मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर कर ईडी द्वारा जारी किये गये समन को चुनौती दी है. साथ ही इडी को पत्र लिख कर कोर्ट का फैसला आने तक अपनी कार्रवाई स्थगित रखने का अनुरोध किया. हालांकि, इडी ने फिलहाल मुख्यमंत्री के पत्र के आलोक में कोई फैसला नहीं लिया है. इडी की ओर से भेजे गये समन के आलोक में 14 अगस्त को हाजिर होने के बदले, जवाब में मुख्यमंत्री की ओर से लिखे गये आक्रामक पत्र के मद्देनजर इडी ने भी कानून का सहारा लिया था.
इस क्रम में ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर किया था, ताकि मुख्यमंत्री या विजय हांसदा द्वारा दायर की जानेवाली याचिका पर ईडी का पक्ष सुने बिना कोई फैसला नहीं हो. मुख्यमंत्री की ओर से 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गयी है. इसमें ईडी के समन को चुनौती दी गयी है. रिट याचिका में इडी पर दुर्भावना से प्रेरित होकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया है.
ईडी द्वारा दायर किये गये कैविएट की वजह से मुख्यमंत्री की ओर से दायर की गयी रिट याचिका की जानकारी इडी को तत्काल मिली. याचिका की कॉपी इडी के वकील को भेज दी गयी है, ताकि समय पर जवाब दिया जा सके.
सरकार द्वारा करायी प्राथमिकी को ही बतौर इसीआइआर दर्ज किया था ईडी ने : उल्लेखनीय है कि पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत इडी द्वारा साझा की गयी सूचना के आलोक में राज्य सरकार ने सदर थाने में बड़गाईं अंचल के राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इडी ने इसी प्राथमिकी को इसीआइआर के रूप में दर्ज करने के बाद जमीन के मामले में पूछताछ के लिए पहला समन जारी कर मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए 14 अगस्त को हाजिर होने का निर्देश दिया था.
इसके बाद दूसरा समन जारी कर उन्हें 24 अगस्त को हाजिर होने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री की ओर से इस निर्धारित तिथि पर रिट याचिका दायर करने के साथ ही ईडी को एक पत्र भी भेजा गया. इसमें सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर करने की जानकारी देते हुए कोर्ट का फैसला या दिशा-निर्देश आने तक इडी से उसकी कार्रवाई स्थगित करने का अनुरोध किया गया है.