple Visit on Nag Panchmi: भुजंग नाग मंदिर, भुजिया पहाड़ का सबसे प्रमुख आकर्षक केंद्र है. ऐसा कहा जाता है कि भुजंग नाग, नागों के देवता शेषनाग के भाई थे. इसलिए नाग पंचमी के दिन यहाँ एक खास पूजा होती है और एक भव्य मेले का आयोजन होता है.

  • भुजिया फोर्ट में आकर्षण के केंद्र है भुजंग नाग मंदिर

  • हर साल नाग पंचमी के दिन यहां लगता है मेला

  • नाग देवता के मंदिरों में दर्शन शुभ फल देता है

Naag Panchmi 2023, Bhujang Nag Temple Visit on Nag Panchmi: भारतीय संस्कृति में सांपों का बड़ा जिक्र मिलता है. इनका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी सुनने को मिलता है. हिंदू धर्म में इनकी मान्यता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये भगवान शिव के गले के हार के रूप में है और इन्हें शिव के अंश के रूप में पूजा जाता है. हिंन्दुओं के बीच नाग पंचमी का त्योहार काफी प्रचलित है, इस दिन नाग देवता के मंदिरों में दर्शन शुभ फल देता है. आज हम आपको बताने वाले हैं गुजरात के भुजंग नाग मंदिर के बारे में बताने वाले हैं

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कहां है भुजंग नाग मंदिर

भुजिया किला गुजरात में भुज के बाहरी इलाके में स्थित है. लोककथाओं के अनुसार, किला अंतिम नागा कबीले भुजंगा को समर्पित है, जो युद्ध में मारे गए थे. जिसके बाद, स्थानीय लोग ने उनकी याद में भुजिया पहाड़ियों पर मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे ही भुजंग नागा मंदिर के नाम से जाना जाता है.

भुजिया फोर्ट में आकर्षण के केंद्र है भुजंग नाग मंदिर

भुजंग नाग मंदिर, भुजिया पहाड़ का सबसे प्रमुख आकर्षक केंद्र है. ऐसा कहा जाता है कि भुजंग नाग, नागों के देवता शेषनाग के भाई थे. इसलिए नाग पंचमी के दिन यहाँ एक खास पूजा होती है और एक भव्य मेले का आयोजन होता है.

हर साल नाग पंचमी के दिन यहां लगता है मेला

हर साल नाग पंचमी के दौरान मंदिर के चारों ओर मेला लगता है. वर्तमान में, किला भारतीय सेना के कब्जे में है और इसका उपयोग गोला-बारूद के भंडारण के लिए किया जाता है. एक समय पर यह मंदिर नागों के आख़िरी वंश के भुजंग का किला हुआ करता था. यह वंश एक युद्ध में खत्म हो गया था. इसी वंश की याद में उस क्षेत्र के स्थानीय निवासियों ने ही भुजंग नाग मंदिर का निर्माण किया. हर साल नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में मेला लगता है.

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जानें भुजिया किले का इतिहास

कच्छ के सम्राट एक रक्षक किले का निर्माण करवाना चाहते थे, जिससे उनकी राजधानी की मुग़ल, राजपूतों और सिंधु शासकों से रक्षा हो सके. इसलिए प्रथम राव गोडजी ने 1700 से 1800 ईसवीं में इस राजसी पहाड़ी किले का निर्माण करवाया जहाँ से वे आराम से अपने दुश्मनों पर नज़र रख सकते थे. इस किले को आक्रमणकारियों के आक्रमण से भुज को बचाने के लिए बनाया गया था.

इसलिए बना भुजंग नाग मंदिर

एक बार किले पर आक्रमण के दौरान दुश्मन की सेना से किले को बचाने के लिए नाग कबीले के सरदार भुजंग नाग सैनिकों की सहायता के लिए पहुंचे. युद्ध में भुजंग नाग शहीद हो गए. जिस स्थान पर वह रहा करते थे, उस जगह उनके नाम पर मंदिर बनाया गया और उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम भुज पड़ा. आज बड़ी संख्या में लोग यहां दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. मान्यताओं के अनुसार, भुजंग नाग, नागदेव शेषनाग के भाई थे. इसी आस्था के कारण हर साल नागपंचमी पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है.

शॉपिंग के लिए बेस्ट

भुज का भुजोरी गांव अपने क्राफ्ट वर्क के लिए जाना जाता है. यहां से आप मोजड़ी (हाथ से बनी जूतियां) कार्पेट, चटाई, हैंगिंग पीस और दोस्तों को गिफ्ट करने के लिए बहुत से हैंडीक्राफ्ट्स खरीद सकते हैं. जो आपके लिए यादगार रहेंगे.

ऐसे पहुंचें भुज

भुज गुजरात राज्य के ज्यादातर शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. गुजरात राज्य की राजधानी अहमदाबाद है और अहमदाबाद से गुजरात की दूरी करीब 330 किलोमीटर है. सड़क मार्ग से इस सफर को तय करने में लगभग 6 घंटे लगते हैं. आप फ्लाइट और ट्रेन से भी यहां आ सकते हैं. भुज में ही डोमेस्टिक एयरपोर्ट है और इसके पास अपना रेलवे स्टेशन है.

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