चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर बुधवार शाम छह बजकर चार मिनट पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा. चंद्रयान -3 की साॅफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर लेगा. चंद्रयान -3 की साॅफ्ट लैंडिंग के समय इसकी गति को कम करना वैज्ञानिकों के फोकस में होगा. इसरो अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने पीटीआई न्यूज एजेंसी को बताया है कि वैज्ञानिकों का ध्यान चंद्रमा की सतह के ऊपर अंतरिक्ष यान की गति को कम करने पर होगा.
नीलेश देसाई ने बताया कि लैंडर 23 अगस्त को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और उस समय इसकी गति 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी. उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान उस गति को कम करने पर होगा क्योंकि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल भी साॅफ्ट लैंडिंग के समय अहम भूमिका में होगा. देसाई ने बताया कि यदि हम उस गति को नियंत्रित नहीं करते हैं, तो ‘क्रैश लैंडिंग’ की आशंका होगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लैंडिंग के समय यदि कोई भी तकनीकी खराबी नजर आती है तो लैंडिंग को 27 अगस्त के लिए टाला जा सकता है. लेकिन वैज्ञानिकों का फोकस बुधवार 23 अगस्त के साॅफ्ट लैंडिंग पर ही है.
जैसे ही चंद्रयान 3 सॉफ्ट लैंडिंग करेगा वैज्ञानिकों का काम शुरू हो जाएगा. जब लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चंद्रमा पर टचडाउन करेंगे तब वैज्ञानिक उनके द्वारा भेजे गये डाटा को पढ़ना शुरू करेंगे. डाटा एनालिसिस के बाद ही वैज्ञानिकों को वे जानकारियां मिलेंगे जिनसे धरती पर का मानव अभी तक अनभिज्ञ है. विक्रम और प्रज्ञान पूरे 14 दिन (धरती की गिनती अनुसार) डाटा धरती पर भेजेंगे. हालांकि चांद पर यह गिनती सिर्फ एक दिन की ही है. लैंडर और रोवर पर तीन और दो पेलोड लदे हैं, जो धरती पर कई डाटा भेजेंगे. धरती पर डाटा भेजने का काम सिर्फ विक्रम करेगा, हालांकि प्रज्ञान डाटा कलेक्ट करेगा.
जब चंद्रमा की धरती पर साॅफ्ट लैंडिंग होगी तब लैंडर विक्रम खुलेगा और उससे रोवर प्रज्ञान निकलेगा. रोवर पर भारत का तिरंगा और इसरो का लोगो अंकित है. लैंडिंग के करीब चार घंटे बाद यह विक्रम से अलग होगा और नेविगेशन कैमरा के जरिये डाटा कलेक्ट करेगा. चंद्रयान 3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है वहां काम करना. इन्हें काम करने का मौका सिर्फ एक दिन ही मिलेगा क्योंकि उसके बाद वहां रात हो जायेगी. रात होते ही यहां तापमान काफी गिर जायेगा और सभी मशीनें काम करना बंद कर देंगी. चंद्रयान 3 की साॅफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत उन विशिष्ट समूह के देशों में शामिल हो जायेगा जो चंद्रमा की सतह पर पहुंचने में उपलब्धि हासिल की है, जिनमें अमेरिका, रुस और चीन शामिल है.