25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रगतिशील लेखक संघ का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न,फासीवादी ताकतों के खिलाफ एकजुटता का आह्वान

अधिवेशन में उद्घाटन सत्र से लेकर लगभग हर सत्र में वक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए सभी जन संगठनों व देश भर के लेखकों से एकजुट होकर आम आदमी, किसान, मजदूर, महिला, अल्पसंख्यकों, दलित,आदिवासियों के हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने की बात कही.

फासीवादी एवं सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के आह्वान के साथ अखिल भरतीय लेखक संघ के 18वें राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ. हरिशंकर परसाई के शहर में प्रगतिशील लेखक संघ का यह दूसरा राष्ट्रीय अधिवेशन था. 1980 में हरिशंकर परसाई की उपस्थिति में राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हुआ था और अब परसाई की जन्मशती के अवसर पर उनकी यादों और उनके धारदार विचारों के साथ राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हुआ. इस तीन दिवसीय लेखक, बुद्धिजीवी समागम में देश के 19 राज्यों से पहुंचे पांच सौ से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

लेखकों से एकजुटता की अपील

सम्मेलन में मणिपुर और नूह की हिंसा के साथ ही विभाजनकारी सोच और सांप्रदायिकता को लेकर गंभीर चिंता देखने को मिली. अधिवेशन में उद्घाटन सत्र से लेकर लगभग हर सत्र में वक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए सभी जन संगठनों व देश भर के लेखकों से एकजुट होकर आम आदमी, किसान, मजदूर, महिला, अल्पसंख्यकों, दलित,आदिवासियों के हक और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने की बात कही.

मणिपुर के साहित्यकारों का छलका दर्द

मणिपुर से पहुंचे साहित्यकार इकेन खूराइजम ने मणिपुर हिंसा पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि दो महीने तक केंद्र सरकार ने हिंसा को लेकर कुछ नहीं बोला. लेखकीय दायित्व को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हम इतने दुख और दर्द में रहे कि न कुछ लिख पाये, न कोई कविता न कहानी. यह राजनीतिक और आर्थिक लड़ाई है, जिसे सांप्रदायिक बना दिया गया है. मैतेई और कुकी सदियों से एक साथ रहते आ रहे थे आज उन्हें एक दूसरे का जानी दुश्मन बना दिया गया. उन्होंने कहा कि हम शांति और न्याय की आवाज बुलंद करने के लिए यहां अपने साथियों के साथ पहुंचे हैं.

Undefined
प्रगतिशील लेखक संघ का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न,फासीवादी ताकतों के खिलाफ एकजुटता का आह्वान 3
तकदीर संवाद से बदलती है आतंक से नहीं

बेहतर दुनिया बनाने में लेखकों की भूमिका विषय पर आयोजित परिसंवाद में आनंद मेन्से कर्नाटक, आरती भोपाल, शिवानी पश्चिम बंगाल, समाधान इंग्ले महाराष्ट्र द्वारा विचार व्यक्त किया गया. सत्र का संचालन शैलेंद्र शैली ने किया. अधिवेशन के दूसरे दिन लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता नवशरण कौर ने कहा कि हमारे रंगकर्मी, लेखकों, किसानों, बुद्धिजीवियों ने हमेशा से इस बात पर जोर दिया है कि लोगों की तकदीर संवाद से बदली जाती है, आतंक से नहीं. उन्होंने कहा कि आज अभिव्यक्ति पर जो खतरा नजर आ रहा है उन सबका अंत करना होगा. ‘संविधान की सुरक्षा और संवर्धन की चुनौतियां’ विषय पर बोलते हुए नवशरण कौर ने लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने की कोशिश पर निशाना साधते हुए मणिपुर व नूह की हिंसा का उदहारण देते हुए कहा कि आज नागरिक की पहचान को बदला जा रहा है, देश द्रोह जैसे कानूनों के माध्यम से. भीड़ को खुला छोड़ दिया गया है न्याय करने के लिए और जो लोग संवैधानिक दायरे में रहकर न्याय की बात कर रहे हैं, समाज में शांति व सौहार्द की बात कर रहे हैं उन्हें देशद्रोही ठहराया जा रहा है. अभिव्यक्ति के खतरे को उठाते हुए हम हर तरह के अन्याय का विरोध करेंगे.

Undefined
प्रगतिशील लेखक संघ का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न,फासीवादी ताकतों के खिलाफ एकजुटता का आह्वान 4
संविधान व लोकतंत्र पर हमले की मुनादी

प्रख्यात आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि परसाई ने जिस ठिठुरते गणतंत्र की बात कही थी आज वह दिख रहा है. आज जिन परिस्थितियों में लेखक समागम हो रहा है ऐसी परिस्थितियां कभी नहीं थीं. उन्होंने कहा कि संविधान, लोकतंत्र पर हमले की मुनादी सुनाई दे रही है. उन्होंने प्रेमचंद का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें वर्ण और वर्ग से मुक्त होने के लिए काम करना होगा. अधिवेशन के आखिरी सत्र में अकादमिक जगत और विश्वविद्द्यालयों की स्वायत्तता बरकरार रखने और देश में किसी भी तरह के अवैज्ञानिक प्रचार को सरकार द्वारा प्रतिबंधित करने की मांग की गयी. इसके अलावा नूंह जैसी हिंसा दोबारा ना घटित हो, हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा घोषित करने, किसान आंदोलन की सफलता को याद करते हुए उनकी मांगों का समर्थन, न्यूज क्लिक सहित अन्य मीडिया संस्थानों पर हो रहे हमलों का विरोध सहित सभी वर्गों को समान नि:शुल्क शिक्षा की मांग के साथ विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा कर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किये गये.

हरिशंकर परसाई के परिजनों का सम्मान

सांगठनिक सत्र में कार्यकारणी का गठन किया गया, जिसमें आंध्रप्रदेश के तेलगू भाषा के बड़े साहित्यकार पी लक्ष्मी नारायणा को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. पंजाबी भाषा के विख्यात साहित्यकार सुखदेव सिंह सिरसा को राष्ट्रीय महासचिव के रूप में दूसरी बार चुना गया. डाॅ मिथिलेश को नेशनल सेक्रेटेरिएट के मेंबर के रूप में चुना गया. हरिशंकर परसाई के जन्मदिन पर हुए समापन के अवसर पर केक काटने के साथ ही परसाई के परिवारजनों को सम्मानित कर उनका जन्मदिन मनाया गया. मध्यप्रदेश लेखक संघ के सचिव तरुण गुहा नियोगी ने अधिवेशन के सफल आयोजन को लेकर सभी प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया .

Also Read: विरासत में मिली कला को आगे बढ़ा रहे सरायकेला के छऊ गुरु सुशांत महापात्र, अर्जुन मुंडा ने किया सम्मानित

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें