पटना हाइकोर्ट ने शहर के नेपाली नगर से अतिक्रमण हटाए जाने के मामले में राज्य सरकार और आवास बोर्ड द्वारा दायर एलपीए (अपील ) पर बुधवार को सुनवाई की. मामले में कोर्ट ने याचिका कर्ताओं को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंड पीठ ने राज्य सरकार और आवास बोर्ड द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.
मुआवजा देने के आदेश पर कोर्ट ने लगाई रोक
कोर्ट ने इसी के साथ एकलपीठ के उस आदेश पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है. जिसके तहत एकलपीठ ने कहा था कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है, उन्हें पांच-पांच लाख रुपए का मुआवजा राज्य सरकार को देना होगा. खंडपीठ ने इस मामले में एकल पीठ के आदेश का पालन नहीं किए जाने पर दायर किए गये आवमानना याचिका पर भी सुनवाई करने से रोक लगा दिया.
नेपाली नगर में अतिक्रमण न हो यह देखना प्रशासन का काम
हाइकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि इस अपील के लंबित रहने के दौरान नेपाली नगर में रह रहे किसी भी व्यक्ति या उसके मकान को किसी भी तरह से राज्य सरकार या आवास बोर्ड द्वारा नुकसान नहीं पहुंचाया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नेपाली नगर इलाके में फिर से अतिक्रमण नहीं हो यह देखना प्रशासन का काम है.
इससे पहले हाइकोर्ट ने दिया था फैसला
इससे पहले पटना हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप कुमार ने 25 मई 2023 को नेपाली नगर में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत दी थी. कोर्ट ने नेपाली नगर क्षेत्र में मकान बना कर रह रहे लोगों के मकानों को जिला प्रशासन और आवास बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से एक अभियान चलाकर अवैध तरीके से तोड़े जाने के विरुद्ध दायर की गई 31 रिट याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी थी.
कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया था कि वहां जो भी निर्माण वर्ष 2018 के पहले हुआ है उस पर दीघा लैंड सेटलमेंट एक्ट के तहत मकान मालिक के पक्ष में करवाई किया जाये . कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपाली नगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया था तथा वहां से अतिक्रमण हटाने के नाम पर बने हुए मकानों को तोड़े जाने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया था .
राज्य सरकार को पांच-पांच लाख मुआवजा देने का दिया था आदेश
मालुम हो की जस्टिस संदीप कुमार की एकल पीठ ने नेपाली नगर मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाते हुए यह निर्देश दिया था. एकलपीठ ने इससे पहले 17 नवंबर, 2022 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था .कोर्ट ने इस मामले पर निर्णय देते हुए कहा था कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है, उन्हें पांच -पांच लाख रुपए का मुआवजा राज्य सरकार को देना होगा . कोर्ट ने साफ किया था कि यदि क्षतिपूर्ति की राशि अधिक हो तो उस पर विचार कर पीड़ितों को देना होगा.
जिला प्रशासन की कार्रवाई पर लगाया था रोक
इसके पहले कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड एवं जिला जिला प्रशासन के द्वारा की गई कार्रवाई को प्रथम दृष्टया अवैध मानते हुए उस पर रोक लगा दिया था .इस मामले में हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई हुई थी राज्य सरकार जिला प्रशासन आवास बोर्ड और पटना नगर निगम के साथ ही नेपाली नगर में जमीन को लेकर जितने भी कॉपरेटिव बनाए गये थे उनको भी कोर्ट द्वारा नोटिस जारी कर को हाई कोर्ट द्वारा अपना पक्ष रखने को कहा गया था .
Also Read: पटना हाईकोर्ट: वो पांच तर्क जिसने नेपाली नगर के लोगों को दिलाई जीत, 20 दिन की सुनवाई के बाद पक्ष में आया फैसला
Also Read: बिहार: पटना हाईकोर्ट ने राजीव नगर और नेपाली नगर मामले में दी बड़ी राहत, अब नहीं टूटेंगे मकान,5-5 मिलेगा मुआवजा
Also Read: नेपाली नगर मामले में हाइकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- सरकार बताये वेतन खर्च करते थे बोर्ड व थाने के अफसर