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साहिबगंज अवैध खनन मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने दिया CBI जांच के आदेश, पुलिस की कार्यशैली पर उठाये सवाल

विजय हांसदा की याचिका (665/2922) की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सीबीआई जांच की मांग का विरोध करते हुए याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया गया था.

साहिबगंज के नींबू पहाड़ पर अवैध खनन के मामले में दर्ज प्राथमिकी की जांच में पुलिस ने शिकायतकर्ता का लोकेशन बेंगलुरू और कर्नाटक में दिखाया. पुलिस ने सिर्फ एसी-एसटी एक्ट के आरोपों की जांच की, न कि अवैध खनन की. इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि पुलिस इस प्रकरण में अभियुक्तों को बचाने की कोशिश कर रही है. न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी ने विजय हांसदा की याचिका पर सुनवाई के बाद दिये गये अपने फैसले में इसका उल्लेख किया है. साथ ही इसकी जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया है. अदालत ने साहिबगंज पुलिस को याचिकाकर्ता के जान-माल की सुरक्षा का भी आदेश दिया है.

विजय हांसदा की याचिका (665/2922) की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सीबीआइ जांच की मांग का विरोध करते हुए याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया गया था. इडी की ओर से मामले की गंभीरता व मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के अलावा प्रेम प्रकाश सहित अन्य आपराधिक चरित्र के लोगों द्वारा अवैध खनन में शामिल होने और पुलिस द्वारा सही जांच नहीं करने का हवाला दिया गया था.

अदालत ने विजय हांसदा द्वारा दर्ज प्राथमिकी में जांच से संबंधित पेश की गयी रिपोर्ट के आलोक में यह टिप्पणी की कि इसमें सिर्फ एससी-एसटी एक्ट के बिंदु की जांच की गयी है. पुलिस ने प्राथमिकी में लगाये गये अवैध खनन के आरोपों की जांच नहीं की है. इस कांड के जांच अधिकारी राजेंद्र दुबे की ओर से पेश की गयी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया कि विजय हांसदा ने जिस दिन नींबू पहाड़ पर अवैध खनन की घटना को लेकर यह प्राथमिकी दर्ज करायी है, उस दिन फोन नंबर 9934527037 का लोकेशन बेंगलुरू और कर्नाटक में बताता है.

डीएसपी ने यह बात टेक्निकल सेल द्वारा दिये गये ब्योरे के आधार पर कही. दूसरी तरफ इडी ने यह कहा है कि पुलिस ने जान-बूझकर विजय हांसदा के बदले बेंगलुरू निवासी विनोद प्रसाद के फोन को लोकेशन टेक्निकल सेल से मांगा. इसका उद्देश्य इडी द्वारा जारी अवैध खनन की जांच को प्रभावित करना है. इडी ने विजय हांसदा द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी को इसीआइआर के रूप दर्ज करने के बाद निरीक्षण किया. इसमें नींबू पहाड़ पर अवैध खनन की पुष्टि हुई.

ईडी के तथ्यों को कोर्ट ने गंभीरता से लिया

न्यायालय ने विजय हांसदा द्वारा मूल याचिका वापस लेने से जुड़े मामले में सबूत के आधार पर यह कहा कि याचिका जेल के सक्षम अधिकारियों द्वारा सत्यापित और हस्ताक्षरित वकालतनामा के आधार पर दायर की गयी थी. न्यायालय ने इस मामले में वकील बदलने के लिए दिये गये एनओसी को जस्टिफाइड नहीं माना है. अदालत ने यह कहा है कि इसके पीछे कोई दिमाग काम कर रहा है, जो पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है.

अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद ‘समाज परिवर्तन समुदाय बनाम कर्नाटक सरकार’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को बतौर उदाहरण पेश किया. इसमें कोर्ट ने यह कहा था कि अगर किसी मामले में में मुख्यमंत्री या प्रभावशाली लोगों के शामिल होने का आरोप हो, तो ऐसे मामले को निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र जांच एजेंसी के हवाले कर देना चाहिए.

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