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Chandrayaan 3: मंगल के बजाय चांद पर बसने की कर लें तैयारी! चंद्रयान 3 कर सकता है आपकी उम्मीद पूरी

ISRO पहले चांद के Northern hemisphere पर रिसर्च करने पर फोकस कर रहा था. लेकिन बाद में स्ट्रैटेजी बदली गई क्योंकि वहां पर पानी के होने की जानकारी मिली है. हां, इस बात का संदेह है कि मून के Southern hemisphere पर मौजूद पानी Concentrated हो सकता है.

चंद्रयान 3 के मून पर लैंडिंग पर कुछ घंटे बचे हैं और इसके साथ ही तरह-तरह की उम्मीदें भी दिखने लगी हैं. एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि मिशन सफल हो गया तो मंगल के बजाय मून पर मानव कॉलोनी बसाना ज्यादा आसान होगा. एक बार चंद्रयान 3 वहां लैंड कर जाए, फिर वहां की आबो-हवा कैसी है, इसका पता लगाया जा सकता है.

चंद्रयान 3 उतर जाएगा तो मून के रहस्यों पर से उठ जाएगा पर्दा

रायटर्स से बातचीत में अशोका यूनिवर्सिटी के वीसी और एस्ट्रोफिजिस्ट सोमक राय चौधरी ने कहा कि चांद का वातावरण फेंट है. वहां जब चंद्रयान 3 उतर जाएगा तो मून के रहस्यों पर से पर्दा उठ जाएगा. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भविष्य में अंतरिक्ष के रहस्यों का पता लगाने के लिए Lunar Colonies भी बसाई जा सकती हैं. अगर ऐसा होगा तो हमें मार्स मिशन पर फोकस करने जी जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि चंद्रमा से अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्यों को पता लगाना आसान होगा. प्रो रायचौधरी Inter-University Centre for Astronomy and Astrophysics (IUCAA), Pune के निदेशक भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि भारत में मून या दूसरे ग्रहों पर मिशन देर से जरूर शुरू किया लेकिन हम सही दिशा में हैं. हम धरती से जुड़े तथ्यों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं. मसलन, क्लाइमेट, वेदर, कम्युनिकेशन, सैटेलाइट और रिमोट सेंसिंग के बारे में पड़ताल कर रहे हैं. चंद्रमा के मिशन के साथ हम दुनिया में अपनी धाक जमाने में भी कामयाब हो सकते हैं.

क्यों चंद्रमा हमारे लिए हैं इतना अहम?

प्रो. रायचौधरी के मुताबिक धरती और चांद करीब 4.5 अरब साल पहले एकसाथ अस्तित्व में आए. वे एक तरह के मैटेरियल से बने हैं, यहां तक कि उनका Fluid state उनकी स्थापना के समय एक जैसा था. धरती की सतह के जो फीचर है, ठीक वैसे ही चांद पर मिलेंगे. इसलिए मून पर रिसर्च से हमें धरती के बारे में जानने में और मदद मिलेगी.

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चांद के दक्षिण पोल को क्यों कर रहे टार्गेट?

ISRO पहले चांद के Northern hemisphere पर रिसर्च करने पर फोकस कर रहा था. लेकिन बाद में स्ट्रैटेजी बदली गई क्योंकि वहां पर पानी के होने की जानकारी मिली है. हां, इस बात का संदेह है कि मून के Southern hemisphere पर मौजूद पानी Concentrated हो सकता है. चांद के इस इलाके में पहाड़, गहरे गड्ढे और सूरज की रोशनी न पहुंचने वाले स्थान हैं. यहां का तापमान -200 डिग्री होने का अनुमान है.

चंद्रयान 3 ने क्यों पकड़ी रफ्तार?

प्रो. रायचौधरी के मुताबिक 60 और 70 के दशक में हमने अंतरिक्ष पर रिसर्च शुरू की और चंद्रमा के बारे में सबसे ज्यादा जानकारी जुटा पाए. तकनीकी कामयाबी मिलने से रिसर्च आगे बढ़ा और हमने रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए अपना सैटेलाइट वहां भेज दिया. यहां तक कि Elon Musk जैसे बिजनेसमैन भी चांद पर मिशन को लेकर काफी उत्साहित हैं.

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Russian Luna 25 क्यों हुआ फेल?

प्रोफेसर के मुताबिक रूस ने अपने सैटेलाइट को मून पर जल्द पहुंचाने के लिए तेज गति से उड़ने वाले रॉकेट का सहारा लिया था. लेकिन वह चांद पर पहुंचने से पहले क्रेश हो गया. वहीं भारत का चंद्रयान 3 लगभग एक महीने की यात्रा के बाद 23 अगस्त की शाम को वहां लैंड कर सकता है. मुझे लगता है कि ISRO की रणनीति सही है. इसमें जोखिम कम है.

क्या है चंद्रयान 3 मिशन

चंद्रयान 3 भारत का चांद पर मिशन है. यह 14 जुलाई, 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से लॉन्च किया गया था. चंद्रयान 3 चांद पर एक लैंडर और एक रोवर लेकर गया है. लैंडर को चांद की सतह पर उतारने के बाद, रोवर चांद की सतह का पता लगाने और मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करने का काम करेगा. चंद्रयान 3 का उद्देश्य चांद की सतह पर पानी की खोज करना है. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह भारत को अंतरिक्ष में एक अग्रणी देश बना देगा.

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