Jharkhand News: जल्द ही झारखंड में दूसरा सैनिक स्कूल स्थापित होने जा रहा है. वह भी दुमका जिला अंतर्गत जरमुंडी प्रखंड के विशुनपुर में. इसके लिए आवश्यक 50 एकड़ जमीन की उपलब्धता काफी पहले ही सुनिश्चित करायी जा चुकी है और राज्य सरकार के स्तर से आवश्यक कागजात भी आगे बढ़ाया जा चुका है. माना जा रहा है कि जल्द ही केंद्रीय टीम इसको लेकर जरमुंडी के विशुनपुर मौजा का दौरा कर सकती है. जिले के अपर समाहर्ता राजीव कुमार ने बताया कि विशुनपुर के खाता संख्या 32, थाना संख्या 16 में दाग नंबर 455 के प्लॉट को इसके लिए चयनित किया गया है.
रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित होता है सैनिक स्कूल
सैनिक स्कूल रक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित होता है और पूर्णत: आवासीय होता है. सीबीएसई पाठ्यक्रम में यहां पढ़ाई होती है. देश के अधिकांश राज्यों में सैनिक स्कूल हैं. देशभर में अभी कुल 33 सैनिक स्कूल संचालित हैं. बिहार, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओड़िशा, राजस्थान ऐसे राज्य हैं, जहां दो-दो सैनिक स्कूल हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में तीन सैनिक स्कूल हैं. झारखंड में तिलैया में सैनिक स्कूल है. सैनिक स्कूल मूल रूप से देश की रक्षा सेवाओं में योग्य अधिकारी तैयार करने के ध्येय से स्थापित किये जाते हैं. यह स्कूल राष्ट्रीय डिफेंस एकेडमी और भारतीय नौसेना अकेडमी में अधिकारी वर्ग की पदों के लिए विद्यार्थियों को तैयार करते हैं. सेना में अनुशासन और दक्षता की बहुत आवश्यकता होती है. इसके लिए ऐसे बच्चों को तैयार करना होता है, जो बचपन से ही अनुशासित और तेज-तर्रार हों. इसके लिए कम आयु से ही बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना होता है. यह देश के सामान्य स्कूलों में इसलिए संभव नहीं है, क्योंकि वहां पर अच्छी आधारभूत संरचना और योग्य प्रशिक्षक नहीं होते हैं, जो सेना की आवश्यकताओं के अनुसार छोटे बच्चों को योग्य सैनिक अधिकारी बनने के लिए तैयार कर सकें.
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दुमका में तीन और केंद्रीय विद्यालय खोला जाना भी है प्रस्तावित
दुमका में जामा, रानीश्वर और जरमुंडी प्रखंड में केंद्रीय विद्यालय खोलने का प्रस्ताव आया है. दुमका सदर प्रखंड के धाधकिया गांव में एक केंद्रीय विद्यालय संचालित है. इसका भव्य भवन बन चुका है और अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित परिसर विकसित किया जा चुका है. इन तीन केंद्रीय विद्यालयों के लिए भी जमीन से संबंधित प्रस्ताव को लेकर जिलास्तर से प्रयास किये जा रहे हैं. संबंधित प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों से इस बाबत रिपोर्ट की भी मांग की गयी है. बतादें कि इन तीन नये केंद्रीय विद्यालयों के प्रस्तावों लेकर केंद्रीय विद्यालय संगठन के रांची संभाग के उपायुक्त डीपी पटेल ने पत्राचार भी किया है. यहां नेतरहाट की तर्ज पर संताल आवासीय विद्यालय मसलिया भी पहले से संचालित है. इसके लिए भी वहां आधारभूत संरचनाओं का विकास होना है.
रानीश्वर के अधिकांश स्कूलों में चहारदीवारी नहीं होने से हो रही काफी परेशानी
दूसरी ओर, रानीश्वर प्रखंड के अधिकांश स्कूलों में चहारदीवारी नहीं रहने से शिक्षकों को परेशानी झेलना पड़ रहा है. कुछ मिडिल स्कूलों को छोड़कर अधिकांश मिडिल स्कूल, प्राथमिक व उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है, जिससे स्कूल भवन के अंदर सामग्रियों की चोरी होने की संभावना बनी रहती है. स्कूल परिसर में शौचालय में गंदगी फैलाने के साथ उसके दरवाजे आदि को क्षति भी पहुंचाते हैं. स्कूल परिसर में फल व फूल के पौधे आवारा मवेशी नष्ट कर देते हैं. बाउंड्री नहीं रहने से शिक्षक किचन गार्डन भी विकसित नहीं कर पाते हैं. मिडिल स्कूल रानीग्राम, पाटजोड़, मोहुलबोना, कुमिरदहा आदि स्कूलों में चहारदीवारी है. जबकि रानीश्वर में 193 स्कूल है. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सह बीआरसी समन्वयक एस्थेर मुर्मू ने बताया कि यहां 17 स्कूलों में घेरा है, वह भी ईंट का नहीं बांस से घेरा बनाया गया है. विभाग की ओर से फिलहाल स्कूलों में चहारदीवारी बनवाने की योजना नहीं है.
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