राज्य प्रशासनिक सेवा के छठे बैच के 24 अधिकारी बिना काम के बैठे हैं. छह माह से सभी अधिकारी प्रतिमाह वेतन ले रहे हैं. इनको वेतन देने पर सरकार 1.50 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है. इनकी सेवा राज्य सरकार ने भू राजस्व विभाग को दे दी है. राज्य में 100 से अधिक अंचल खाली हैं, लेकिन इनका पदस्थापन नहीं हुआ है. राजधानी में ही चार अंचल खाली है. यहां बीडीओ को सीओ का प्रभार दिया गया है.
इनके वेतन पर राज्य सरकार प्रतिमाह करीब 20 लाख रुपये खर्च कर रही है. इन अधिकारियों का प्रोबेशन करीब डेढ़ साल पहले ही खत्म हो चुका है. प्रोबेशन खत्म होने के बाद जिस जिले में काम कर रहे थे, वहीं पदस्थापन कर दिया गया था. सभी अलग-अलग पदों पर काम कर रहे थे. भू-राजस्व विभाग को सेवा दिये जाने के बाद अधिकारियों ने विभाग में योगदान दिया है. पदस्थापन को लेकर अधिकारियों ने वरीय अधिकारियों के पास गुहार भी लगायी है.
राज्य प्रशासनिक सेवा के नये अधिकारियों का हर माह करीब 80 हजार रुपये वेतन के रूप में मिलता है. इन 24 अधिकारियों को सरकार करीब 20 लाख रुपये बैठा कर दे रही है. इनके साथ ही सेवा में आये दूसरी सेवा के अधिकारियों का पदस्थापन कार्यपालक दंडाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद पर कर दिया गया है.
राज्य सरकार का वित्त विभाग ने 23 अगस्त 2022 को एक संकल्प निकाला है. इसमें कहा है बिना काम या सेवा के वेतनादि पर भुगतान करना गंभीर वित्तीय अनियमितता है. इस पर पूर्णतया पाबंदी लगाना अत्यंत आवश्यक है. किसी भी कीमत पर यह अवधि 15 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए. इससे अधिक होने की स्थिति में जिम्मेदारी का निर्धारण कर दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति के वेतन से भुगतेय राशि काटी जानी है.
सारांश जैन, धर्मेंद्र कुमार दुबे, संतोष कुमार, शिवपूजन तिवारी, मनोज कुमार मिश्र, राज कुंवर सिंह, किशोरी यादव, नीलम कुमारी, नित्यानंद दास, घनश्याम कुमार राम, अनिल रविदास, प्रमोद कुमार, अविनाश कुजूर, कुमारी शीला उरांव, गीरेंद्र टूटी, दीपक मिंज, सुषमा सोरेन, चंचला कुमारी, अमित किस्कु, अविनाश रंजन, नवीन चंद्र झा, नइमुद्दीन अंसारी, अमर कुमार, अबीश्वर मुरमू.