खूंटी के 12 वर्षीय एक बच्चे से जुड़े मामले में झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग की दो सदस्यीय टीम ने जांच पूरी कर ली है. आयोग ने कहा है कि बच्चे की मां व दादा-दादी के लीगल गार्जियनशिप पर कुटुंब न्यायालय का फैसला होने तक बच्चा रांची सीडब्ल्यूसी की देख-रेख में रहेगा. वहीं आयोग ने बच्चे व उसकी नाबालिग बहन की पहचान सार्वजनिक करने को खूंटी सीडब्ल्यूसी की घोर प्रशासनिक लापरवाही बताया है.
कहा है कि सीडब्ल्यूसी में रहते बच्चे की पहचान सार्वजनिक की गयी, इसलिए आयोग ने किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख व संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 74 के उल्लंघन पर सीडब्ल्यूसी खूंटी की अध्यक्ष तनुश्री सरकार पर विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की है. वहीं यह भी निर्देश दिया है कि बच्चे का केस खूंटी सीडब्ल्यूसी से रांची ट्रांसफर होने के बाद रांची सीडब्ल्यूसी बच्चे का बयान दर्ज करे.
वहीं, बच्चे के लीगल गार्जियनशिप पर कुटुंब न्यायालय का फैसला होने तक बच्चा रांची सीडब्ल्यूसी की देख-रेख में रहेगा. रांची सीडब्ल्यूसी कस्टडी के दौरान बच्चे की जानकारी समय-समय पर आयोग को देगा. वहीं रांची सीडब्ल्यूसी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चे के मन के खिलाफ ऐसा कोई फैसला ना ले जिससे उसकी मानसिक स्थिति पर कोई गहरा प्रभाव पड़े. आयोग ने रिपोर्ट में यह सवाल उठाया है कि बच्चे का जन्म रांची में हुआ. उसकी मां रांची में रहती हैं.
बच्चे के साथ क्रूरता रांची में हुई. उसकी बहन भी रांची में रहती है, इसलिए मामला रांची सीडब्ल्यूसी के अंदर आता है. इस स्थिति में आयोग खूंटी के उपायुक्त से यह अनुशंसा करती है कि वह बच्चे का केस खूंटी सीडब्ल्यूसी से रांची सीडब्ल्यूसी को ट्रांसफर करे. साथ ही आयोग रांची व खूंटी सीडब्ल्यूसी को आदेश देता है कि दोनों अपने क्षेत्राधिकार से बाहर न जायें.
झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बच्चे की माता द्वारा खूंटी की सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष तनुश्री सरकार पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है. कहा है कि सीडब्ल्यूसी की कार्यवाही के बीच में तनुश्री सरकार के पति ने हस्तक्षेप किया. वहीं उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया.
बाल संरक्षण आयोग की टीम के अनुसार यह दोनों आरोप काफी गंभीर है, इसलिए आयोग खूंटी पुलिस प्रशासन को आरोपों की जांच करके उचित कानूनी कार्यवाही करने की अनुशंसा करता है. यह भी कहा गया है कि बच्चे के साथ चंदन डे नामक व्यक्ति ने क्रूर व्यवहार किया है, जो कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 का उल्लंघन है़ इसलिए इस मामले में भी पुलिस प्रशासन उचित कानूनी कार्रवाई करे.
उक्त बच्चा जब शिशु था, उसी समय उसके पिता की मौत हो गयी थी. इसके बाद बच्चे व उसकी बड़ी नाबालिग बहन का लालन-पालन मां कर रही थी. इसी बीच बच्चे की मां व दादा-दादी में कई बार अनबन हुई. मामला पुलिस तक पहुंचा. फिर एक समझौते के तहत मां ही बच्चे की परवरिश करती रही. उसे ससुराल पक्ष से आर्थिक सहायता मिल रही थी. वर्तमान में वही बच्चा दादा-दादी के पास है.
खूंटी सीडब्ल्यूसी ने इस मामले में कुछ निर्णय लिये हैं. इसके खिलाफ बच्चे की मां ने महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्री से शिकायत की थी. मंत्री ने झारखंड बाल संरक्षण आयोग को जांच का आदेश दिया था. इसके बाद अध्यक्ष काजल यादव ने सदस्य उज्जवल प्रकाश तिवारी व रुचि कुजूर को जांच की जवाबदेही सौंपी थी.