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बोकारो के बारुडीह बस्ती में सैकड़ों कारखाने होने के बाद भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं युवा

झारखंड सरकार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के धनबाद जोन के अधिकारी रामप्रवेश ने दो दिन पहले जियाडा क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में कार्यक्रम में प्रदूषण नियंत्रण पर विभाग की सक्रियता का बखान किया था.

कभी हरियाली की बीच बसी बस्ती आज कल-कारखाने के जाल में फंस कर रह गयी है. यहां के लोग प्रदूषण से पीड़ित हैं. बात हो रही है गोड़ाबाली दक्षिणी पंचायत के बारुडीह बस्ती की. इस बस्ती के चारों ओर कारखाने हैं, लेकिन यहां के युवा परिवार के भरण पोषण के लिए पलायन के लिए मजबूर हैं. कुछ युवाओं को रोजगार तो मिला लेकिन ज्यादातर लोगों को बीमारी मिली. कंपनी से निकलनेवाले प्रदूषण से बस्ती वासियों के स्वास्थ्य चिकित्सा की जिम्मेदारी कोई भी लेने को तैयार नहीं है. बबीता देवी, दुलारी देवी, शारदा देवी, ममता हेंब्रम, गीता देवी, नमिता देवी, मेनका देवी सहित बस्ती के बच्चे समस्याओं से जूझने रहे हैं, लेकिन सुध लेनेवाला कोई नहीं है.

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कितना सक्रिय

झारखंड सरकार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के धनबाद जोन के अधिकारी रामप्रवेश ने दो दिन पहले जियाडा क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में कार्यक्रम में प्रदूषण नियंत्रण पर विभाग की सक्रियता का बखान किया था. कहा था कि विभागीय अधिकारी ऑनलाइन तथा फिजिकली प्रदूषण नियंत्रण को लेकर निरीक्षण करते रहते हैं, जबकि धरातल पर रहनेवाले ग्रामीणों की दशा विभाग के दावों की कलई खोल रही है.

इन कंपनियों से घिरी है बारुडीह बस्ती

बस्ती की महिलाओं ने बताया की सुंदरम स्टील, इस इस्पात, सिद्ध श्री, इंद्राणी, कल्याणी जैसी कंपनियों से बारुडीह बस्ती घिरी हुई है. इनके अलावा भी रबर फैक्ट्री, ईस्टर्न नेफ्ता, कास्टर्न सहित अन्य कारखानों के प्रदूषण का दुष्प्रभाव बस्ती वासियों के लिए जी का जंजाल बन गया है. बस्ती के तालाब का पानी प्रदूषित हो चुका है. मजबूरी यह है कि नहीं चाहते हुए भी उसी पानी में नहाना-धोना पड़ता है.

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बस्ती में हैं 20-22 घर

गोड़ाबाली दक्षिणी पंचायत की इस बस्ती में करीब 20-22 घर हैं. आबादी 300 है. एक वार्ड है. चार सरकारी चापानल में से दो खराब है. एक कुआं है, जिसका पानी उपयोग करने लायक नहीं है. एक आंगनबाड़ी केंद्र है. पिछले 5-7 वर्ष से बीमारी बढ़ती जा रही है. करीब चार लोग बीएसएल प्लांट में कार्यरत है. बाकी जीवनयापन के लिए संघर्षरत हैं.

हमारे घर-आंगन, हवा-पानी से लेकर खाने की थाली तक में कंपनियों द्वारा प्रदूषण परोसा जा रहा है. खांसी की बीमारी इस बस्ती के लोगों की पहचान बन चुकी है. रोजगार के नाम पर बमुश्किल 10-15 बस्ती वासियों को काम मिला है. आए दिन बस्ती के बच्चे से लेकर बूढ़े तक बीमारी का शिकार होते रहते हैं.

-शारदा देवी

प्रदूषण के कारण लोगों में सांस तथा आंखों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. टीबी से कई लोगों की मौत हो चुकी है. बस्ती के लोगों के लिए बराबर स्वास्थ्य जांच शिविर तथा दवाई की व्यवस्था की जानी चाहिए. लेकिन कारखाना मालिक अपने फायदे के लिए हमारे जीवन को दाव पर लगा रहे हैं.

-मेनका देवी

बस्ती के आधा दर्जन से ज्यादा युवा अन्य प्रदेशों में काम करते हैं. यहां की कोई कंपनी लोकल को कम नहीं देना चाहता है. ग्रामीण जलापूर्ति योजना से जो पानी सप्लाई हो रही है, वह भी नियमित नहीं है. मजबूरन हम लोगों को चुंआ का पानी पीना पड़ा है. पास के तालाब के पानी का रंग लाल है.

-ममता हेंब्रम

बस्ती को प्रदूषित करने वाली कंपनियां रोजगार देने में आनाकानी करती हैं. बच्चे हो या बड़े आंख और खांसी की समस्या से ग्रसित हैं. पहले जो साग-सब्जियां पैदा होती थीं, अब वो घाटे का सौदा साबित हो रहा है. बीपीसीएल प्लांट से निकलने वाली गैस बस्ती वासियों की परेशानी और बढ़ा देती है.

-प्रेम हेंब्रम

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