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मधुबनी में सरकार को नहीं मिल रही जमीन, किराये के भवन में चल रहा 2950 आंगनबाड़ी केंद्र

सरकार बतौर एक हजार रुपया हर महीना प्रति आंगनबाड़ी केंद्र को किराये का भी भुगतान करती है. फिर भी सुविधा के नाम पर कुछ नहीं होता. यह हाल ज्यादातर केंद्र का है. कहीं शौचालय नहीं है तो कहीं पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है.

मधुबनी. जिले में जमीन के अभाव में आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन नहीं बन पा रहा है. जिले में 5 हजार 145 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत है. इनमें से 4 हजार 954 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहा है. जहां बच्चों को सही तरीके से पढ़ाई नहीं हो पाता है. विडंबना है कि अधिकांश भवनहीन आंगनबाड़ी केंद्र सेविका या सहायिका का खुद के भवन या किसी संबंधित के भवन में संचालित होता है. इसके लिए सरकार बतौर एक हजार रुपया हर महीना प्रति आंगनबाड़ी केंद्र को किराये का भी भुगतान करती है. फिर भी सुविधा के नाम पर कुछ नहीं होता. यह हाल ज्यादातर केंद्र का है. कहीं शौचालय नहीं है तो कहीं पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है. जबकि आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन गरीब वर्ग के बच्चों को समुचित देखभाल करने के लिए है. साथ ही शिक्षा भी दी जाए. ताकि वे अपने को उपेक्षित महसूस नहीं कर सके.

आंगनबाड़ी भवन निर्माण को नहीं मिल रही जमीन

जिले में 2 हजार 950 आंगनबाड़ी भवन निर्माण को जमीन नहीं मिल रही है. जबकि नये आंगनबाड़ी केंद्र भवन निर्माण के लिए आइसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने सभी अंचल अधिकारी को पत्र लिखकर जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. ताकि नये भवन का निर्माण कराया जा सके. विदित हो कि जिले में सिर्फ चार आंगनबाड़ी केंद्र भवन मनरेगा योजना से निर्माणाधीन है. वहीं सीओ के सुस्ती के कारण जमीन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. कई जगह तो एनओसी तक नहीं मिल रहा है. सरकारी जमीन पर बनने वाला आंगनबाड़ी केंद्र के लिए सभी सीओ के कार्यालय में फाइल महीनों से लटका पड़ा है.

आंगनबाड़ी केंद्र का क्या है उद्देश्य

आंगनबाड़ी केंद्र का मुख्य उद्देश्य बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास करना है. जिससे वह प्राथमिक स्कूल में और बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें. इसके लिए आंगनबाड़ी सेविका द्वारा तीन से छह साल के बच्चों को खेले खेल में शिक्षा दी जाती है. बच्चों को प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, जंगल, जानवर, फल, फूल आदि के बारे में प्रारंभिक ज्ञान कराया जाता है. वहीं उन्हें पूरक पोषण और प्रारंभिक देखभाल के साथ शिक्षा दी जाती हैं. कहा जाता है कि छह साल तक के बच्चों का मस्तिष्क 85 प्रतिशत तक विकसित होता है. उनके विकास को बेहतर बनाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र पर कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं.

घनी आबादी वाले क्षेत्रों में खोला गया है आंगनबाड़ी केंद्र

ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से छह साल के बच्चों और उनकी माता को कुपोषण से बचाने के लिए केंद्र सरकार एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया है. इस योजना के तहत घनी आबादी वाले क्षेत्रों में एक आंगनबाड़ी केंद्र खोला गया है. इन केंद्र पर सरकार अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध कराती है. जो बच्चों और उनकी माता को कुपोषण से बचाती है. सुविधा के रुप में उन्हें पोषण तत्व से भरपूर भोजन, स्वास्थ्य सेवा, खेल सामग्री, बच्चों को पुस्तक, धात्री महिलाओं को समय पर जांच और परामर्श, बच्चों को बुनियादी ज्ञान से शिक्षित करना है. केंद्र पर बच्चों और महिलाओं को घर जैसा वातावरण उपलब्ध कराना है.

क्या कहते हैं अधिकारी

आईसीडीएस के डीपीओ विनीता कुमारी ने कहा कि जमीन उपलब्ध कराने के लिए सभी सीओ को पत्र लिखा गया है. लेकिन अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं कराया गया है. जमीन उपलब्ध हो जाता है तो भवन निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा. फिलहाल जो संसाधन उपलब्ध है उसी से बेहतर सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है.

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