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प्रतिस्पर्धा आयोग ने टाटा मोटर्स के खिलाफ केस को किया बंद, जानें पूरा मामला

करीब 32 पन्नों के आदेश में सीसीआई ने कहा कि वह डीजी के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हो पा रहा है कि टाटा मोटर्स ने अपने डीलरों को कंपनी की मांगों के अनुसार वाहन खरीदने के लिए मजबूर किया. इसके अलावा, नियामक ने कहा कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री नहीं है.

नई दिल्ली : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने बुधवार को अपने अधिकृत डीलरों के साथ समझौतों के संबंध में प्रमुख स्थिति के कथित दुरुपयोग पर टाटा मोटर्स के खिलाफ मामला बंद कर दिया. मामले को भारत में वाणिज्यिक वाहनों के निर्माण और बिक्री के बाजार को प्रासंगिक माना गया. यह शिकायत टाटा मोटर्स, टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज और टाटा मोटर्स फाइनेंस के खिलाफ दायर की गई थी. मई 2021 में, नियामक ने महानिदेशक (डीजी) को आरोपों की विस्तृत जांच करने का आदेश दिया था. नियामक की जांच शाखा डीजी ने सितंबर 2022 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

32 पन्नों का आदेश

करीब 32 पन्नों के आदेश में सीसीआई ने कहा कि वह डीजी के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हो पा रहा है कि टाटा मोटर्स ने अपने डीलरों को कंपनी की मांगों के अनुसार वाहन खरीदने के लिए मजबूर किया. इसके अलावा, नियामक ने कहा कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री नहीं है कि टाटा मोटर्स ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 3(4)(सी) का उल्लंघन करते हुए अपने क्षेत्र खंड को लागू किया, जिससे प्रतिस्पर्धा पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. यह धारा विशिष्ट वितरण समझौते से संबंधित है.

सीसीआई ने टाटा मोटर्स की दलीलों पर किया गौर

आदेश के अनुसार, सीसीआई ने टाटा मोटर्स की दलीलों पर गौर किया कि उसने अन्य बातों के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र के बाहर सक्रिय बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है कि डीलर किसी अन्य डीलर के विपणन और निवेश की मनमानी न करें, डीलरों को डीलरशिप में निवेश करने और बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. आयोग का मानना ​​है कि अधिनियम की धारा 3 (4) के उल्लंघन के निष्कर्ष पर पहुंचने पर यह निर्धारित करने के लिए धारा 19 (3) के तहत उल्लिखित कारकों का आकलन करना जरूरी है कि क्या कथित प्रतिस्पर्धा पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है या नहीं.

क्या है आरोप

आदेश में कहा गया है कि डीजी द्वारा इस संबंध में लाए गए किसी भी तथ्यात्मक आधार या मूलभूत साक्ष्य के अभाव में आयोग विवादित आचरण से उत्पन्न प्रतिस्पर्धा पर सराहनीय प्रतिकूल प्रभाव का निष्कर्ष देने में असमर्थ है. यह आरोप लगाया गया था कि कंपनी ने अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया और अपने अधिकृत डीलरों के साथ प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण में लगी रही.

सीसीआई का क्या है फैसला

प्रथम दृष्टया राय बनाते हुए सीसीआई ने वाणिज्यिक वाहनों के संबंध में डीलरशिप समझौतों और आचरण की धाराओं के संबंध में जांच को केवल अधिकृत डीलरों और टाटा मोटर्स के बीच ही सीमित रखने का निर्णय लिया था. सीसीआई के आदेश में कहा गया है कि यह स्पष्ट कर दिया गया था कि आयोग टाटा कैपिटल और टाटा मोटर्स फाइनेंस के आचरण या चैनल फाइनेंसिंग के लिए डीलरों के साथ उनके द्वारा किए गए समझौतों की जांच नहीं कर रहा है, क्योंकि वे जिस क्षेत्र में काम करते हैं, उसमें उनके पास कोई महत्वपूर्ण बाजार शक्ति नहीं है.

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने जारी किए मसौदा नियम

बता दें कि सीसीआई ने बुधवार को प्रतिस्पर्धा कानून के तहत प्रतिबद्धता व निपटान प्रावधानों के लिए मसौदा नियम जारी किए. सीसीआई के अनुसार, इस साल की शुरुआत में किए गए संशोधनों के जरिए प्रतिस्पर्धा अधिनियम में पेश किए गए प्रावधानों का मकसद तेजी से बाजार सुधार सुनिश्चित करना है. नियामक द्वारा जारी बयान के अनुसार, संबंधित पक्ष 24 अगस्त से 13 सितंबर तक मसौदा नियमों पर रुख स्पष्ट कर सकते हैं. प्रतिबद्धता प्रणाली उन उद्यम को सीसीआई के समक्ष प्रतिबद्धताओं की पेशकश करने में सक्षम बनाएगा, जिसके खिलाफ प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन की जांच जारी है. इसी तरह, निपटान प्रणाली ऐसे उद्यमों को नियामक के समक्ष निपटान के लिए आवेदन करने की अनुमति देगा. नियामक ने कहा कि प्रतिबद्धता के लिए एक प्रक्रिया बनाने का इरादा त्वरित बाजार सुधार सुनिश्चित करने की जरूरत के अनुरूप लिया गया. सीसीआई को अनुचित व्यापार प्रक्रियाओं पर अंकुश लगाने और बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने का अधिकार है.

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