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किसी व्यक्ति के कुंडली में केतु अशुभ स्थान में रहता है तो वह अनिष्टकारी हो जाता है
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लहसुनिया रत्न को धारण करने से व्यापार में रुका हुआ पैसा वापस आता है
Cat Eye Stone Benefits: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में ग्रहों का प्रभाव होता है इनके प्रभाव के कारण जीवन में कई तरह से खुशिया प्रदान करता है. केतु का रत्न लहसुनिया आपके जीवन में केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है. लहसुनिया केतु का रत्न है.राहु की तरह केतु भी छाया ग्रह है.केतु की महादशा सात वर्ष तक चलती है.यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में केतु अशुभ स्थान में रहता है तो वह अनिष्टकारी हो जाता है. अनिष्टकारी केतु के प्रभाव से वयोक्ति ज्यादा बीमार रहता है साथ ही सभी कार्य में कन्फ्यूश़न होता है तथा बुरी आदत का शिकार हो जाते है.
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अगर आपके कुंडली में केतु शुभ स्थान में बैठे है व्यक्ति को धनवान बनाता है . इस रत्न के प्रभाव से इंसान के जीवन में अध्यात्मिक गुण का विकाश होता है .इसके आलावा इस रत्न को धारण करने से व्यापार में लाभ मिलता है .जो लोग शेयर बाजार के काम से जुड़े हुए है उनके लिए बहुत ही प्रभावी होता है .यह रत्न बहुत ही लाभकारी है .इस रत्न को धारण करने से व्यापार में रुका हुआ पैसा वापस आता है ,भूत -प्रेत बाधा इसके आलावा शीघ्रपतन, स्वप्नदोष,नपुसंकता जैसे बीमारी को दूर करता है, इसके आलावा मानसिक स्थिति को ठीक करता है .
लहसुनिया रत्न से सम्बंधित नई धारणा क्या है
केतु एक छाया ग्रह है उसकी अपनी कोई राशि नहीं है .केतु लगन त्रिकोण अथवा तृतीये छठा एकादश भाव में विराजमान रहे उनकी महादशा में लहसुनिया रत्न धारण करने से लाभ होता है यदि जन्मकुंडली में केतु दुसरे ,सातवे ,आठवे या बारह भाव में बैठे हो उसे लहसुनिया रत्न धारण नहीं करना चाहिए .
केतु की महादशा में हो रही परेशानी को कम करता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्योक्ति की कुंडली में अगर केतु की दशा चल रहा हो तभी उनके जीवन में काफी परेशानी होता है इस महादशा के अंतर्गत कार्य में हो रही परेशानी , मन विचलित रह रहा हो, कार्य में अस्थिरता नहीं हो ,आर्थिक परेशानी तथा कई तरह से परेशानी बन रहा हो एवं केतु से सम्बंधित बिमारी से परेशान रह रहे है.इस अवस्था में लहसुनिया रत्न धारण करने से लाभ मिलता है.
लहसुनिया रत्न जन्मकुंडली के अनुसार कौन धारण कर सकता है
(1)यदि जन्मकुंडली में केतु दुसरे भाव तीसरे भाव चर्तुथ भाव ,पंचम भाव,नवम भाव अथवा दसम भाव में स्थिति हो तो लहसुनिया पहनने से लाभकारी सिद्ध होता है .
(2) यदि केतु कुंडली के किसी भाव में मंगल , वृहस्पति या शुक्र के साथ स्थिति हो उस व्यक्ति को लहसुनिया अवश्य धारण करना चाहिए .
(3)यदि केतु शुभ भाव का अधिपति होकर उस भाव से छठे या आठवे स्थान पर स्थित हो तो लहसुनिया रत्न धारण करना शुह होता है .
(4)यदि कुंडली में केतु पंचम या भाग्येश के साथ हो लहसुनिया रत्न धारण करना लाभकारी होता है .
(5)यदि केतु की महादशा अथवा अंतरदशा चल रही हो तो लहसुनिया रत्न धारण करना अनंत लाभदायक होता है .
(6)यदि केतु सूर्य के साथ हो अथवा सूर्य की दिर्ष्टि हो तभी लहसुनिया रत्न धारण करने से लाभ मिलेगा .
(7)केतु से सम्बंधित जन्मदोष निवारण के लिए लहसुनिया पहनना परम श्रेयस्कर होता है .
(8)लहसुनिया रत्न को धारण करने से प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की होती है .तथा शत्रु समाप्त होते है .
लहसुनिया रत्न धारण करने की विधि
लहसुनिया रत्न शनिवार को सुबह 6 से 8 बजे के बीच धारण किया जाता है .इसे चांदी में बनवाकर दाहिने हाथ के अनामिका उंगली में धारण करे .पहले इस रत्न को गाय के दूध से धोकर उसके बाद गंगाजल से धोकर शुद्ध कर ले फिर धुप -दीप जलाकर केतु का मन्त्र का 108 बार जाप करे .तब इस रत्न को धारण करे लाभ मिलेगा.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847