अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ का राष्ट्रीय अधिवेशन आगामी 20 अगस्त से 22 अगस्त तक मध्यप्रदेश के जबलपुर में आयोजित किया जा रहा है. इस राष्ट्रीय अधिवेशन की जानकारी देते हुए संघ के झारखंड इकाई के महासचिव डाॅ मिथिलेश ने बताया कि इस अधिवेशन में पूरे देश से लेखक जुटेंगे और विभिन्न लेखकीय सवालों पर मंथन होगा.
डाॅ मिथिलेश ने बताया कि इस तीन दिवसीय अधिवेशन में इस बात चर्चा होगी कि आज के समय में लेखकों के समक्ष चुनौतियां क्या हैं? क्या अभिव्यक्ति की आजादी सवालों के घेरे में है? साथ ही यह भी मंथन का विषय होगा कि इन चुनौतियों से कैसे निपटा जाए. कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में कई वक्ता अपने विचार रखेंगे और चर्चाएं होंगी. पूरा कार्यक्रम इस प्रकार है-
रजिस्ट्रेशन की शुरुआत सुबह आठ बजे से हो जायेगाी. दस बजे झंडा फहराया जाएगा. उसके बाद विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत होगी, जिसमें पोस्टर प्रदर्शनी एवं पुस्तक प्रदर्शनी शामिल है. पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन नरेशन सक्सेना करेंगे. उसके बाद पहले सत्र की शुरुआत क्रांति गीत से होगी. फिर अतिथियों का स्वागत किया जाएगा. प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुन्नीलन का संदेश यहां पढ़ा जाएगा. इसके बाद एक पुस्तक का विमोचन होगा. एक लोक सांस्कृति जुलूस का आयोजन भी पहले दिन किया जायेगा. शाम के वक्त लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुटता की जरूरत विषय पर चर्चा होगी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जायेगा.
दूसरे दिन सत्र की शुरुआत पहले वैचारिक सत्र से होगी जिसका थीम है -अभिव्यक्ति के खतरों का सामना करना ही होगा, संरक्षण की चुनौतियां और संविधान का प्रचार. इस वैचारिक सत्र में पी लक्ष्मीनारायण (आंध्र प्रदेश), डॉ सैयदा हामिद (दिल्ली), रमाकांत श्रीवास्तव (मध्य प्रदेश),अरविंद श्रीवास्तव (मध्य प्रदेश),डॉ नवशरण कौर (दिल्ली), बिनय विश्वम (राज्यसभा सांसद, केरल), एल.हनुमंथैया (राज्यसभा सांसद, कर्नाटक), कुमार अंबुज (मध्य प्रदेश) एवं वीरेंद्र यादव शामिल होंगे. दूसरे दिन भी कई वैचारिक सत्र का आयोजन होगा. साथ ही पुस्तक विमोचन और कविता पाठ का भी आयोजन होगा.
तीसरे दिन के सत्र की शुरुआत भी वैचारिक सत्र के साथ होगी. उसके बाद प्रगतिशील लेखक संघ के राज्यों के प्रतिनिधियों के नाम तय किये जाएंगे. साथ ही नई कार्यकारिणी एवं पदाधिकारियों की घोषणा भी होगी. अंत में पत्रकार सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा.
प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना 1936 में हुई थी. इस संघ की स्थापना का उद्देश्य लेखकों की चुनौतियों पर विचार करना और सामाजिक बुराइयों का अंत करना था. हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज बनना इस संघ का उद्देश्य है. संघ के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए मुंशी प्रेमचंद ने कहा था कि साहित्य का उद्देश्य दबे-कुचले हुए वर्ग की मुक्ति का होना चाहिए’. 1935 में फोस्टर ने प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन नामक एक संस्था की नींव पेरिस में रखी थी, उसी की तर्ज पर भारत में 1936 में सज्जाद जहीर और मुल्क राज आनंद ने ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की स्थापना की थी. यह साहित्य में प्रगतिवाद की कोशिश थी.