मेडिकल प्रोटेक्शन बिल का मसौदा फिलहाल तैयार नहीं हो पायेगा. पिछले बजट सत्र में डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और अस्पतालों की सुरक्षा देने के लिए यह बिल विधानसभा में आया था. इस बिल पर पक्ष-विपक्ष के आपत्ति थी. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बिल को प्रवर समिति में भेजने काे कहा था. फिलहाल यह बिल प्रवर समिति के पास है.
प्रवर समिति ने इस बिल पर फैसले के लिए तीन महीने का अवधि विस्तार स्पीकर रबींद्रनाथ महतो से देने का आग्रह किया है. समिति में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, माले विधायक विनोद सिंह, भाजपा विधायक नारायण दास और झामुमो विधायक बसंत सोरेन सदस्य हैं. गुरुवार को इस समिति की बैठक थी. लेकिन प्रवर समिति के सदस्य बैठक में शामिल नहीं हो पाये. इसके बाद तीन महीने का समय मांगने का फैसला लिया गया. प्रवर समिति कई दौर की बैठक कर चुकी है. इस बिल से संबंधित कई जानकारी विभाग से मांगे गये हैं.
मेडिकल प्रोटेक्शन बिल पर फिलहाल आठ-नौ वर्षों से पेच फंसा है. डॉक्टरों और चिकित्सा संस्थाओं को सुरक्षा देने के लिए कानून बनाने का प्रयास हो रहा है. यह विधेयक पिछले तीन बार विधानसभा से लौट चुका है. हर बार इसे प्रवर समिति को भेजा गया है, लेकिन फैसला नहीं हो पा रहा है. हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहते यह बिल दो बार लौटा है.