पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक बार फिर नक्सलियों ने पुलिस का मुखबिर होने के शक में एक व्यक्ति की हत्या कर दी है. घटना घोर नक्सल प्रभावित गोईलकेरा थाना क्षेत्र के लावाबेड़ा वन ग्राम की है. यह गांव गोईलकेरा थाना से 35 किलोमीटर दूर है. घोर जंगल में बसे इस गांव में अब तक पुलिस नहीं पहुंची है. इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हो पायी है कि उसकी हत्या क्यों और किसने की. लेकिन, बताया जा रहा है कि भाकपा माओवादी के सदस्यों ने उसकी हत्या की है. नक्सलियों को अर्जुन पर शक था कि वह पुलिस का मुखबिर है.
दो दिन में दो लोगों की हत्या से गोईलकेरा में दहशत
पश्चिमी सिंहभूम के गोईलकेरा थाना क्षेत्र में दो दिन में दूसरा शव बरामद हुआ है. रविवार को रामदो सुरीन का शव बरामद हुआ था और सोमवार को अर्जुन सुरीन का शव फांसी के फंदे से झूलता मिला है. आशंका व्यक्त की जा रही है नक्सलियों ने ही अर्जुन सुरीन को मारकर फांसी के फंदे से लटका दिया है. एक दिन पहले रामदो सुरीन की गला रेतकर हत्या कर दी गयी थी. उसके शव के पास तीन परचे मिले थे, जिसमें कहा गया था कि रामदो सुरीन पुलिस का मुखबिर था. इसलिए उसे सजा दी गयी है. दो दिन में दो लोगों की हत्या से गोईलकेरा में दहशत है.
अर्जुन सुरीन के शव के पास नहीं मिला कोई परचा
हालांकि, अर्जुन सुरीन के शव के पास ऐसा कोई परचा बरामद नहीं हुआ है. समाचार लिखे जाने तक पुलिस भी वहां नहीं पहुंची थी. अर्जुन सुरीन की पत्नी ने ग्रामीणों को सूचना दी कि उसके पति का शव फांसी के फंदे से लटका मिला है. ग्रामीणों ने उसे थाने में इसकी शिकायत करने की सलाह दी. अर्जुन सुरीन का शव लावाबेड़ा वन ग्राम में मिला था. बताया जा रहा है कि उसका परिवार लावाबेड़ा वन ग्राम में रहता है, इसलिए उसे वहीं फांसी के फंदे से टांग दिया गया.
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6 दिन पहले रामदो और अर्जुन सुरीन को नक्सलियों ने उठाया
सूत्र बता रहे हैं कि छह दिन पहले मंगलवार (15 अगस्त 2023) को रामदो सुरीन (62) और अर्जुन सुरीन (45) को लावाबेरा वन ग्राम से भाकपा माओवादी के सदस्यों ने उठाया था. रविवार (20 अगस्त) को सुबह रामदो सुरीन का शव मिला. अब सोमवार को अर्जुन सुरीन का शव मिला है.
जहां रहता है परिवार, वहीं पर फेंका शव
रामदो सुरीन की गला रेतकर हत्या करने के बाद उसके शव को गितिलिपि में फेंक दिया गया था. बताया जा रहा है कि रामदो सुरीन का परिवार गितिलिपि में रहता है, इसलिए उसके शव को उसके गांव के पास फेंका गया. वहीं, अर्जुन सुरीन का परिवार लावाबेड़ा वन ग्राम में रहता है. इसलिए उसके शव को वहां टांग दिया गया.
अर्जुन सुरीन के शव के पास नहीं मिला कोई परचा
बता दें कि 15-20 सशस्त्र नक्सलियों ने रामदो सुरीन की गला रेतकर हत्या की थी. अर्जुन सुरीन को फांसी पर लटका दिया गया. रामदो की हत्या करने के बाद नक्सलियों ने वहां पर तीन परचा छोड़ा था. इसमें कहा था कि रामदो सुरीन पुलिस का मुखबिर था. इसलिए उसे सजा दी गयी है. लेकिन, अर्जुन सुरीन के शव के पास से ऐसा कोई परचा नहीं मिला है.
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दहशत फैलाने के लिए हत्या कर रहे नक्सली
बताया जा रहा है कि इलाके में नक्सलियों का दबदबा कायम रखने के लिए भाकपा माओवादी के सदस्य इलाके में हत्या को अंजाम दे रहे हैं. दरअसल, नक्सल प्रभावित गोईलकेरा में 6 पुलिस कैंप स्थापित हो चुके हैं. इससे नक्सलियों की मुश्किलें बढ़ गयीं हैं. वे स्वच्छंद कहीं भी आने-जाने की स्थिति में नहीं हैं. यही वजह है कि निरीह लोगों की हत्या करके इलाके में अपना दबदबा कायम रखना चाहते हैं.
क्या है वन ग्राम
अर्जुन सुरीन को जहां फांसी के फंदे पर लटकाया गया है, वह लावाबेड़ा वन ग्राम है. वन ग्राम ऐसे गांवों को कहते हैं, जो जंगल में बसे होते हैं. बड़ी संख्या में लोग अपने मूल निवास को छोड़कर जंगलों में घर बनाकर रहने लगते हैं. उन्हें उम्मीद होती है कि कुछ दिन रहने के बाद सरकार जंगल की जमीन का पट्टा उनके नाम कर देगी. वे जमीन के मालिक बन जायेंगे.